DNA ANALYSIS: Made in China कोरोना वैक्सीन पर कितना भरोसा, क्या आप लगवाएंगे?
जिस चीन ने दुनिया को कोरोना वायरस दिया अब वही चीन दुनिया को वैक्सीन देने का दावा कर रहा है. चीन ने कहा है कि उसने कोरोना वायरस की वैक्सीन बना ली है. चीन का ये भी दावा है कि उसने एक नहीं, बल्कि 2-2 वैक्सीन बना ली है.
नई दिल्ली: जिस चीन ने दुनिया को कोरोना वायरस दिया अब वही चीन दुनिया को वैक्सीन देने का दावा कर रहा है. चीन ने कहा है कि उसने कोरोना वायरस की वैक्सीन बना ली है. चीन का ये भी दावा है कि उसने एक नहीं, बल्कि 2-2 वैक्सीन बना ली है.
चीन के मुताबिक, उसकी 2 कंपनियों सिनोफार्म ( Sinopharm) और सिनोवैक (Sinovac) के वैक्सीन ट्रायल पूरे होने वाले हैं और इसी वर्ष नवंबर महीने से वैक्सीन इस्तेमाल के लिए उपलब्ध हो जाएगी.
जब भी आप किसी चाइनीज प्रोडक्ट के बारे में सुनते हैं तो आपके मन में क्या विचार आता है? आप सोचते होंगे कि ये बहुत सस्ता होगा. ये भी सोचते होंगे कि इस पर कितना भरोसा किया जाए.
सस्ते के चक्कर में आपने भी कई बार चाइनीज सामान खरीदा होगा. लेकिन यहां बात जिंदगी बचाने वाली वैक्सीन की हो रही है.
आपका जीवन दांव पर लगा है...
अब एक बार आप खुद से पूछिए कि अगर आपको चीन की वैक्सीन मिल जाए तो क्या आप उसे लगवाना चाहेंगे. जाहिर है Made In China खिलौने या फोन खरीदने और Made In China वैक्सीन खरीदने में बहुत बड़ा अंतर है. यहां आपका जीवन दांव पर लगा है.
वैसे तो भारत ने अभी तक चीन की वैक्सीन को खरीदने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है. लेकिन इससे पहले कि आप सस्ता, सुंदर और टिकाऊ वाले फेर में पड़ें, हम आपको ये भी बता देते हैं कि जो कंपनियां इन वैक्सीन को बना रही हैं, वो कितनी विश्वसनीय हैं.
चीन में वैक्सीन बना रही दोनों कंपनियों पर खुद वहां के लोगों का भरोसा नहीं है. इन दोनों कंपनियों की साख सवालों के घेरे में है.
चीन की सरकारी कंपनी बना रही वैक्सीन
एक वैक्सीन चीन की सरकारी कंपनी Sinopharm Group बना रही है. इस ग्रुप की संस्था The Wuhan Institute of Biological Products की वैक्सीन टेस्टिंग दूसरे चरण में है. वर्ष 2018 में इस कंपनी पर लाखों बच्चों को Diphtheria, Tetanus और खांसी की घटिया वैक्सीन देने के घोटाले में शामिल होने का आरोप लग चुका है. इस कंपनी के खिलाफ चीन में 2 बार अदालतों में मुकदमा भी चला है. जिसमें कोर्ट ने पीड़ितों को 71 हजार 500 डॉलर हर्जाना देने का आदेश दिया था.
चीन की एक और कंपनी जिसका नाम Sinovac है, वो भी वुहान वायरस की वैक्सीन बना रही है. Sinovac कंपनी पर दवा को मंजूरी देने वाले विभाग के अधिकारियों को 50 हजार अमेरिकी डॉलर की रिश्वत देने का आरोप है. 2002 से 2014 के बीच कंपनी ने अपनी दवाओं के लाइसेंस ऐसे ही रिश्वत देकर हासिल किए थे.
वैक्सीन बनाने की रेस में दुनिया की लगभग 150 कंपनियां
जिस वैक्सीन का ट्रायल अभी पूरा नहीं हुआ है, चीन अभी से उसे कई देशों को बेचने का दावा कर रहा है. हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जब कोरोना वायरस शुरू हुआ था तब चीन ने दुनिया के कई देशों को PPE और टेस्टिंग किट ऊंचे दामों पर बेचे थे. लेकिन वो सब घटिया साबित हुए थे. लेकिन चीन अब भी सुधरने को तैयार नहीं है और कोरोना वायरस के बहाने कमाई की कोशिश में जुटा हुआ है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO और यूनाइटेड नेशंस से लेकर बिल गेट्स तक सभी अगले वर्ष वैक्सीन के आने की बात कर रहे हैं. इसका मतलब है कि चीन की वैक्सीन के दावे पर किसी ने संज्ञान लेना भी जरूरी नहीं समझा.
वैक्सीन बनाने की रेस में दुनिया की लगभग 150 कंपनियां लगी हैं लेकिन चीन इकलौता है जो वैक्सीन बनाने से पहले ही बेचना भी शुरू कर चुका है.
फिलीपींस चीन की वैक्सीन खरीदने को तैयार
चीन के दावे के मुताबिक उसने फिलीपींस को कोरोना की वैक्सीन बेचने की डील कर ली है. फिलीपींस और चीन के बीच लंबे समय से South China Sea का विवाद चल रहा है. फिलीपींस के तीन द्वीपों पर चीन अपना कब्जा जताता रहा है. लेकिन फिर भी चीन ने ये दावा किया है कि फिलीपींस चीन की वैक्सीन खरीदने को तैयार हो गया है.
