नई दिल्ली: पिछले कुछ दिनों में आपने कोरोना वायरस (Coronavirus) की तीन वैक्सीन के बारे में अच्छी खबरें सुनी होंगी. आज हम वैक्सीन (Vaccine) बन जाने के बाद आने वाली समस्याओं की बात करेंगे. लेकिन सबसे पहले कोरोना वायरस वैक्सीन के बारे में आई खबर से जुड़ी बड़ी बातें जान लीजिए.


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अगले वर्ष के अंत तक वैक्सीन की 130 करोड़ डोज का निर्माण
अमेरिका (America) की फार्मा कंपनी फाइजर ने दावा किया है कि उसकी वैक्सीन 95 प्रतिशत तक प्रभावशाली है और ये नतीजे इस वैक्सीन के अंतिम चरण के परीक्षण के बाद आए हैं. अब फाइजर जल्द ही, आपात स्थिति में इस वैक्सीन के इस्तेमाल की मंजूरी लेगी और अगर उसे ये मंजूरी मिल गई तो इस वर्ष के अंत तक वैक्सीन की 5 करोड़ डोज तैयार हो सकती हैं. वहीं अगले वर्ष के अंत तक वैक्सीन की 130 करोड़ डोज का निर्माण किया जा सकता है. दावा किया जा रहा है कि इस वैक्सीन में कोई बड़े साइड इफेक्ट्स नहीं हैं और 65 वर्ष की उम्र से बड़े लोगों पर ये वैक्सीन 94 प्रतिशत तक कारगर रही है.


इतने कम समय में कोरोना वैक्सीन का निर्माण एक नया रिकॉर्ड
एक हफ्ते पहले फाइजर की वैक्सीन के शुरुआती नतीजे आए थे और तब इसके 90 प्रतिशत तक कामयाब होने का दावा किया गया था. यानी एक हफ्ते बाद आए अंतिम चरण के नतीजों में इस वैक्सीन की सफलता दर 5 प्रतिशत बढ़ गई है. किसी भी वैक्सीन के निर्माण में वर्षों का समय लगता है और आप कह सकते हैं कि इतने कम समय में कोरोना वैक्सीन का निर्माण एक नया रिकॉर्ड है. अब अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ भी इस वैक्सीन की सफलता को एक बड़ी कामयाबी मान रहे हैं.


वैक्सीन की सफलता दर के साथ ही कंपनियों की मार्केट वैल्यू भी बढ़ रही
दो दिन पहले अमेरिका की एक और फार्मा कंपनी मॉडर्ना (Moderna) ने अपनी कोरोना वैक्सीन के 94 प्रतिशत से ज्यादा कामयाब होने का दावा किया था और 95 प्रतिशत सफलता के साथ अब फाइजर दुनिया में सबसे आगे है और ये आपके लिए एक अच्छी खबर है. अगर कोई वैक्सीन 50 प्रतिशत तक भी प्रभावी हो तो उसे बड़ी सफलता माना जाता है और आपात स्थिति में ऐसी वैक्सीन को मंजूरी भी मिल जाती है. जिस तरह वैक्सीन की सफलता दर बढ़ रही है उसे बनाने वाली कंपनियों की मार्केट वैल्यू भी बढ़ रही है.


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कोरोना वैक्सीन का उत्पादन करने में 4 बड़ी समस्याएं
कोरोना वैक्सीन (Coronavirus Vaccine) को लेकर दुनिया भर में रिसर्च जारी है. हालांकि वैक्सीन पर रिसर्च ही काफी नहीं है. इसे दुनिया भर के लगभग 750 करोड़ लोगों तक पहुंचाना भी एक बड़ी चुनौती है. अब आप ये समझिए कि बड़े पैमाने पर कोरोना वैक्सीन का उत्पादन करने में 5 बड़ी समस्याएं क्या हो सकती हैं.


-एक्सपर्ट्स के मुताबिक अमेरिका की कंपनी Nova vax की वैक्सीन में शार्क मछली के Liver का तेल, एक खास पेड़ की छाल और लगभग 500 अलग-अलग चीजों का इस्तेमाल होता है. हालांकि दूसरी फार्मा कंपनियों ने अपनी वैक्सीन के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है और ऐसा किए जाने की संभावना भी नहीं के बराबर है क्योंकि, अभी दुनिया की जो भी कंपनी कोरोना वैक्सीन बनाकर लॉन्च करेगी. उसे वैक्सीन बनाने का बड़ा ऑर्डर मिल जाएगा.


- वैक्सीन बनाने में एक विशेष प्रकार के पेड़ की छाल का इस्तेमाल किया जाता है और इसमें आपके Immunity System को मजबूत बनाने वाले गुण हैं ये पेड़ दक्षिण अमेरिका में पाया जाता है और ये इलाका अभी सूखे की चपेट में है. एक और समस्या ये भी है कि वर्ष के कुछ महीनों में ही इस छाल को निकाला जा सकता है.



- वैक्सीन में शार्क मछली के लीवर के तेल का इस्तेमाल होना अगली बड़ी चुनौती है. पर्यावरण-विदों को आशंका है कि अब वैक्सीन बनाने के लिए ज्यादा संख्या में शार्क मछली का शिकार किया जाएगा और अब समुद्र में शार्क की कई प्रजातियां विलुप्त हो सकती हैं.


