नई दिल्‍ली: आज हम सबसे पहले परिवर्तन की उस पिच का विश्लेषण करेंगे, जिस पर नए भारत के लिए उछाल भी है और गति भी.  22 गज की इस पिच पर हमारा देश अब समस्याओं को सीमा रेखा के बाहर भेजने के लिए पूरी तरह तैयार है.


दुनिया का सबसे बड़ा क्रिकेट स्‍टेडियम


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हमारे आज के इस विश्लेषण का आधार है. दुनिया का सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम, जिसका कल 24 फरवरी को अहमदाबाद में उद्घाटन किया गया. अहमदाबाद का ये स्टेडियम 63 एकड़ में फैला हुआ है और इसे बनाने में लगभग 800 करोड़ रुपये लगे हैं.  इस स्टेडियम में 76 कॉर्पोरेट बॉक्‍स और तीन प्रैक्टिस ग्राउंड भी हैं. 


चार स्तंंभ जिन पर टिका है भारत का सामाजिक ढांचा


यही नहीं एक साथ 4 ड्रेसिंग रूम वाला यह दुनिया का पहला स्टेडियम है. लेकिन आज हम आपको सिर्फ इस स्टेडियम के बारे में नहीं बताना चाहते. आज हम आपसे ये कहना चाहते हैं कि भारत में शक्ति का केन्द्र बिन्दु बदलने लगा है और इसके लिए सबसे पहले हम आपको उन चार स्तंंभों के बारे में बताते हैं, जिन पर भारत का सामाजिक ढांचा टिका हुआ है.


पहला स्तंंभ है, राजनीति


दूसरा है, क्रिकेट


तीसरा है, सिनेमा


और चौथा स्तंंभ है, धर्म


बदल रहा शक्ति का केंद्र बिंदु


तो भारत का समाज इन चार स्तम्भों पर टिका है और यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि इनकी शक्ति का केंद्र बिंदु अब बदलने लगा है. यानी इनका पावर सेंटर एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट हो रहा है. 


राजनीति का केन्द्र बिन्दु उत्तर प्रदेश से गुजरात पहुंच चुका है. पहले कहा जाता था कि उत्तर प्रदेश भारत की राजनीतिक दशा और दिशा तय करता है. लेकिन अब ये तस्वीर बदल गई है और उत्तर प्रदेश की जगह गुजरात राजनीति की शक्ति का नया केन्‍द्र बन गया है, जहां से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आते हैं. 


दूसरा स्तंंभ है क्रिकेट. जिसकी शक्ति का केन्‍द्र बिंदु अब मुंबई नहीं, बल्कि मुम्बई से 500 किलोमीटर दूर अहमदाबाद बन गया है.  एक समय था जब भारतीय क्रिकेट टीम में मुम्बई के खिलाड़ियों की संख्या सबसे ज्‍यादाहोती थी. मुम्बई के वानखेड़े स्टेडियम में सबसे ज्‍यादा मैच खेले जाते थे और बीसीसीआई का पावर सेंटर भी मुंबई था. लेकिन अब ऐसा नहीं है. अब पावर मुंबई से अहमदाबाद शिफ्ट हो रहा है. 


तीसरा स्‍तंभ है सिनेमा. कहा जाता है कि भारत में सिनेमा की जड़ें मुंबई में हैं, लेकिन अब ये जड़ें भी कमजोर होने लगी हैं और उत्तर प्रदेश में फिल्म सिटी के निर्माण की बात इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. कई दशकों तक हिन्दी भाषी फिल्मों का पावर सेंटर मराठी भाषी मुंबई में रहा है और आज भी है. लेकिन अब इसकी शक्ति का केंद्र बिंदु दूसरे राज्यों की तरफ झुकने लगा है.


धर्म को लेकर भी लोगों की सोच बदली


और भारतीय समाज का चौथा स्‍तंभ है धर्म, आज धर्म को लेकर भी लोगों की सोच बदली है. लोग धर्म के प्रति जागरुक हुए हैं और धर्मनिरपेक्ष की परिभाषा को भी आज व्यवहारिक बनाया जा रहा है.  धर्म के प्रति लोगों की बदलती सोच से ये बात स्पष्ट है कि इसको लेकर भी परिस्थितियां बदलने लगी हैं


शक्ति के बदलते केन्द्र बिंदु को आप अहमदाबाद से आई तस्‍वीरों से समझ सकते हैं. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम का कल 24 फरवरी को उद्घाटन किया. उन्होंने अहमदाबाद में ही एक स्‍पोर्ट्स कॉम्‍प्‍लेक्‍स की नींव रखी, जो 233 एकड़ जमीन पर फैला होगा और मोटेरा का क्रिकेट स्टेडियम भी इसी का एक हिस्सा है. 



