नई दिल्‍ली: आज हाफिज सईद की तरह ही छत्तीसगढ़ हमले के मास्‍टरमाइंड माडवी हिडमा को भी पकड़ा जाना जरूरी है. हालांकि नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई में हमारे जवानों के हाथ मानवाधिकारों की बेड़ियों से बंधे होते हैं. हम आतंकवादियों से तो सख्‍ती से निपट सकते हैं, भारत में आतंकवाद एक्सपोर्ट करने वाले पाकिस्तान पर भी स्ट्राइक कर सकते हैं, लेकिन नक्सलियों के खिलाफ हम ऐसा नहीं करते क्योंकि, ये लड़ाई अपनों के खिलाफ है और इस लड़ाई में हमारे हाथ बंधे हुए हैं. इसे आप कुछ उदाहरणों से समझ सकते हैं. 


मानवाधिकारों के उल्लंघन के गंभीर आरोप 


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-श्रीलंका में दो दशकों तक आतंकवादी संगठन Liberation Tigers of Tamil Eelam के खिलाफ संघर्ष चला. ये लोग तमिल भाषी लोगों का एक अलग देश बनाना चाहते थे, लेकिन कई वर्षों के संघर्ष के बाद वर्ष 2009 में श्रीलंका की सेना ने इस आतंकवादी संगठन का सफाया कर दिया, लेकिन इस दौरान उन पर मानवाधिकारों के उल्लंघन के कई गंभीर आरोप लगे.


-आज 12 वर्षों के बाद भी श्रीलंका पर अंतरराष्‍ट्रीय संगठनों का भारी दबाव है, जो चाहते हैं कि श्रीलंका अपनी सेना के आरोपी अधिकारियों के खिलाफ जांच कराए. इसे आप 23 मार्च के फैसले से भी समझ सकते हैं, जिसमें संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकारों की अध्यक्ष को इन मामलों की जांच के लिए नियुक्त कर दिया गया है. 


-श्रीलंका के मौजूदा सेना प्रमुख शवेंद्र सिल्‍वा पर भी इन्हीं वजहों से अमेरिका ने प्रतिबंध लगा दिया है. सोचिए, एक देश के सेना प्रमुख को अमेरिका ने इसलिए प्रतिबंधित कर दिया क्योंकि, उन्होंने आतंकवादी संगठन LTTE के खिलाफ संघर्ष का नेतृत्व किया. अमेरिका मानता है कि ऐसा करते हुए उन्होंने मानवाधिकारों का ध्यान नहीं रखा. 


नक्‍सल का इतिहास


-वर्ष 1967 में पहली बार नक्सल शब्द इस्तेमाल हुआ. उस समय पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी गांव में एक किसान आंदोलन शुरू हुआ था, जिसके तहत जमींदारों की हत्या की गई थी. यानी नक्सल शब्द पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी गांव से निकला है.


-आज भारत के ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल के कुछ इलाकों में नक्सलियों का प्रभाव है, जहां सुरक्षा बलों पर इस तरह के हमले होते रहते हैं.


-वर्ष 2010 में भारत के 200 जिले नक्सल प्रभावित थे, हालांकि अब नक्सलियों की जड़ें कमजोर होने के साथ सीमित होने लगी हैं.



-अगर पिछले 20 वर्षों की बात करें तो इस दौरान हमारे देश में हुए नक्सली हमलों में 12 हजार लोग मारे गए हैं. 


नक्‍सलियों के पास आधुनिक हथियार और पैसा कहां से आता है?


कई लोगों के मन में ये सवाल होगा कि इन नक्सलियों के पास इतने आधुनिक हथियार और पैसा कहां से आता है? यहां हम आपको इसके बारे में भी बताएंगे-


-नक्सलियों से जुड़े ये संगठन आदिवासी इलाकों में तेंदू लीव्‍स या तेंदू के पत्‍तों के एक बैग पर 350 रुपये टैक्स लगाते हैं. टेंडु एक प्रसिद्ध वृक्ष है, जिसके पत्ते शीशम की तरह गोल नोकदार और चिकने होते हैं.


-इसके अलावा ये अवैध खनन से भी पैसा कमाते हैं. छत्तीसगढ़ और झारखंड में भारत की 40 प्रतिशत कोयला खदाने हैं.


- यहां बड़ी तादाद में लोहा, चूना पत्थर और बॉक्‍साइट नाम के कीमती पत्थर मौजूद हैं, जिन्हें ये चोरी छिपे बेच कर पैसा कमाते हैं. 


-नक्सलियों से जुड़े कई बड़े संगठनों को विदेशों से भी फंडिंग मिलती है. वर्ष 2011 की एक खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, नक्सलियों के पास ढाई हजार करोड़ रुपये के फंड मौजूद हैं. सोचिए, ये आंकड़ा 10 वर्ष पुराना है, जिससे आप आज की स्थिति को भी आप आसानी से समझ सकते हैं.


-नक्सलियों के बड़े नेता मिसिर बेसरा ने अपनी  गिरफ्तारी के बाद ये खुलासा किया था कि उसने वर्ष 2007 में एक हजार करोड़ रुपये इकट्ठे कर लिए थे और इन पैसों से नक्सली संगठनों को मजबूत किया गया और उन्हें आधुनिक हथियार उपलब्ध कराए गए.