नई दिल्‍ली:  कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 70वां दिन है. धीरे-धीरे किसान आंदोलन पर सरकार का रुख सख़्त होता जा रहा है. आपने किलाबंदी के बारे में जरूर सुना होगा. पुराने जमाने में दुश्मन के हमलों से बचने के लिए किले बनाए जाते थे. ताकि दुश्मन नजदीक से वार नहीं कर पाए.  पर क्या सुरक्षा के लिए आपने कभी कीलबंदी देखी है? दिल्ली के जिन 3 बॉर्डर्स पर किसानों का आंदोलन चल रहा है.  वहां पर पुलिस ने कीलबंदी कर दी है. सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर कीलें लगाई गई हैं.  ताकि प्रदर्शनकारी फिर से दिल्ली में घुसकर हिंसा नहीं कर पाएं. 


दिल्ली पुलिस को हिंंसा की आशंका


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6 फरवरी को किसान एकता मोर्चा ने देशभर में 3 घंटे चक्का जाम का ऐलान किया है. दिल्ली पुलिस को आशंका है कि इस दिन भी 26 जनवरी जैसी हिंसा हो सकती है. प्रदर्शनकारी फिर से ट्रैक्टर के साथ दिल्ली में घुसने की कोशिश कर सकते हैं.  जिसे रोकने के लिए बॉर्डर्स पर लोहे और सीमेंट की दीवार खड़ी कर दी गई है. टीकरी बॉर्डर पर पहले 4 फीट मोटी सीमेंट की दीवार बनाई गई है, फिर सड़क खोदकर वहां नुकीली कीलें लगाई गई हैं. दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर भी लोहे के कंटीले तार, सीमेंट के बैरिकेड और नुकीली मोटी कील लगाई गई है.


सिंघु बॉर्डर पर भी किसानों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए रास्ते पर कंटीले तार, सीमेंट के बैरिकेड और नुकीली कीलों की सुरक्षा दीवार खड़ी कर दी गई है. 


आपको याद होगा 26 जनवरी को दिल्ली पुलिस के कुछ जवानों पर तलवार से हमला किया गया था.  पुलिस के हाथ में लकड़ी की लाठी थी जिससे उनका बचाव नहीं हो सका. सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन में एक व्यक्ति ने पुलिस अधिकारी पर भी तलवार से हमला किया था.  लेकिन इस बार तलवार वाले हमले को रोकने का भी इंतजाम पुलिस ने किया है. 


जवानों को दी गई स्‍टील की लाठी


दिल्ली पुलिस के 60 जवानों को स्टील की लाठी दी गई है. इसका काम है, तलवार से हुए हमले से जवानों को बचाना. 


प्रदर्शनकारियों से दिल्ली को बचाने के लिए जिस तरह दिल्ली के बॉर्डर की कीलबंदी की गई है. वो कई नेताओं को अच्छी नहीं लग रही है.  उन्हें लग रहा है कि ये दिल्ली का बॉर्डर नहीं है, चीन और पाकिस्तान से जुड़ी देश की सीमा है, जहां दुश्मनों को रोकने के लिए ऐसे इंतज़ाम किए गए हैं. हालांकि पुलिस ने तो सड़क पर कीलें लगाई हैं. लेकिन राजनीतिक दलों के नेता आंदोलन में कील गाड़ने का काम कर रहे हैं. राजनीति से दूर रहने वाले किसान नेता अब हर दल के नेता को गले लगा रहे हैं.  इससे आंदोलन गलत रास्ते पर जा सकता है.


शिवसेना नेता संजय राउत कल 2 फरवरी को पार्टी के कुछ सांसदों के साथ गाजीपुर बॉर्डर गए, जहां उन्होंने किसान नेता राकेश टिकैत से मुलाकात की.  इसके बाद आंदोलन में नई मांगें भी जुड़ गई हैं. 


विपक्षी नेताओं को जवानाें की कोई चिंता नहीं  


आज विपक्षी नेताओं को फिर से किसानों की चिंता हो रही है. लेकिन उन्हें दिल्ली पुलिस की थोड़ी भी फिक्र नहीं है. दिल्ली में 26 जनवरी के दिन जो हिंसा हुई उसमें 510 पुलिसकर्मी जख्मी हुए हैं. तब पुलिस ने संयम दिखाया था और किसी भी प्रदर्शनकारी पर तुरंत एक्शन नहीं लिया था.  


आपको याद होगा 2 दिन पहले अकाली दल के नेता और सांसद सुखबीर सिंह बादल ने गाजीपुर बॉर्डर पर किसान नेता राकेश टिकैत से मुलाकात की थी. सुखबीर बादल ने तब किसान आंदोलन में राकेश टिकैत को समर्थन देने का ऐलान किया था. तब सुखबीर बादल को अपने पिता प्रकाश सिंह बादल और महेंद्र सिंह टिकैत की दोस्ती भी याद आई थी. 


सुखबीर सिंह बादल के काफिले पर हमला


कल 2 फरवरी पंजाब के जलालाबाद में सुखबीर सिंह बादल के काफिले पर हमला हुआ और उनकी कार को नुकसान भी हुआ. अकाली दल का दावा है कि ये हमला सुखबीर सिंह बादल की हत्या करने की नीयत से किया गया था. हमले के विरोध में सुखबीर बादल धरने पर बैठ गए और दावा किया कि हमला कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने किया है. 



पंजाब में सत्ता की चाबी किसानों के पास ही होती है. ये बात अकाली दल भी जानता है और कांग्रेस पार्टी भी जानती है. इसलिए अब दोनों ही पार्टियों का पूरा फोकस किसानों का समर्थन हासिल करना है. नए कृषि कानूनों के पास होने के बाद सुखबीर बादल ने किसानों के समर्थन में NDA से रिश्ते तोड़ लिए थे और उनकी पत्नी हरसिमरत बादल जो कि केंद्र सरकार की मंत्री थी, उन्होंने इस्तीफा दे दिया था. 


किसानों पर कांग्रेस की राजनीति 


किसानों पर राजनीति में कांग्रेस भी बैक फुट पर बिल्कुल नहीं दिखना चाहती है. पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा है कि वो कृषि कानूनों को खारिज करने के लिए फिर से विधानसभा में संशोधन बिल लाएंगे. 


कल संसद में भी किसान बिल पर कांग्रेस और विपक्षी सांसदों ने शांति से संसद की कार्यवाही नहीं चलने दी. लोकसभा में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि हंगामा छोड़कर अगर चर्चा की जाती तो सदन का समय बच जाता.  कल दिल्ली में एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार से कुछ किसान नेताओं ने मुलाकात की.  2 दिन पहले सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री ने विपक्षी नेताओं से कहा था कि वो भी किसान आंदोलन पर किसानों से बात करें. शरद पवार से किसान नेताओं से कहा कि वो विपक्ष के नेताओं की बैठक बुलाएं और फिर प्रधानमंत्री से बात करें.