- वैक्सीन के लिए Via (वायल)l यानी शीशियां Boro-silicate Glass से तैयार की जाती हैं. किसी आम ग्लास के मुकाबले ये ज्यादा तापमान को भी बर्दाश्त कर सकती हैं. एक अनुमान के मुताबिक वैक्सीन के निर्माण के लिए 20 करोड़ Vial का इस्तेमाल किया जा रहा है. हालांकि दुनिया भर में वैक्सीन को पहुंचाने के लिए इन वायल के उत्पादन को बढ़ाना भी एक बड़ी चुनौती है. यानी वैक्सीन बनाने का फॉर्मूला तैयार करने के बाद भी कोरोना वायरस को खत्म करना मुश्किल होगा.


 6 महीने तक वैक्सीन को सुरक्षित रखने की चुनौती
अब तक फाइजर वैक्सीन को माइनस 70 डिग्री सेल्सियस तापमान पर स्टोर करने को एक चुनौती माना जा रहा था. हालांकि अमेरिका की एक और कंपनी मॉडर्ना ने दावा किया है कि उसकी वैक्सीन साधारण फ्रिज के तापमान पर स्टोर हो सकती है.


 6 महीने तक वैक्सीन को सुरक्षित रखने के लिए उसे केवल माइनस 20 डिग्री के तापमान की जरूरत होती है. यानी वैक्सीन को स्टोर करके रखने की समस्या का समाधान हो गया है. हालांकि करोड़ों की संख्या में वैक्सीन को बनाने, उसे स्टोर करने और फिर उसे उचित तरीके से लोगों तक पहुंचाने की प्रक्रिया बहुत जटिल होगी और ये लंबे समय तक चल सकती है.


एक चम्मच कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को संक्रमित कर दिया
आज आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि सिर्फ एक चम्मच कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को संक्रमित कर दिया है.


- एक अनुमान के मुताबिक दुनिया भर में कोरोना वायरस की कुल मात्रा लगभग 8 मिली लीटर है. औसतन एक चम्मच यानी Spoon की क्षमता लगभग 6 ML होती है और कोरोना वायरस की सिर्फ एक चम्मच से ज्यादा मात्रा से दुनिया के 5 करोड़ 60 लाख से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं.


- Australia के एक गणितज्ञ Matt Parker ने खुद के बनाए हुए एक फॉर्मूले के आधार पर ये अनुमान लगाया है. सबसे पहले उन्होंने ये पता लगाया कि कोरोना वायरस की कितनी मात्रा से लोग संक्रमित हो जाते हैं. इसके बाद उन्होंने दुनिया भर में हर दिन कम से कम 3 लाख लोगों के संक्रमित होने का एक आंकड़ा लिया.


- इस फॉर्मूले के आधार पर Matt Parker ने विश्व में Covid-19 से संक्रमित लोगों के शरीर में कोरोना वायरस की मात्रा की गणना की है.



- कोरोना वायरस का आकार इतना छोटा होता है कि आप इन्हें अपनी आंखों से देख नहीं सकते हैं. मनुष्य की एक कोशिका का साइज करीब 100 माइक्रोमीटर होता है. ये हमारे सिर पर पाए जाने वाले एक बाल की चौड़ाई के लगभग बराबर है और इंसानों की कोशिकाओं का आकार Covid-19 वायरस के आकार से 10 लाख गुना अधिक होता है.


Matt Parker के मुताबिक कोरोना वायरस असल में एक तरह के कम्प्यूटर कोड की तरह है, जो इंसानों के सिस्टम यानी कोशिकाओं में गड़बड़ी पैदा करता है और इस वायरस ने इंसानों के साथ पूरी दुनिया के सिस्टम को भी संक्रमित कर दिया है.


कोरोना वायरस की वजह से बढ़ गई स्कूलों की मुश्किलें
देश में कोरोना वायरस की वजह से स्कूलों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. हरियाणा के रेवाड़ी जिले के 13 स्कूलों में 103 बच्चों में कोरोना का संक्रमण पाया गया है और अब हरियाणा के स्कूलों में रैंडम टेस्टिंग शुरू हो गई है, हालांकि सरकार ने तय किया है कि सभी स्कूलों और सभी छात्रों का टेस्ट नहीं किया जाएगा. हरियाणा सरकार की गाइडलाइंस के मुताबिक किसी स्कूल में अगर एक भी बच्चा कोरोना पॉजिटिव मिलेगा तो उस स्कूल को 14 दिनों के लिए बंद कर दिया जाएगा. हरियाणा में 2 नवंबर से 9वीं से 12वीं कक्षा तक के स्कूलों को खोला गया था. देश के कई राज्य हरियाणा के 'स्कूल अनलॉक मॉडल' पर ध्यान दे रहे थे, उन्हें उम्मीद थी कि अगर हरियाणा के स्कूलों में कोविड 19 का संक्रमण नहीं फैला तो वो भी अपने राज्य में ऐसा ही करेंगे. लेकिन अब हरियाणा के स्कूलों में कोरोना फैलना शुरू हो गया, जिसने सरकारी की चुनौती बढ़ा दी है.