नई दिल्ली: आज हम सबसे पहले भारत को मजबूती देने वाली उड़ान के बारे में बात करेंगे. ये वो उड़ान है, जिससे हमारे यहां कुछ लोग परेशान भी होंगे, क्योंकि इन्होंने इस उड़ान को रोकने की बहुत कोशिश की थी. हम रफाल लड़ाकू विमानों की बात कर रहे हैं, जो भारतीय वायुसेना में शामिल होने के लिए सोमवार को फ्रांस से उड़ान भर चुके हैं, और बुधवार तक ये विमान, भारत पहुंच जाएंगे.


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सोमवार को 5 रफाल लड़ाकू विमानों ने फ्रांस से भारत के लिए उड़ान भरी. 7 हजार किलोमीटर से ज्यादा का सफर तय करके ये पांच लड़ाकू विमान, दो दिन में भारतीय वायुसेना के अंबाला एयरबेस पर पहुंच जाएंगे. जहां से इन्हें अगले कुछ दिनों में, अपने पहले मिशन के लिए तैयार किया जाएगा और आज की परिस्थितियों में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इन लड़ाकू विमानों का पहला मिशन कहां पर होगा. निश्चित तौर पर लद्दाख सीमा पर भारतीय वायुसेना को नई मजबूती देने और चीन को कड़ा संदेश देने के लिए, ये 5 रफाल विमान आ रहे हैं.



हमें ये ध्यान रखना चाहिए कि इन्हीं रफाल विमानों पर इस देश में बहुत विवाद और बहुत राजनीति हुई. एक खास वर्ग ने फ्रांस से रफाल लड़ाकू विमानों के समझौते को रद्द करवाने में पूरा जोर लगा दिया था. कांग्रेस पार्टी और उसके नेता राहुल गांधी ने इसे 2019 के चुनावों का सबसे बड़ा मुद्दा बना लिया था, जबकि भारत को रफाल जैसी नई तकनीक वाले शक्तिशाली लड़ाकू विमानों की पिछले दो दशकों से बहुत ज्यादा जरूरत थी और जब ये समझौता हुआ, तो उसे नेताओं ने अपनी राजनीति से क्रैश करने की पूरी कोशिश की.


लेकिन ऐसे सभी लोगों की कोशिशें आखिरकार असफल साबित हुईं और 2016 में हुए 36 रफाल लड़ाकू विमानों के समझौते के तहत चार साल बाद, पांच रफाल विमान, भारत पहुंच रहे हैं. इन पांच विमानों में 3 सिंगल-सीटर और 2 ट्विन-सीटर विमान हैं, जिन्हें भारतीय वायुसेना के फाइटर पायलट पूरी ट्रेनिंग के बाद फ्रांस से भारत ला रहे हैं. भारतीय वायुसेना को अब तक कुल 10 रफाल विमान मिल चुके हैं, जिसमें पांच भारत के लिए रवाना हो चुके हैं और पांच विमान अभी फ्रांस में ट्रेनिंग मिशन पर हैं. 2021 यानी अगले साल के आखिर तक सभी 36 रफाल विमान भारतीय वायुसेना को मिल जाएंगे.


एक हफ्ते में मिशन के लिए तैयार हो जाएगा रफाल
वैसे तो सामान्य स्थितियों में ऐसे लड़ाकू विमानों को सैन्य मिशन के लिए तैयार होने में कम से कम छह महीने लगते हैं, लेकिन अभी सामान्य स्थितियां नहीं हैं और सीमा पर तनाव है, इसलिए जानकारों के मुताबिक, जरूरत पड़ने पर इन रफाल लड़ाकू विमानों को एक हफ्ते के अंदर ही सैन्य तैनाती के लिए तैयार किया जा सकता है. भारतीय वायुसेना के 12 फाइटर पायलट, इन विमानों को उड़ाने के लिए पूरी तरह से प्रशिक्षित किए जा चुके हैं.


