DNA ANALYSIS: महबूबा मुफ्ती को तिरंगे के अपमान की छूट क्यों?
कल श्रीनगर में महबूबा मुफ्ती ने नजरबंदी से रिहा होने के बाद पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस की और उन्होंने कहा कि कश्मीर में धारा 370 की वापसी होने तक वो तिरंगा नहीं उठाएंगी.
नई दिल्ली: आज से 446 दिन पहले जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाया गया था. उसके बाद से जम्मू-कश्मीर में पूरी तरह शांति है, लेकिन कुछ नेताओं को ये शांति पसंद नहीं है. अनुच्छेद 370 हटाए जाने के 436 दिन के बाद जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती हिरासत से बाहर आईं. खानदान की राजनीति बंद होने की वजह से महबूबा मुफ्ती इस समय बहुत परेशान हैं, इसलिए रिहा होने के बाद पहले उन्होंने अपने राजनीतिक दुश्मनों यानी अब्दुल्ला परिवार को गले लगाया और अब वो देश के राष्ट्रीय ध्वज यानी तिरंगे का अपमान कर रही हैं.
महबूबा मुफ्ती अब भी पुराने झंडे को अपना मानती हैं
कल श्रीनगर में महबूबा मुफ्ती ने नजरबंदी से रिहा होने के बाद पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस की और उन्होंने कहा कि कश्मीर में धारा 370 की वापसी होने तक वो तिरंगा नहीं उठाएंगी और न ही चुनाव लड़ेंगी. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में महबूबा मुफ्ती के सामने जम्मू-कश्मीर का पुराना झंडा रखा हुआ था. 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद इस झंडे का कोई कानूनी आधार नहीं रह गया है यानी ये गैरकानूनी है. जम्मू-कश्मीर की सभी सरकारी इमारतों से ये झंडा हटाया जा चुका है. लेकिन महबूबा मुफ्ती अब भी इसी पुराने झंडे को अपना मानती हैं और उन्होंने इस झंडे की तरफ इशारा करते हुए कहा कि तिरंगे से उनका रिश्ता इस झंडे से अलग नहीं है.
पूरा देश तिरंगे को अपना मानता है और महबूबा मुफ्ती को देश के जिस संविधान ने बोलने की आजादी दी है, उसी संविधान का वो अपमान कर रही हैं. जब जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाया गया था तो ये फैसला देश की संसद ने लिया था और आर्टिकल 370 को हटाने के बाद अब पूरे देश में एक निशान, एक विधान लागू है. लेकिन शायद महबूबा मुफ्ती को ये बात पसंद नहीं आ रही.
कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार में चुनावी रैली के दौरान आर्टिकल 370 का समर्थन करने वालों को करारा जवाब दिया. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में फिर से आर्टिकल 370 लागू कराने का षड्यंत्र सफल नहीं होगा.