इस स्‍पोर्ट्स कॉम्‍प्‍लेक्‍स का नाम Sardar Vallabh bhai Patel Sports Enclave रखा गया है, जिसमें एक बोटिंग सेंटर होगा. वॉलीबॉल कोर्ट, फील्‍ड हॉकी और टेनिस कोर्ट के लिए भी जगह होगी और 3 हजार बच्चे एक साथ यहां ट्रेनिंग कर सकेंगे.  यहां कोच के रहने के लिए भी सुविधा होगी. 



सबसे महत्वपूर्ण बात ये स्‍पोर्ट्स कॉम्‍प्‍लेक्‍स इतना आधुनिक और विशाल होगा कि इसमें ओलंपिक्स खेलों का आयोजन भी हो सकेगा. आप कह सकते हैं कि गुजरात का अहमदाबाद शहर अगले कुछ महीनों में देश की स्‍पोर्ट्स सिटी बन जाएगा और इस स्‍पोर्ट्स सिटी में ही दुनिया का सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम भी है. 



इस स्टेडियम का कल 24 फरवरी को उद्घाटन किया गया, जिसमें देश के गृह मंत्री अमित शाह और केन्द्रीय खेल मंत्री किरेन रिजिजू भी मौजूद रहे. भारत और इंग्लैंड के बीच पहला पिंक बॉल टेस्ट मैच इस समय इसी स्टेडियम पर खेला जा रहा है और ये एक डे नाइट टेस्‍ट मैच है. 




नामकरण को लेकर सोशल मीडिया पर बहस


इस स्टेडियम में 32 फुटबॉल स्‍टेडियम्‍स  समा सकते हैं और इसमें 1 लाख 32 हजार लोगों के बैठने की क्षमता है.  लेकिन हमारे देश में आज इस स्टेडियम की खूबियों की चर्चा नहीं हो रही. चर्चा इस बात की है कि इसका नामकरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर कर दिया गया. 


असल में पहले इसे सरदार वल्लभ भाई पटेल क्रिकेट स्टेडियम कहा जाता था, लेकिन अब इसका नाम बदल कर नरेंद्र मोदी क्रिकेट स्टेडियम कर दिया गया है और कुछ लोग इस पर सवाल उठा रहे हैं. ये भी कहा जा रहा है कि ऐसा करके भारत के पहले गृह मंत्री और लौह पुरुष सरदार पटेल का अपमान किया गया है. 


लेकिन सच ये है कि सरदार पटेल का नाम हटाया नहीं गया है, बल्कि जिस स्‍पोर्ट्स कॉम्‍प्‍लेक्‍स का भूमि पूजन आज राष्ट्रपति ने किया, उसका नाम सरदार पटेल के नाम पर रख गया है और ये स्टेडियम इसी स्‍पोर्ट्स कॉम्‍प्‍लेक्‍स का हिस्सा है. 


सरल शब्दों में कहें तो ये विशाल कॉम्‍प्‍लेक्‍स एक वृक्ष की तरह है और इसकी कई शाखाएं हैं.  स्टेडियम भी उन्हीं में से एक है. 


कल सोशल मीडिया पर दिनभर ये बहस होती रही कि क्रिकेट स्टेडियम का नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर रखा जाना कितना सही है. बहुत से लोगों ने इस फैसले का समर्थन किया जबकि कई लोग इसके खिलाफ नजर आए. हालांकि इस बहस को सही दिशा देने के लिए आज हमने कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां निकाली हैं, जिन्हें आप चाहें तो नोट भी कर सकते हैं.


