India China Disengagement in Eastern Ladakh: भारत और चीन के बीच बनी सहमति के बाद दोनों देशों की सेनाओं ने पूर्वी लद्दाख के देपसांग और डेमचोक एरिया से 80-90 फीसदी डिसएंगेजमेंट पूरा कर लिया है. इस प्रक्रिया में सभी प्रकार के बुनियादी ढांचे को हटाना और दोनों देशों के सैनिकों को पीछे हटाना शामिल है. रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि डिसएंगेजमेंट की यह प्रक्रिया 29 अक्टूबर तक पूरी होने की संभावना है.


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इससे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को कहा था कि लद्दाख के देपसांग और डेमचोक में सैनिकों का पीछे हटना पहला कदम है. उम्मीद है कि इस पहल से भारत 2020 की पुरानी स्थिति में वापस आ जाएगा और अपने पारंपरिक दावे वाले इलाकों में फिर से गश्त करना शुरू कर सकेगा. 


'डिसएंगेजमेंट का काम सुचारू रूप से चल रहा'


जयशंकर से पहले चीनी विदेश मंत्रालय ने भी शुक्रवार को एक बयान जारी कर डिसएंगेजमेंट प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी थी. चीन ने कहा था कि दोनों देशों के सैनिक सीमावर्ती मुद्दे पर बनी सहमति के तहत प्रासंगिक कार्य करने में लगे हैं. मीडिया से बात करते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि डिसएंगेजमेंट का काम सुचारू रूप से चल रहा है. 


'दोनों ओर के सैनिक प्रासंगिक कार्य में लगे'


यह पूछे जाने पर कि क्या भारत और चीन ने टकराव वाले स्थानों से अपने सैनिकों को वापस बुलाना शुरू कर दिया है, ली जियान ने कहा,' सीमा क्षेत्र से संबंधित मुद्दों पर चीन और भारत हाल ही में एक प्रस्ताव मंजूर हुआ है, जिसके तहत दोनों ओर के सैनिक प्रासंगिक कार्यों में लगे हुए हैं. यह काम इस समय सुचारू रूप से चल रहा है.'


चीन ने 2020 में पूर्वी लद्दाख में की थी धोखेबाजी


बताते चलें कि चीन ने अप्रैल 2020 में अपनी सेनाओं को हर साल गर्मियों में होने वाली ड्रिल के लिए पूर्वी लद्दाख के पहाड़ों में इकट्ठा किया. इसके बाद ड्रिल खत्म होने पर उन्हें पुरानी लोकेशंस पर वापस भेजने के बजाय उन्हें भारत की ओर आगे बढ़ा दिया. जब भारत को इस हरकत का पता चला तो उसने भी पूर्वी लद्दाख में 50 हजार जवानों और हथियारों की जवाबी तैनाती कर दी. इसके बाद चीन ठिठक गया और आगे बढ़ने की हिम्मत नहीं जुटा पाया. 


भारत के लगातार प्रहारों से चीन के होश आ गए ठिकाने


तब से दोनों देशों की सेनाएं पूर्वी लद्दाख में आमने- सामने की मुद्रा में डटी हुई थीं. भारत ने सामरिक, आर्थिक और कूटनीतिक हर तरीके से चीन को घेरकर बातचीत के लिए मजबूर कर दिया. भारत ने चीन को संकेतों में साफ समझा दिया कि अगर उसने आगे बढ़ने का दुस्साहस किया तो उसका महाशक्ति बनने का सपना टूटते देर नहीं लगेगी. भारत पूरी क्षमता के साथ आत्मरक्षा के लिए कार्रवाई करेगा, जिससे दुनिया में चीन के लिए बना भ्रम खत्म हो जाएगा. इन संकेतों को देखते हुए चीन ने आखिरकार सीमा पर 2020 की पुरानी स्थिति में जाने के लिए भारत से समझौता कर लिया. जिससे अब सरहद पर शांति आने की उम्मीद जताई जा रही है.