- कोरोना की वैक्सीन के नाम पर चीन ने कर्ज का खेल भी शुरू कर दिया है. जिसे दुनिया में DEBT DIPLOMACY के नाम से जाना जाता है और चीन इसके लिए बदनाम भी है. चीन ने घोषणा की है कि वो वैक्सीन खरीदने के लिए LATIN AMERICA और CARIBBEAN NATIONS को 1 बिलियन डॉलर का लोन देगा.
- चीन ने बांग्लादेश से वादा किया है कि वो बांग्लादेश को कोरोना वैक्सीन की 1 लाख डोज मुफ्त देगा. लेकिन चीन कभी भी मुफ्त का सौदा नहीं करता है. बांग्लादेश बदले में चीन की Sinovac कंपनी को अपने यहां वैक्सीन ट्रायल की अनुमति देगा.
- चीन की दूसरी कंपनी SINOPHARM ने लैटिन अमेरिकी देश पेरू में एक टीम भेजी है, जो वहां वैक्सीन के ट्रायल के लिए 6 हजार वॉलेंटियर्स (Volunteers) तैयार करेगी.
- इंडोनेशिया भी चाहता है कि चीन की वैक्सीन उसके देश को मिले. फिलीपींस और इंडोनेशिया को कोरोना की वैक्सीन देने के पीछे चीन की मंशा ये है कि वो वैक्सीन के अहसान तले विवादों को दबाए रखे और ये दोनों देश चीन के लिए चुनौती न बनें.
Made In China का ठप्पा लगा हो तो उस पर कोई कैसे भरोसा करे?
चीन Quantity यानी थोक में सामान बनाना तो जानता है लेकिन Quality से कोई सरोकार नहीं रखता. भरोसे की कसौटी पर न कभी चीन की सेना और सरकार खरी उतरी है और न ही चीन का सामान. ऐसे में जीवन देने वाली वैक्सीन पर अगर Made In China का ठप्पा लगा हो तो उस पर कोई कैसे भरोसा करेगा.
Zee News पर हमने Made In India Campaign चलाई थी जिसमें हमने आपसे चीनी सामान के बहिष्कार की अपील की थी. इस मुहिम को जबरदस्त समर्थन मिला था. इस मुहिम से 6 करोड़ से भी ज्यादा लोग जुड़े थे, इसलिए हम दावे के साथ कह सकते हैं कि मुफ्त में कोरोना वायरस बांटने वाला चीन मुफ्त में भी वैक्सीन दे दे तो भी इस बारे में सोचना बेकार है.
वैक्सीन 2 महीने के भीतर तैयार हो जाएगी
चीन ने दुनिया को कोरोना वायरस दिया. अब चीन वैक्सीन बनाने का दावा कर रहा है. इस चाइनीज दावे पर कितना यकीन करेंगे आप ?
कोरोना महामारी को शुरू हुए 9 महीने हो चुके हैं. जिन देशों में वैक्सीन की खोज पर काम चल रहा है, वहां के वैज्ञानिक कह रहे हैं कि वर्ष 2021 से पहले वैक्सीन मिलना संभव नहीं है यानी वैक्सीन के लिए कम से कम 3 महीने का इंतजार करना पड़ेगा. लेकिन इन सब संभावनाओं के विपरीत चीन कह रहा है कि उसकी वैक्सीन 2 महीने के भीतर तैयार हो जाएगी. चीन तो जुलाई से अपने देश में कुछ लोगों को वैक्सीन लगाने का दावा भी कर रहा है.
चीन ने पूरे विश्व में खराब PPE किट बेचे
कोरोना के संक्रमण काल में चीन पूरे विश्व में खराब टेस्ट किट और PPE सेट बेचने के लिए बदनाम रहा है. अब चीन अपनी वैक्सीन को दुनिया में बेचना चाहता है. चीन में वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों पर खुद वहां के लोगों का भरोसा नहीं है. चीन का दावा है कि ट्रायल जारी रहते हुए ही उसने वैक्सीन का इमरजेंसी इस्तेमाल शुरु भी कर दिया है. चीन का दावा है कि स्वास्थ्य कर्मियों और सेना के जवानों को वैक्सीन लगाई जा रही है. हालांकि वैक्सीन की डोज़ ले रहे लोगों का डाटा गोपनीय रखा गया है. लेकिन चीन में वैक्सीन बना रही दोनों कंपनियां खराब प्रोडक्ट्स बनाने के आरोपों से घिरी हुई हैं.
वैक्सीन पर चीन की जल्दबाजी भी शंका को और बढ़ाती है. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मई महीने में ही घोषणा कर दी थी कि विकासशील देशों को वैक्सीन दी जाएगी जबकि मई में वैक्सीन तैयार भी नहीं हुई थी. इसे आप चीन की प्रोपेगेंडा वाली मार्केटिंग भी कह सकते हैं.
हालांकि चीन का दावा है कि फिलीपींस से लेकर संयुक्त अरब अमीरात तक Made in China वैक्सीन में दिलचस्पी दिखाने वाले देशों की कोई कमी नहीं है. लेकिन चीन की अंतरराष्ट्रीय बाजार में जो साख है वो सस्ते सामान वाली है टिकाऊ और भरोसेमंद सामान वाली नहीं, ये सबसे बड़ी वजह है कि भारत, अमेरिका और आस्ट्रेलिया जैसे देश और खुद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस वैक्सीन पर चर्चा तक नहीं की है.
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