मैरीनेक एयरबेस से भारत के लिए रफाल ने भरी उड़ान
फ्रांस के 'मैरीनेक एयरबेस' से ये पांच विमान सोमवार दोपहर 12 बजे भारत के लिए उड़े. यहां से ये विमान UAE में अबुधाबी के रास्ते भारत आएंगे. फ्रांस से 7 घंटे की उड़ान के बाद ये विमान, अबुधाबी के 'अल-दफ्रा एयरबेस' पर पहुंचे. इस यात्रा में फ्रांस की वायुसेना के दो मिड-एयर रिफ्यूलर विमान इनके साथ थे, जिन्होंने हवा में ही इन विमानों में ईंधन भरा. इन विमानों को ला रहे भारतीय फाइटर पायलट रात में अबुधाबी में रुकेंगे और फिर इसके बाद ये अंबाला के लिए उड़ान भरेंगे. ये 5 विमान, रफाल विमानों की पहली स्वाड्रन का हिस्सा होंगे, जिसका नाम रखा गया है- ‘The Golden Arrows'.


इन विमानों को फ्रांस से विदाई देने के लिए, फ्रांस में भारत के राजदूत जावेद अशरफ भी मौजूद थे. इसके अलावा रफाल विमानों को बनाने वाली फ्रांस की रक्षा कंपनी दसॉल्ट एविएशन (Dassault Aviation) के चेयरमैन भी इस मौके पर मौजूद थे. जाहिर सी बात है, ये लड़ाकू विमान, भारत और फ्रांस की सबसे मजबूत दोस्ती का प्रतीक बन चुके हैं. वैसे तो भारतीय वायुसेना में 1953 से फ्रांस के लड़ाकू विमान हैं और जगुआर, मिराज जैसे लड़ाकू विमान भारतीय वायुसेना की पहचान हैं, लेकिन रफाल की बात अलग है और आज का वक्त अलग है, क्योंकि ये बड़ा संदेश भी है कि जब चीन जैसे देश के सामने भारत मजबूती से खड़ा है, तो फ्रांस जैसा देश, भारत को सबसे आधुनिक लड़ाकू विमान की समय पर डिलिवरी देने में कोई हिचक नहीं दिखा रहा है.


फ्रांस की वायुसेना और वहां की नौ सेना, पिछले 16 वर्षों से रफाल लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल कर रही है. ये लड़ाकू विमान, अफगानिस्तान, लीबिया, इराक और सीरिया के युद्ध में अपनी क्षमता साबित कर चुके हैं. इसी वजह से इजिप्त, कतर और भारत जैसे देशों ने फ्रांस के साथ रफाल लड़ाकू विमानों की खरीद का समझौता किया था.


भारतीय वायु सेना में फ्रांस के लड़ाकू विमान
वैसे भारतीय वायु सेना के लिए फ्रांस के लड़ाकू विमान नए नहीं हैं.  भारतीय वायुसेना में 50 से ज्यादा मिराज 2000 लड़ाकू विमान मौजूद हैं. बालाकोट एयर स्ट्राइक, इन्हीं मिराज 2000 विमानों से की गई थी. लेकिन रफाल जैसे MMRCA यानी मीडियम मल्टी रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (Medium Multi Role Combat Aircraft) की जरूरत भारतीय वायुसेना को 90 के दशक से महसूस हो रही थी. इस तरह के लड़ाकू विमान, हर तरह के रोल और हर तरह के मिशन के लिए सक्षम होते हैं.


जैसे इस लड़ाकू विमान में हवाई हमले, जमीन में सेना की मदद और एंटी शिप अटैक की क्षमता है. भारत ने जब MMRCA टेंडर की शुरुआत की, तब उसकी नजर में दुनिया के 6 बेहतरीन लड़ाकू विमान थे. इनमें अमेरिका का F-16 और F-18, रूस का MiG-35, स्वीडन का ग्रिपेन, और यूरोफाइटर टाइफून. लेकिन भारतीय वायुसेना ने जब बारीकी से सबको परखा तो रफाल ने सबको पीछे छोड़ दिया.


