Diwali Pollution: दो दिन बाद दीपावली है. दीपक सजाए जा रहे हैं. बिजली वाली लड़ियां लगा दी गई हैं. पूरा हिंदुस्तान रोशनी से जगमग हो चुका है. लेकिन एक सवाल फिर उठ चुका है कि क्या हम अपने त्योहार पर पटाखे जला पाएंगे. क्या दिवाली के इस सेलिब्रेशन में पटाखे होंगे या नहीं. और ये सवाल इसलिए क्योंकि दिल्ली में इस बार फिर पटाखों पर पूरी तरह से बैन लगा दिया गया है. दिल्ली में कोई पटखा जलाएगा तो 6 महीने की सजा हो सकती है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

हो सकती है जेल


दिल्ली में कोई पटाखा बेचेगा तो 3 साल तक की जेल हो सकती है. कई और राज्यों में पटाखे जलाने पर एडवाइजरी जारी कर दी गई है. ऐसे में सवाल ये कि आखिर क्यों हर बार हिंदुओं के सबसे बड़े त्योहार दीपावली पर ही क्यों प्रदूषण याद आता है. हर बार प्रदूषण के नाम पर दीपावली पर ही क्यों ये बैन लगा दिए जाते हैं. क्या प्रदूषण के लिए सिर्फ हिंदू त्योहार दीपावली ही जिम्मेदार है. चलिए जानते हैं.


एक दौर था जब दीपावली से दो चार दिन पहले ही पापा झोला भर के पटाखा लाते थे. बच्चे उसे छत पर धूप दिखाते थे और दिवाली के दिन शाम होते ही आसमान में तारों के साथ साथ रॉकेट चमचमाते थे. आस पड़ोस में मानो होड़ लग जाती थी कि ज्यादा देर तक अनार किसका जलेगा. ज्यादा देर किसका चटाई बम चलेगा. बच्चे-बच्चे के हाथ में फुलझड़ी होती थी. बेटा अब तो आकर मिठाई खा ले ये मां कहती थी.


त्योहारों पर लगा ग्रहण


लेकिन न जाने त्योहारों पर कैसा ग्रहण लगा है. पटाखों की दुकानों पर ताला लटका है. ये ग्रहण है प्रदूषण का जो देश की राजधानी दिल्ली पर इस कदर हावी है कि आज सुबह इंडिया गेट ही ओझल हो गया. देश की राजधानी का एक्यूआई लेवल पांच सौ के करीब पहुंच गया है और इस वजह से हर साल की तरह इस साल भी दिल्ली और आसपास के इलाकों में पटाखों पर पूरी तरह से बैन लगा दिया गया है.


जिस दिल्ली में कभी दीपावली से पहले से ही आतिशबाजी की धूम होती थी, वहां अब दिवाली नीरस सी लग रही है. लोग कह रहे हैं कि इस प्रदूषण में उनका क्या कसूर.


लोगों का कहना है कि जब दीपावली से पहले ही AQI लेवल चार सौ के पास है तो फिर पटाखों से क्या दुश्मनी है. लोगों का कहना है कि जब पराली जलने के सीजन में प्रदूषण का लेवल ऊपर जाता है तो फिर पराली को बैन करें. पटाखों से क्या दुश्मनी.


उल्लास का गला घोंटना जायज कैसे?


लोगों के सवाल भी वाजिब हैं. क्योंकि साल में हिंदुओं का इकलौता ऐसा त्योहार आता है जिसका लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं. हिंदुओं का इकलौता ऐसा त्योहार है जब जमकर लोग पटाखे जलाते हैं. ऐसे में हिंदुओं के इस त्योहार को, इस उल्लास का गला घोंटना कैसे जायज है.


अब लोग भी असमंजस में हैं. बच्चा कह रहा है कि पापा पटाखे ले आओ. लेकिन अब पापा बच्चे को कैसे समझाएं कि बेटा अगर तू फुलझड़ी जलाएगा तो तेरा पापा अंदर जाएगा.


ये दलील ठीक भी है कि पटाखे जलाने से प्रदूषण होता है हम ये नहीं कह रहे लोग इस बैन को नजरअंदाज करें और पटाखे जलाएं. लेकिन हम एक सवाल सिस्टम से पूछना चाहते हैं कि प्रदूषण ना हो इसके लिए पूरे साल क्या किया जाता है. हम पूछना चाहते है कि वो दिन कब आएगा जब हवा साफ हो और ऐसे बैन ना लगाने पड़ें.


साफ हवा लोगों का मौलिक अधिकार


सरकारें बदल जाती है, अधिकारी बदल जाते हैं लेकिन नहीं बदलता तो प्रदूषण का हाल. साफ हवा तो हर भारतीय का मौलिक अधिकार है तो क्यों सरकारें ये अधिकार नहीं दे पातीं. त्योहार मनाना भी मौलिक अधिकार है तो क्यों हर बार बैन लगाया जाता है?


अलग-अलग दलील दे दी जाती है. कोई कहता है कि जब राम जी आए थे तो सिर्फ दीप जलाए गए थे, पटाखे नहीं..तो कोई कहता है त्योहार का अंग हैं पटाखे. लेकिन सिर्फ लोग नहीं बल्कि नेता भी इस मुद्दे पर बंटें हैं. एक प्रो पटाखा. तो एक एंटी पटाखा. समझिए किसका क्या तर्क है.


