RSS Sarsanghchalak Mohan Bhagwat Speech: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉक्टर मोहन भागवत ने कहा, "राष्ट्रीय या व्यक्तिगत स्तर पर 'तप' की आवश्यकता है. इसकी जड़ों में एक 'प्राण शक्ति' है. भारत में भी एक 'प्राण शक्ति' है जो हमारे सामने है, लेकिन हम इसे देख नहीं पा रहे हैं. वह 'प्राण' हर व्यक्ति और हर चीज में है. वह 'प्राण' 22 जनवरी को दिखाई दिया... "
Trending Photos
Mohan Bhagwat On Tapa And Praan Shakti: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉक्टर मोहन भागवत ने राजधानी दिल्ली में मंगलवार को कहा कि जब भी दुनिया में कोई संकट आता है, तो मदद के लिए भारत तुरंत प्रतिक्रिया करता है, चाहे वह देश हमारा मित्र हो या दुश्मन. यह अपने आप नहीं होता. भारत की चेतना के पीछे 'प्राण' दिखाई देता है. और यही भारत की पहचान है.
22 जनवरी को दिखाई दिया भारत का 'प्राण', यह अपने आप नहीं हुआ
आरएसएस प्रमुख भागवत ने आगे कहा, "राष्ट्रीय या व्यक्तिगत स्तर पर 'तप' की आवश्यकता है. इसकी जड़ों में एक 'प्राण शक्ति' है. भारत में भी एक 'प्राण शक्ति' है जो हमारे सामने है, लेकिन हम इसे देख नहीं पा रहे हैं. वह 'प्राण' हर व्यक्ति और हर चीज में है. वह 'प्राण' 22 जनवरी को दिखाई दिया... जब भी दुनिया में कोई संकट आता है, तो भारत तुरंत प्रतिक्रिया करता है, चाहे वह देश हमारा मित्र हो या दुश्मन. यह अपने आप नहीं होता. भारत की चेतना के पीछे 'प्राण' दिखाई देता है. और यही भारत की पहचान है."
#WATCH | Delhi: RSS Chief Mohan Bhagwat says, "There is a need for 'Tapa' either on a national or a personal level. There is a 'Praan Shakti' in its roots. India also has a 'Praan Shakti' which is right in front of us but we are not able to see it. That 'praan' is there in every… pic.twitter.com/NYvbKLixfC
— ANI (@ANI) November 26, 2024
अध्यात्म और विज्ञान में कोई विरोध नहीं, श्रद्धा हमें अंधा नहीं बनाती
मुकुल कानिटकर की लिखी जीवन मूल्यों पर आधारित पुस्तक ‘बनाएं जीवन प्राणवान’ के विमोचन के अवसर पर संघ प्रमुख भागवत ने कहा कि अध्यात्म और विज्ञान में कोई विरोध नहीं है. विज्ञान में भी और अध्यात्म में भी श्रद्धायुक्त व्यक्ति को ही न्याय मिलता है. अपने साधन और ज्ञान का अहंकार जिसके पास होता है, उसे नहीं मिलता है. श्रद्धा में अंधत्व का कोई स्थान नहीं है. जानो और मानो यही श्रद्धा है. परिश्रम से मन में धारण की हुई श्रद्धा है.
2000 वर्षों से विश्व अहंकार के प्रभाव में चला, विज्ञान का भी एक दायरा
दिल्ली विश्वविद्यालय के उत्तरी परिसर में आयोजित पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में पंचदशनाम जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज और दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह के साथ मंत पर मौजूद संघ प्रमुख ने कहा कि बीते 2000 वर्षों से विश्व अहंकार के प्रभाव में चला है. मैं अपने ज्ञानेन्द्रिय से जो ज्ञान प्राप्त करता हूं वही सही है उसके ऊपर कुछ भी नहीं है, इस सोच के साथ मानव तब से चला है जब से विज्ञान का प्रादुर्भाव हुआ है. परंतु यही सब कुछ नहीं है. विज्ञान का भी एक दायरा है, एक मर्यादा है. उसके आगे कुछ नहीं, यह मानना गलत है.
बाहर के साथ-साथ अंदर भी देखना भारतीय सनातन संस्कृति की विशेषता
मोहन भागवत ने आगे कहा कि यह भारतीय सनातन संस्कृति की विशेषता है कि हमने बाहर देखने के साथ-साथ अंदर देखना भी प्रारंभ किया. हमने अंदर तह तक जाकर जीवन के सत्य को जान लिया. इसका और विज्ञान का विरोध होने का कोई कारण नहीं है. जानो तब मानो. अध्यात्म में भी यही पद्धति है. साधन अलग है. अध्यात्म में साधन मन है. मन की ऊर्जा प्राण से आती है. यह प्राण की शक्ति जितनी प्रबल होती है उतना ही उसे पथ पर आगे जाने के लिए आदमी समर्थ होता है.
ये भी पढ़ें- Mohan Bhagwat AI Push: मोहन भागवत का AI पर जोर, युवाओं को जोड़ने के लिए RSS की नई इमेज बनाने की स्ट्रैटजी
भारतीय संस्कृति में सब कुछ वैज्ञानिक, बिना कारण का कोई नियम नहीं
स्वामी अवधेशानंद गिरि ने कहा कि प्राण का आधार परमात्मा है जो सर्वत्र है. प्राण की सत्ता परमात्मा से ही है, उसमें स्पंदन है, उसी से चेतना है, उसी से अभिव्यक्ति है, उसी से रस संचार है और वहीं जीवन है. प्राण चैतन्य होता है. वहीं, मुकुल कानिटकर ने कहा कि भारतीय संस्कृति में सब कुछ वैज्ञानिक है. आयुर्वेद, वास्तुशास्त्र, स्थापत्य के साथ ही दिनचर्या और ऋतुचर्या के सभी नियम भी बिना कारण के नहीं है. हज़ार वर्षों के संघर्षकाल में इस शास्त्र का मूल तत्व विस्मृत हो गया. वही प्राणविद्या है. सारी सृष्टि में प्राण आप्लावित है. उसकी मात्रा और सत्व-रज-तम गुणों के अनुसार ही भारत में जीवन चलता है.
ये भी पढ़ें- Mohan Bhagwat: चुनावी रैलियों में लोगों को क्यों कहना पड़ता है हमने गरीबी झेली... RSS प्रमुख मोहन भागवत ने बताई वजह