DNA ANALYSIS: US में शांति सेना भेजेंगे इराक और सीरिया?
दुनिया के जिम्मेदार देश इस बात पर गंभीरता से विचार कर सकते हैं कि उन्हें अमेरिका में शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण के लिए अपने ऑबजर्वर्स भेजने चाहिए और अगर वो चाहें तो इसके लिए भारत के लोकतांत्रिक अनुभव की मदद ले सकते हैं.
नई दिल्ली: अब हम अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी से आई कुछ दुर्लभ तस्वीरों की बात करेंगे. इनमें अमेरिका की संसद के बाहर 7 Feet ऊंची Fence यानी बाड़ लगाई जा रही है. आपने ऐसी Fence की तस्वीरें दो देशों की सीमा पर देखी होंगी. अमेरिका में ऐसा वहां की संसद की सुरक्षा के लिए किया गया है. अमेरिका की संसद को ये खतरा किसी और देश से नहीं, बल्कि अमेरिका में ही मौजूद. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों की हिंसा से है.
सोशल मीडिया पर एक मजाक
इस हिंसा के बाद पिछले 24 घंटों से सोशल मीडिया पर एक मजाक चल रहा है. इसमें कहा गया है कि अमेरिका का लोकतंत्र खतरे में है. अब अफगानिस्तान, सीरिया, सोमालिया और इराक जैसे देश अमेरिका के हालात पर नजर रखे हुए हैं. इन देशों ने अमेरिका में हुई हिंसा पर चिंता जताई है. अगर अमेरिका के हालात और खराब हुए तो ये देश मिलकर वहां एक Peace Keeping Force भेज सकते हैं. ताकि अमेरिका में लोकतंत्र की सुरक्षा और बहाली हो सके.
लोकतंत्र पर गर्व करने की बहुत कम वजहें
ये सिर्फ एक मजाक है और इसमें कोई सच्चाई नहीं है. लेकिन दुनिया के जिम्मेदार देश इस बात पर गंभीरता से विचार कर सकते हैं कि उन्हें अमेरिका में शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण के लिए अपने ऑबजर्वर्स भेजने चाहिए और अगर वो चाहें तो इसके लिए भारत के लोकतांत्रिक अनुभव की मदद ले सकते हैं.
वर्षों से अमेरिका दुनिया के दूसरे देशों के साथ ऐसा ही करता आया है. वो खुद को लोकतंत्र का सबसे बड़ा रक्षक मानता है, लेकिन वहां से आई इन तस्वीरों के बाद अब अमेरिका के पास अपने लोकतंत्र पर गर्व करने की बहुत कम वजहें हैं.
लोकतंत्र बहाली के नाम पर 7 देशों पर हमला
पिछले 20 वर्षों में अमेरिका ने लोकतंत्र बहाली के नाम पर 7 देशों पर हमला किया या सैन्य कार्रवाई की है. अमेरिका के राष्ट्रपति Trump ने भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता का ऑफर दिया था. तब भारत ने इसके लिए इनकार कर दिया था. भारत में धार्मिक स्वतंत्रता और जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकार के मुद्दों पर अमेरिका की अलग अलग कमेटियों ने कई बार भारत विरोधी रिपोर्ट्स जारी की हैं.
आज अमेरिका के साथ पश्चिमी मीडिया को भी सीख लेने की जरूरत है. अगर ऐसी घटना किसी और देश में होती, तो अमेरिका के अखबारों में हेडलाइंस बनाई जाती. जिसमें अमेरिका की सेना से उस देश में जाकर लोकतंत्र को बहाल करने की मांग होती. दुनिया के लिए अमेरिका की मीडिया के नियम अलग होते हैं, लेकिन अपने देश को वो अलग तरीके से देखते हैं.
ट्रंप की पार्टी के सांसद भी उनका विरोध कर रहे
अब अमेरिका में भी वहां की सरकार पर सवाल उठ रहे हैं. वहां के लोग कह रहे हैं कि इस हिंसा की पूरी जिम्मेदारी ट्रंप की ही है. हैरान करने वाली बात ये है कि ट्रंप की पार्टी के सांसद भी उनका विरोध कर रहे हैं. उनकी कैबिनेट से दो मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया है. अमेरिकी संसद की स्पीकर नैन्सी पेलोसी ने कहा है कि अगर ट्रंप को उनके पद से हटाया नहीं गया, तो उनके खिलाफ दूसरी बार अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा. अमेरिका में नई सरकार बनने से पहले एक और अविश्वास प्रस्ताव Trump की बची हुई राजनीतिक साख को भी खत्म कर सकता है.