नई दिल्ली: कोरोना वायरस की सबसे बड़ी ताकत ये है कि ये वायरस बहुत तेजी से फैलता है. ये अंदाजा लगाना भी मुश्किल हो जाता है कि कब संक्रमण के मामले एक से बढ़कर एक हजार हो जाएंगे और कब दस हजार हो जाएंगे. 


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भारत में संक्रमण के पहले 100 मामले होने में 44 दिन लगे थे. इसके बाद 31 दिन में ही संक्रमण के मामले 10 हजार के पार हो गए थे. हम आपको पूरा दुनिया का आंकड़ा दिखाते हैं. ये आंकड़ा बहुत डरा देने वाला है.


दुनिया में कोरोना संक्रमण के मामले 20 लाख के पार हो चुके हैं. पहले 10 लाख मामले आने में 137 दिन लगे थे. लेकिन इसके बाद 10 लाख मामले आने में सिर्फ 13 दिन लगे. 


हमारे यहां बहुत सारे लोग ये सवाल उठाते हैं कि भारत में उतने कोरोना टेस्ट नहीं किए जा रहे हैं, जितने टेस्ट किए जाने चाहिए. कई लोग ये कहते हैं कि ज़्यादा टेस्ट नहीं होने की वजह से ही संक्रमण के मामले कम हैं. लेकिन ये सवाल आंकड़ों के सामने नहीं टिकते. 


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भारत में अब तक करीब 2 लाख 90 हजार लोगों के टेस्ट हुए हैं. जिनमें साढ़े 12 हजार से ज्यादा लोग Positive पाए गए हैं. यानी भारत में कुल टेस्ट के हिसाब से 4 प्रतिशत लोग ही Positive पाए जा रहे हैं. पिछले कई हफ्तों से ये आंकड़ा 4 से 5 प्रतिशत के दायरे में ही है. कोरोना टेस्टिंग के मामले में अगर दूसरे देशों से भारत की तुलना की जाए तो
जापान में औसतन 11.7 व्यक्तियों का टेस्ट करने पर एक कोरोना Positive मिलता है. इटली में 6.7 व्यक्तियों का टेस्ट करने पर एक कोरोना Positive मिलता है. अमेरिका में औसतन 5.3 व्यक्तियों का टेस्ट करने पर एक व्यक्ति कोरोना Positive मिलता है. ब्रिटेन में औसतन 3.4 व्यक्तियों का टेस्ट करने पर एक व्यक्ति कोरोना Positive मिलता है. लेकिन भारत में 24 टेस्ट होते हैं, तब एक कोरोना Positive मिलता है.


यहां आपको ये भी ध्यान रखना होगा कि अभी सिर्फ उन्हीं लोगों के टेस्ट होते हैं, जिनमें कोरोना संक्रमण का सबसे ज़्यादा संदेह होता है. अगर इन टेस्ट में 24 में से सिर्फ एक व्यक्ति में ही कोरोना संक्रमण पाया जा रहा है, तो फिर सबके टेस्ट करने का कोई तुक नहीं बनता. वैसे भी भारत 135 करोड़ लोगों का देश है. इतनी बड़ी संख्या में टेस्ट नहीं किए जा सकते. किसी व्यक्ति पर संक्रमण का संदेह होने के बाद ही टेस्ट किए जाने में ही समझदारी है.