F 16 फाइटर प्लेन से दोगुना ताकतवर है रफाल
पाकिस्तान के एफ 16 फाइटर प्लेन के मुकाबले रफाल दोगुना ताकतवर है. यानी अगर भारतीय वायुसेना के एक रफाल विमान ने पाकिस्तान पर हमला किया तो उसका मुकाबला करने के लिए पाकिस्तान को दो एफ 16 विमान तैनात करने पड़ेंगे. इसी से आप समझ सकते हैं कि रफाल कितनी बड़ी ताकत है, क्योंकि एफ 16 फाइटर प्लेन पाकिस्तान के सबसे बेहतर विमान हैं. लेकिन रफाल के सामने उनकी शक्ति घटकर आधी रह जाएगी.


रफाल का इंजन, इसका एयरफ्रेम, इसका डिजाइन, इसके Avionics सबसे बेहतर हैं. जरूरत पड़ने पर इस विमान का इंजन सिर्फ आधे घंटे में बदला जा सकता है, जबकि सुखोई लड़ाकू विमान का इंजन बदलने में 8 घंटे तक लग जाते हैं. फ्रांस ने इन लड़ाकू विमानों का निर्माण भारतीय वायुसेना की जरूरतों को ध्यान में रखकर किया है. जैसे भारत के रफाल में आधुनिक रडार सिस्टम है.


विमान में इजरायली हेलमेट माउंटेड डिस्प्ले (helmet-mounted display) है, जिससे पायलट जहां नजर घुमाएगा, पूरा वेपन सिस्टम (Weapon System) उसे वहीं दिखने लगेगा. एक रफाल 24 घंटे में 5 स्टोरीज यानी 5 बार उड़ान भर सकता है, जबकि सुखोई 24 घंटे में सिर्फ 3 उड़ान भरने में ही सक्षम है. आपको याद होगा कि बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि अगर रफाल होता तो वो कहीं ज्यादा बेहतर नतीजे दे सकता था.



रक्षा सौदों पर उत्साह से ज्यादा विवाद
आप सभी से एक सवाल ये भी है कि आखिरी बार कब आपने, भारत को मिलने वाले किसी लड़ाकू विमान या हथियार पर इतना उत्साह देखा था. शायद ऐसा उत्साह कभी नहीं देखा गया. उत्साह से ज्यादा हमारे यहां रक्षा सौदों को लेकर विवाद होते हैं. लेकिन विवाद के बाद भी अगर रफाल को लेकर इतना उत्साह है, तो ये बहुत बड़ी बात है. भारतीय वायुसेना को आखिरी लड़ाकू विमान वर्ष 2002 में रूस से सुखोई-30 के तौर पर मिले थे. तब से अब तक 18 वर्ष गुजर गए हैं, अब जाकर भारतीय वायुसेना को अपने नए लड़ाकू विमान मिल रहे हैं.


भारत ने 36 रफाल विमान करीब 59 हजार करोड़ रुपये में खरीदे हैं और ये कीमत हथियार से लैस रफाल की है. यानी एक रफाल की कीमत 16 सौ करोड़ रुपये के आसपास है. जबकि बिना हथियार वाले रफाल की कीमत लगभग 700 करोड़ रुपए है, लेकिन घातक हथियारों से लैस, भारत के रफाल विमानों की अच्छी बात ये है कि इस सौदे में 5 साल का लॉजिस्टिक्स सपोर्ट भी शामिल है यानी इस विमान से जुड़ी हर तकनीकी जरूरत को फ्रांस पूरा कर रहा है. इन विमानों से जुड़े लोगों की ट्रेनिंग भी फ्रांस दे रहा है. सभी विमान भारत को फ्लाई अवे कंडीशन में मिल रहे हैं यानी इनकी डिलिवरी होते ही इनका इस्तेमाल किया जा सकता है.


घुटने टेकने पर मजबूर हुआ था पाकिस्तान
जिन लोगों को वर्ष 1965 के भारत और पाकिस्तान के युद्ध के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, उन्हें ये सुनकर हैरानी होगी कि उस युद्ध में भारतीय वायुसेना को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था. इस युद्ध की शुरुआत में भारतीय वायुसेना के 35 लड़ाकू विमान उड़ान भरने से पहले ही पाकिस्तान के हमले में ध्वस्त हो गए थे. लेकिन शुरूआती नुकसान के बाद भारतीय वायुसेना ने अपने जज्बे से इस युद्ध को जीता और बिना रुके लगातार करीब 200 मिशन में पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था.