नई दिल्‍ली: आज हम आपको सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कण्डेय काटजू के बारे में ऐसा कुछ बताएंगे, जिसे जानकर आपको बहुत दुख होगा. आप अपमान का अनुभव करेंगे और अगर आप अपने देश की महानता और श्रेष्ठता पर गर्व करते हैं तो वो चूर चूर हो जाएगा. एक व्यक्ति अपने देश से कितनी नफरत कर सकता है, उसकी सीमा आज आप इस खबर से जानेंगे. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

ब्रिटेन की एक अदालत में गवाही देते समय जब जस्टिस काटजू के तर्क को उनकी नफरत ने ओवर पावर कर लिया तो उन्होंने विदेशी कोर्ट में अपने देश के बारे में कहा कि भारत की अदालतें सरकार के आगे पूरी तरह से झुक चुकी हैं.


-पूर्व न्यायाधीश काटजू ने ब्रिटेन के जज को बताया कि भारत के 50% जज भ्रष्ट हैं.


-सुप्रीम कोर्ट भारत सरकार की नौकर बन गई है.यह रीढ़विहीन और चापलूस संस्थान भर रह गया है.


- भारत का मीडिया नकारात्मक खबरें दिखाता है.


- भारत में सरकारी नीतियों की वजह से किसी को इंसाफ नहीं मिल सकता है.


-सरकार अपनी कमियों का दोष लोगों पर लगा कर उन्हें मुकदमों में फंसा देती है.


ये सबकुछ लंदन की westminster magistrate court में 25 फरवरी को 20 साल तक देश में न्यायाधीश रहे जस्टिस मार्कण्डेय काटजू ने कहा है.  


देश के अपमान की गवाही किसको बचाने के लिए दी?


अब हम आपको बताएंगे कि जस्टिस मार्कण्डेय काटजू ने देश के अपमान की गवाही किसको बचाने के लिए दी. 


जस्टिस काटजू ने उस नीरव मोदी के बचाव में ये सब बातें कहीं हैं जिसपर भारत के 14 हजार करोड़ रुपए लेकर विदेश भागने का आरोप है और वो इन दिनों ब्रिटेन में रह रहा है. देश का पैसा वापस लाने के लिए भारत सरकार नीरव मोदी को ब्रिटेन से लाने की कोशिश कर रही है. नीरव मोदी ने बचने के लिए लंदन की westminster magistrate court के पास गया और कहा कि उसे भारत भेजने से ब्रिटेन की सरकार को रोका जाए क्योंकि, भारत की सरकार उसके खिलाफ बदले की कार्रवाई कर रही है और उसे वहां न्याय नहीं मिलेगा.  इसी केस में मार्कण्डेय काटजू नीरव मोदी के बचाव में गवाह बन कर हाजिर हुए थे और उन्होंने वहां नीरव मोदी को बचाने के लिए अपने देश का अपमान किया. न्यायपालिका पर गंभीर आरोप लगाए. 


इस नफरत वाली गवाही पर विदेशी जज ने भी भरोसा नहीं किया. उन्होंने फैसला सुनाते हुए कहा कि नीरव मोदी को भारत भेजा जा सकता है. 


सरकार के विरोध में देश का विरोध क्‍यों?


हम लगातार एक बात आपको बता रहे हैं कि सरकार के विरोध में हमें देश का विरोध नहीं करना चाहिए. अगर अलग विचारधारा वाली सरकार है तो क्या उसे नीचा दिखाने के लिए हम अपने देश का मस्तक झुका देंगे? और ये काम वो लोग कर रहे हैं जिनके पूर्वज देश को अंग्रेजों से आजाद करने की लड़ाई लड़े हैं. जस्टिस मार्कण्डेय काटजू के दादा कैलाशनाथ काटजू स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे और आजादी के बाद वो मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे इसके बाद वे उड़ीसा और बंगाल के गर्वनर रहे हैं. मार्केण्डय काटजू के चाचा बीएन काटजू इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रहे हैं. 



अगर आज कैलाश नाथ काटजू जीवित होते तो उन्हें अपने पोते की इस हरकत पर कितना दुख होता. इस देश ने जिस परिवार को पद,प्रतिष्ठा, आदर सबकुछ दिया उसके वशंज आज देश का अपमान कर रहे हैं वो भी देश से बाहर विदेश में.


आज हम कहना चाहते हैं कि देश की सर्वोच्च अदालत को इस मामले में दखल देना चाहिए. पूर्व जस्टिस मार्कण्डेय काटजू पर अवमानना का केस चलाना चाहिए क्योंकि, उन्होंने देश की 50 प्रतिशत न्यायपालिका को भ्रष्ट बताया है. उन्होंने विदेश की अदालत में देश की चुनी हुई सरकार पर आरोप लगाया है कि वो सरकार नागरिकों को न्याय नहीं दिला सकती है. इसलिए संसद को भी इस विषय पर विचार करना चाहिए कि देश को बदनाम करने वालों को कैसे रोका जाए?