नई दिल्ली: आज हम स्वस्थ प्रतियोगिता की बात करेंगे. खेल हो, राजनीति हो, वोटों की लड़ाई हो या फिर परिश्रम की लड़ाई हो. प्रतियोगिता सब जगह होती है. अक्सर प्रतिद्वंद्वी एक दूसरे से ईर्ष्या करते हैं, एक दूसरे की हार की कामना करते हैं और षड्यंत्र करते हैं कि प्रतिद्वंद्वी कैसे खेल से बाहर हो जाए. लेकिन राफेल नडाल और रॉजर फेडरर ने सिखाया है कि आप एक दूसरे को शुभकामनाएं भी दे सकते हैं और बिना दूसरे की लकीर मिटाए अपनी लकीर को बड़ा करने के साथ साथ अपने खेल को बेहतर भी बना सकते हैं. इसलिए आज इन दोनों खिलाड़ियों की इस स्वस्थ प्रतियोगिता का विश्लेषण हम करेंगे.


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प्रतियोगिता ने दो महान खिलाड़ियों को एक दूसरे का दुश्मन नहीं बनाया...
पिछले 16 वर्षों से अंतरराष्ट्रीय टेनिस की दुनिया में दो महान खिलाड़ियों के बीच एक दूसरे को गले लगाने वाली एक ऐसी स्वस्थ प्रतियोगिता चल रही है, जिससे हम बहुत कुछ सीख सकते हैं. 


हमारे इस विश्लेषण के केंद्र में हैं मशहूर टेनिस खिलाड़ी रॉजर फेडरर और राफेल नडाल जो खेल के मैदान में पिछले कई वर्षों से एक दूसरे के कट्टर प्रतिद्वंद्वी हैं. लेकिन इस प्रतियोगिता ने दोनों को एक दूसरे का दुश्मन नहीं बनाया, बल्कि इस प्रतियोगिता ने रॉजर फेडरर और राफेल नडाल को बेहतर खिलाड़ी बनने के साथ साथ अच्छा इंसान बनने में भी मदद की है. दो दिन पहले राफेल नडाल ने फ्रांस की राजधानी पेरिस में अपने करियर का बीसवां ग्रैंड स्लैम खिताब जीता था. इस जीत के साथ राफेल नडाल ने रॉजर फेडरर के 20 ग्रैंड स्लैम खिताब की बराबरी कर ली. इस जीत पर बधाई देते हुए रॉजर फेडरर ने राफेल नडाल के नाम ट्विटर पर एक संदेश लिखा.


उन्होंने अपने इस संदेश में लिखा है, 'मैंने हमेशा एक इंसान और चैंपियन के नाते राफा का सम्मान किया है. मेरा मानना ​​है कि वर्षों से मेरे सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी के रूप में, हमारे खेल ने एक दूसरे को बेहतर खिलाड़ी बनाने में मदद की है. 20वें ग्रैंड स्लैम की जीत पर आपको बधाई देना मेरे लिए एक सच्चा सम्मान है. मुझे उम्मीद है कि हम दोनों के लिए इस सफर में 20 सिर्फ एक और कदम है, ये यात्रा आगे भी जारी रहेगी.'


प्रतिद्वंद्वी से ईर्ष्या करने के बजाय उसके परिश्रम का सम्मान
इस संदेश को दुनिया के बड़े-बड़े राजनेताओं, बिजनेसमेन, खिलाड़ियों, अधिकारियों और संपादकों समेत हर इंसान को समझना चाहिए. खासकर उन लोगों को जो दिन रात एक दूसरे के साथ गलाकाट प्रतियोगिता में लगे रहते हैं और दूसरे की तरक्की इन्हें जरा भी पसंद नहीं आती. क्या आपने कभी अपने पड़ोसी या अपने प्रतिद्वंद्वी के लिए भी वैसी ही सफलता की कामना है. जैसी कामना आप अपने लिए करते हैं. अगर आप ऐसा नहीं कर पाते हैं तो आज आपको इन खिलाड़ियों के जीवन से वो बातें सीखनी चाहिए जो आपको स्वस्थ प्रतियोगिता का महत्व बताएगी.


-पहली बात ये कि आप प्रतिद्वंद्वी से ईर्ष्या करने के बजाय उसके परिश्रम का सम्मान कीजिए और उससे मित्रता कीजिए.


-दूसरी बात ये है कि आप अपने प्रतिद्वंद्वी का प्रदर्शन देखकर अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाएं यानी अपने प्रदर्शन में सुधार लाएं.


-तीसरी और सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि खुद को बेहतर साबित करने के लिए दूसरे का अपमान न करें. यानी दूसरे की लकीर को मिटाने की बजाय अपनी लकीर को लंबा करना सीखें.



स्वस्थ प्रतियोगिता सिर्फ टेनिस कोर्ट तक सीमित नहीं
रॉजर फेडरर और राफेल नडाल के बीच स्वस्थ प्रतियोगिता सिर्फ टेनिस कोर्ट तक सीमित नहीं है. इसी वर्ष अप्रैल में लॉकडाउन के दौरान दोनों ने इंस्टाग्राम पर एक दूसरे के साथ एक लाइव चैट यानी बातचीत की थी.


टेनिस कोर्ट में गेम, सेट और मैच के लिए जान लड़ाने वाले ये महान खिलाड़ी एक दूसरे से काफी खुश होकर बात कर रहे थे. इनकी मुस्कान बता रही थी कि दोनों कोर्ट के बाहर एक दूसरे का कितना सम्मान करते हैं. 39 वर्ष के रॉजर फेडरर और 34 वर्ष के राफेल नडाल के बीच संघर्ष की शुरुआत वर्ष 2004 में हुई थी.


मियामी मास्टर्स में राफेल नडाल ने तत्कालीन नंबर वन रॉजर फेडरर को सीधे सेटों में हराकर दुनिया को चौंका दिया था. बीते 16 वर्ष में दोनों खिलाड़ी 40 मैच एक दूसरे के खिलाफ खेल चुके हैं. इनमें नडाल के नाम 24 और फेडरर के नाम 16 जीत दर्ज है.


बीस-बीस ग्रैंड स्लैम जीतने के लिए इन्होंने कितना परिश्रम किया है इसे आप कुछ आंकड़ों की मदद से समझ सकते हैं.


हर वर्ष चार ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट खेले जाते हैं. ऑस्ट्रेलियन ओपन वर्ष की शुरुआत में होता है. राफेल नडाल ने इसे सिर्फ एक बार और रॉजर फेडरर ने 6 बार जीता है. फ्रेंच ओपन टाइटल की बात की जाए तो नडाल 13 खिताब अपने नाम कर चुके हैं. वहीं रॉजर फेडरर के नाम एक खिताब है. विम्बलडन का खिताब फेडरर ने 8 बार जीता है. वहीं रफाल नडाल सिर्फ 2 बार जीत सके हैं. यूएस ओपन में भी फेडरर का दबदबा कायम है.  ये खिताब उन्होंने 5 बार और नडाल ने 4 बार जीता है.


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