Salim Chishti Mazar Vs Kamakhya Temple: आगरा में अभी तक ताजमहल और जामा मस्जिद को लेकर ही विवाद था. लेकिन अब फतेहपुर सीकरी में शेख सलीम चिश्ती की दरगाह को लेकर भी विवाद खड़ा हो गया है. आगरा कोर्ट में एक नई याचिका दाखिल की गई है. जिसमें दावा किया गया है कि वहां सलीम चिश्ती का मज़ार नहीं बल्कि कामाख्या मंदिर है. क्या है पूरा मामला इस रिपोर्ट से समझिए. 


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फतेहपुर सीकरी में मंदिर-दरगाह विवाद


ये सवाल इसलिए क्योंकि आगरा जिला कोर्ट में दावा किया गया कि फतेहपुर सीकरी स्मारक की शेख सलीम चिश्ती दरगाह असल में  माता कामाख्या देवी का गर्भ गृह है. जहां मौजूदा वक्त में दरगाह बनी हुई है. इस दावे के साथ कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है.


केस में माता कामाख्या स्थान, आर्य संस्कृति संरक्षण ट्रस्ट, योगेश्वर श्रीकृष्ण सांस्कृतिक अनुसंधान संस्थान ट्रस्ट, क्षत्रिय शक्तिपीठ विकास ट्रस्ट और अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह वादी है जबकि यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, प्रबंधन कमेटी दरगाह सलीम चिश्ती और प्रबंधन कमेटी जामा मस्जिद को प्रतिवादी बनाया गया है. 


कभी कुल देवी का हुआ करता था मंदिर 


याचिकाकर्ता अजय प्रताप सिंह कहते हैं कि पर्याप्त साक्ष्य और सबूत जो ये दर्शाते हैं कि फतेहपुर सीकरी स्मारक में बनी शेख सलीम चिश्ती दरगाह नहीं है बल्कि यह माता कामाख्या देवी का मुख्य गर्भ गृह है. साथ ही परिसर में बनी जामा मस्जिद मंदिर का भाग है. याचिकाकर्ता के मुताबिक मां कामाख्या देवी सिकरवारों की कुल देवी का मंदिर वहां हुआ करता था.


उस वक्त रावधाम देव खानवा युद्ध के दौरान वहां के राजा थे. रावधाम देव के इतिहास में इसका जिक्र किया गया है. फतेहपुर सीकरी के बुलंद दरवाजे के दक्षिण पश्चिमी भाग में अष्टकोणीय कुआं है और पश्चिमी पूर्वी में एक गरीब घर है. बाबरनामे में बाबर ने इसे बनाने का जिक्र किया है. अष्टकोणीय कुआं हिंदू आर्किटेक्ट की पहचान है. विदेशी अधिकारी ईवी हैवेल ने अपनी पुस्तक में जामा मस्जिद की छत और पिलर को प्योर हिंदू डिजाइन होने का दावा किया था. 


हिंदू पिलर पर बनी हुई है जामा मस्जिद


आगरा के पूर्व ASI सुपरिटेंडेंट डॉ. डीवी शर्मा ने इस एक एक्सकैवेशन (खुदाई) वीर छवेली टीला के लिए की थी. खुदाई के दौरान उन्हें सरस्वती की मूर्ति और जैन मूर्तियां मिली थीं. शर्मा ने एक किताब आर्केलॉजी ऑफ़ फतेहपुर सीकरी न्यू डिस्कवरी लिखी है. इस किताब के पेज नंबर 86 पर साफ लिखा है कि जामा मस्जिद हिंदू पिलर पर बनी हुई है.


इस दावे के साथ ताजमहल और जामा मस्जिद के बाद आगरा में नया विवाद खड़ा गया है. मामला सिर्फ कोर्ट की दहलीज तक नही है. चर्चा की चौपाल में भी मुद्दा गर्म है. हालांकि अभी मामला सिर्फ लघुवाद न्यायालय में है जहां से एक नोटिस जारी किया गया है.. लेकिन अभी तक इस पर कोई टिप्पणी कोर्ट की तरफ से नहीं दी गई है. ये मामला सुनने योग्य है या नहीं, इस पर कोर्ट फैसला लेगा.