जिन लोगों को ये लग रहा है कि जीवित रहते हुए किसी प्रधानमंत्री के नाम पर एक क्रिकेट स्टेडियम का नाम रखा जाना गलत है. उन्हें ये नहीं भूलना चाहिए कि पंडित जवाहर लाल नेहरू को वर्ष 1955 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था और नेहरु ने स्वयं प्रधानमंत्री रहते हुए ये पुरस्कार लिया था.  इंदिरा गांधी को भी प्रधानमंत्री रहते हुए वर्ष 1971 में भारत रत्न से नवाजा गया था.  पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को उनकी मृत्यु के दो वर्षों के बाद ही 1991 में मरणोपरांत ये पुरस्कार मिला था.  लेकिन क्या आपको पता है कि भारत के संविधान के निर्माता डॉक्टर भीम राव अम्बेडकर और भारत के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल को भारत रत्न कब मिला था.  डॉक्‍टर भीम राव अम्बेडकर को उनकी मृत्यु के 34 वर्षों के बाद और सरदार पटेल को उनकी मृत्यु के 41 वर्षों के बाद मरणोपरांत इस पुरस्कार से नवाजा गया था. 


नामकरण की इस बहस को समझने के लिए अब आप कुछ और आंकड़े देखिए-


2015 में एक RTI के माध्यम से पता चला था कि देशभर में ऐसी कुल 64 सरकारी योजनाएं हैं, जिनके नाम गांध-नेहरू परिवार पर हैं. इनमें तब 12 केन्द्रीय योजनाएं भी थीं. 


इसके अलावा 28 स्‍पोर्ट्स टूर्नामेंट्स और ट्रॉफीज, 23 स्‍टेडियम,  5 एयरपोर्ट और बंदरगाह,  98 शिक्षण संस्थान, 51 पुरस्कार,  15 Fellowship, 39 अस्पताल और मेडिकल संस्थान और लगभग 100 सड़कों के नाम भी इस परिवार के नाम पर हैं.  अगर इन सबको मिला दें तो ये संख्या 450 होती है. 


2012 में भी एक RTI के माध्यम से ये पता चला था कि उस समय देश में चल रही 58 केन्द्रीय योजनाओं और संस्थानों में से 27 के नाम गांधी-नेहरू परिवार पर थे. अब आप खुद सोचिए कि इस देश पर किसने अपने नाम का लेबल चिपकाने की कोशिश की?


आज हम आपको ये भी बताना चाहते हैं कि अहमदाबाद के सरदार पटेल क्रिकेट स्टेडियम का नाम बदलने का फैसला केन्द्र सरकार ने नहीं लिया है. ये फ़ैसला गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन का है. एसोसिएशन ने अहमदाबाद में 233 एकड़ की जमीन पर बन रहे स्‍पोर्ट्स कॉम्‍प्‍लेक्‍स का नाम सरदार वल्लभ भाई पटेल रखने का फैसला किया, जिसका आज भूमि पूजन भी किया गया.


अब हम आपको ये बताते हैं कि जिस देश के हर कोने में क्रिकेट के लिए दीवानगी भरी पड़ी है, उस देश में क्रिकेट का पावर सेंटर कैसे एक राज्य की राजधानी तक सीमित हो गया. इस राज्य का नाम है, महाराष्ट्र और इसकी राजधानी है- मुम्बई. 


मुम्बई की टीम पिछले 83 वर्षों में सबसे ज्‍यादा 41 बार रणजी ट्रॉफी का खिताब जीत चुकी है जिनमें 15 खिताब इस टीम ने लगातार जीते थे.  जीत का ये सिलसिला वर्ष 1958 से 1972 तक जारी रहा, जो आज भी एक रिकॉर्ड है.


वर्ष 1932 से 2018 के बीच महाराष्ट्र के 78 खिलाड़ियों को भारतीय क्रिकेट टीम में टेस्ट मैच खेलने का मौका मिला. यही नहीं, इन 86 वर्षों में जिन 292 खिलाड़ियों ने टेस्ट क्रिकेट खेला, उनमें से 162 खिलाड़ी सिर्फ महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब और तमिलनाडु राज्य से थे. यानी छोटे राज्यों के खिलाड़ियों को ज्‍यादा मौके नहीं मिले. 


भारत में अब तक एक ही बार वर्ल्ड कप का फाइनल मैच खेला गया है और ये मैच भी 2011 में मुम्बई में हुआ था.  हालांकि पिछले कुछ वर्षों में ये तस्वीर थोड़ी बदली है. 


इसे आप चार पॉइंट्स में समझिए- 


पहला पॉइंट भारत के अब तक के सबसे सफल कप्तान महेंद्र सिंह धोनी झारखंड से आते हैं. 