दीपावली पर आसमान में आतिशबाजी दिखेगी या नहीं ये तो वक्त बताएगा. लेकिन पटाखे फूटने से पहले ही राजनीति में बयानों की फुलझड़ियां चलने लगी हैं. पटाखे फोड़ने को लेकर मानो हिंदुस्तान में दो गुट बन गए हैं. एक कह रहा है कि पटाखे फोड़ने चाहिए. और हो सके तो ज्यादा से ज्यादा आतिशबाजी करो. तो दूसरे पक्ष का तर्क है कि ऐसा करने से प्रदूषण फैलता है.


पटाखों पर शुरू हुई राजनीति


इस बार भी पटाखों को लेकर राजनीति चकरघिन्नी शुरू हुई देश की राजधानी दिल्ली से, जहां प्रदूषण का हवाला देते हुए दिल्ली सरकार ने एक बार फिर पटाखे पर बैन वाला बम फोड़ दिया.


गोपाल राय ने इधर पटाखों पर स्ट्राइक की तो विरोधियों ने उनपर तंज कस दिया. बीजेपी नेता शहजाद पूनावाला ने तो यहां तक सवाल उठा दिया कि हिंदुओं के त्योहार को टारगेट किया जा रहा है. सवाल पूछ रहे हैं कि प्रदूषण के लिए सिर्फ हिंदू ही जिम्मेदार हैं?


पटाखों पर बहस दिल्ली से शुरू हुई लेकिन इसे लेकर चर्चा देशभर में हो रही है. सोशल मीडिया पर आरएसएस चीफ मोहन भागवत का एक बयान सामने आया है, जहां उन्होंने पटाखों को लेकर भी कुछ ऐसे ही सवाल खड़े किए. मोहन भागवत ने भी यही सवाल उठाया कि केवल हिंदुओं के त्योहारों को ही क्यों टारगेट किया जाता है.


देश में मानो पटाखा Vs एंटी पटाखा गुट पूरी तरह से एक्टिव हो गई है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण मध्यप्रदेश में दिख रहा है जहां बीजेपी और कांग्रेस पटाखा फोड़ने पर आमने सामने हैं


एक तरफ जहां पटाखों पर राजनीति हो रही है, वहीं सोशल मीडिया पर कुछ सेलिब्रिटीज भी इस मुद्दे पर काफी वायरल हो रहे हैं.


सेलिब्रिटीज के वीडियोज वायरल


राजपाल यादव का ये वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है, जिसमें वो पटाखे न जलाने की अपील कर रहे हैं. एक तरफ राजपाल यादव एंटी पटाखा पक्ष के समर्थन में दिख रहे हैं. वहीं प्रो पटाखा गुट ने उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोल करना शुरू कर दिया है. सोशल मीडिया पर अमीशा पटेल का भी एक वीडियो खूब वायरल हो रहा है, जिसमें वो पटाखों के पैसे डोनेट करने की बात कर रही हैं. अमीशा पटेल का ये बयान वायरल होने की देरी थी कीि वो भी ट्रोलर्स के निशाने पर आ गईं.


कुल मिलाकर दीपावली से पहले ही सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफॉर्म पर बयानों की आतिशबाजी तेज हो गई है.. दीपावली पर पटाखे फूटे न फूटें.. पटाखों को लेकर बयानों के बम खूब फट रहे हैं.


एक जंग सोशल मीडिया पर भी लड़ी जा रही है. पटाखे जलाने और न जलाने को लेकर लोग अपना अपना पक्ष रख रहे हैं. लोग कह रहे है कि दिल्ली में पटाखे बैन हो सकते हैं तो पूरे देश में क्यों नहीं. दूसरा वर्ग कहता है कि होली हो या दीवाली, कभी पानी की कमी तो कभी प्रदूषण की दलील देकर सिर्फ हिंदू त्योहारों पर ही निशाना साधा जाता है.


सर्वे में क्या आया सामने?


दिल्ली एनसीआर में पटाखे फोड़ने पर एक सर्वे किया गया, जिसमें 55 फीसदी लोग ऐसे थे जिन्होंने ये कहा कि उनकी पटाखा फोड़ने की कोई मंशा नहीं है. वहीं 19 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो कह रहे हैं पटाखा जलाने का मन तो है लेकिन जला पाएंगे या नहीं ये नहीं पता. वहीं नौ प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो कह रहे हैं कि बैन के बावजूद वो किसी भी कीमत पर पटाखे जलाएंगे.


सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण को देखते हुए पटाखों पर बैन लगा रखा है तो दिल्लीवासियों से हमारी भी अपील है कि आप पटाखे न जलाएं. लेकिन ये सवाल जरूर उठाएं कि प्रदूषण से मुक्ति कब मिलेगी? सवाल उठाएं कि साफ हवा कब मिलेगी? वो दिवाली कब आएगी जब दिल्ली में पटाखे जलाने की परमिशन होगी. हम जानते हैं कि कुछ लोग इस स्टैंड पर ट्रोल करने की कोशिश करेंगे. हमसे सवाल पूछेंगे..पूछिए, जवाब दिय़ा जाएगा...लेकिन सवाल हम भी पूछेंगे कि सारे प्रतिबंध, सारे बैन  हिंदू त्योहारों पर ही क्यों लगते हैं. आखिर ये हालात पैदा ही क्यों हुए कि पटाखों पर प्रतिबंध लगाना पड़ा.