दूसरा पॉइंट भारतीय क्रिकेट टीम के मौजूदा कप्तान विराट कोहली दिल्ली से हैं.


तीसरा पॉइंट भारतीय क्रिकेट टीम को अब सिर्फ मुम्बई से ही खिलाड़ी नहीं मिल रहे, बल्कि महाराष्ट्र के छोटे शहरों से भी कई खिलाड़ी सामने आए हैं. उदाहरण के लिए भारत के ओपनिंग बैट्समैन रोहित शर्मा नागपुर से हैं. 


चौथा पॉइंट ये कि  हो सकता है कि अब भारत में मुम्बई को क्रिकेट का मक्का न कहा जाए, इसकी जगह अहमदाबाद ले ले, जहां अब दुनिया का सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम मौजूद है. 


आज आपको ये भी समझना चाहिए कि कैसे क्रिकेट भारतीय राजनीति का मनपसंद खेल बन गया.  ये बात वर्ष 1983 की है, जब भारतीय टीम ने पहली बार इंग्लैंड में World Cup Tournament का खिताब अपने नाम किया. उस समय देश भर में क्रिकेट की काफी चर्चा थी और इस चर्चा ने इंदिरा गांधी का ध्यान भी खींचा. 


तब महाराष्ट्र कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एन.के.पी. साल्वे को BCCI का अध्यक्ष बनाया गया था. वो वर्ष 1985 तक BCCI के चेयरमैन रहे. 


वर्ष 1990 से 1993 तक माधव राव सिंधिया BCCI चीफ रहे.  उस समय भी देश में कांग्रेस की सरकार थी. यही नहीं, 2005 से 2008 के बीच जब देश में कांग्रेस की गठबंधन सरकार सत्ता में थी, तब BCCI की कमान NCP अध्यक्ष शरद पवार के पास रही. 


भारत में क्रिकेट को लेकर लोगों का जुनून कभी कम नहीं हुआ. इसका ग्राफ हमेशा ऊपर ही गया और कांग्रेस इस बात को समझती थी और यही वजह है कि उसकी सरकारों के दौरान BCCI को एक टूल की तरह इस्तेमाल किया गया और मुम्बई शहर बीसीसीआई का पावर सेंटर बन गया. 


BCCI दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड है.  वर्ष 2014-2015 में BCCI की कुल नेट वर्थ  5 हजार 438 करोड़ रुपये थी, जो 2018 के अंत तक बढ़ कर लगभग 15 हजार करोड़ रुपये हो चुकी है. ये राशि भारत के खेल मंत्रालय को मिलने वाले बजट से 6 गुना ज्‍यादा है. वित्त वर्ष 2021-2022 के लिए खेल मंत्रालय का बजट 2 हजार 596 करोड़ रुपये है.


भारत सरकार के खेलो इंडिया कार्यक्रम को 660 करोड़ रुपये की ही राशि मिली है. अगर BCCI के कुल नेट वर्थ से इसकी तुलना करें तो भारत में ऐसे 23 बड़े आयोजन हो सकते हैं.


क्रिकेट स्टेडियम की 5 बड़ी बातें


अब हम आपको जल्दी से दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम की पांच बड़ी बातें बताते हैं-


पहली बात इसका आकार 32 फुटबॉल स्‍टेडियम्‍स के बराबर है और ये 2 लाख 48 हजार 714 वर्ग मीटर में फैला हुआ है. 


दूसरी बात पूर्व भारतीय क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने टेस्ट क्रिकेट में इसी मैदान पर पाकिस्तान के खिलाफ 10 हजार रन पूरे किए थे. ये बात वर्ष 1986 की है.


तीसरी बात  1983 में भारत को वर्ल्ड कप जिताने वाले कपिल देव ने फरवरी 1994 में इसी मैदान पर रिचर्ड हैडली का सबसे ज्‍यादा विकेट लेने का रिकॉर्ड तोड़ा था. उन्होंने तब इस मैदान पर अपनी 432वां विकेट लिया था. 


चौथी बात क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने वर्ष 2013 में इसी मैदान पर सभी फॉर्मेट्स में 30 हजार रन पूरे किए थे. वो ऐसा करने वाले दुनिया के पहले खिलाड़ी बन गए थे. 


और आखिरी बात ये कि ये देश का पहला स्‍टेडियम  है, जहां LED लगाई गई हैं.