नई दिल्ली: कृषि विधेयकों (New Farm Bill 2020) को लेकर कांग्रेस (congress) One Nation, One Market यानी एक देश एक बाजार के सिस्टम का विरोध कर रही है. लेकिन उसके विरोध में कितनी गंभीरता है ये हम आपको बताएंगे. दरअसल, वर्ष 2019 और 2014 के घोषणापत्र में पार्टी ने ऐसे ही कानून का वादा किया था.


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2019 के चुनाव घोषणापत्र में कांग्रेस ने वादा किया था कि वो सत्ता में आने के बाद Agricultural Produce Market Committee यानी APMC Act को खत्म कर देगी, ताकि किसान अपनी मर्जी से कहीं भी फसल बेच सकें. किसानों पर अपनी पैदावार दूसरे राज्यों या दूसरे देशों में सीधे बेचने पर भी कोई रोक नहीं होगी.



कांग्रेस के घोषणापत्र में यह भी लिखा है कि वर्ष 1955 का आवश्यक वस्तु अधिनियम, अब पुराना हो चुका है. अब उस तरह के नियंत्रण की कोई आवश्यकता नहीं है. इसलिए कांग्रेस नया कानून लाएगी, जिसमें सिर्फ युद्ध जैसे हालात में ही आवश्यक वस्तु कानून को लागू किया जाएगा.


2014 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस सरकार ने फलों और सब्जियों को APMC एक्ट से बाहर करने का ऐलान किया था, ताकि किसान अपनी पैदावार जहां चाहें बेच सकें. कांग्रेस ने इसे अपनी सरकार वाले राज्यों में लागू भी किया था.



मनमोहन सिंह सरकार ने Contract Farming पर एक कमेटी बनाई थी, जिसने 2013 में अपनी सिफारिशें दी थीं. इसमें माना गया था कि किसान को कहीं भी अपनी फसल बेचने की छूट न मिलने के कारण वो बिचौलियों के जाल में फंस जाते हैं और उन्हें पैदावार का उचित दाम नहीं मिलता.


2013 का कांग्रेस पार्टी ने एक ​ट्वीट किया था जिसमें कहा गया कि सभी कांग्रेस शासित राज्यों में फलों और सब्जियों को APMC एक्ट की लिस्ट से बाहर किया जाता है. इस एक्ट के बाहर आने से किसान अपनी फल सब्जियों को मंडी से बाहर खुले बाजार में भी बेच सकते हैं.



दिसंबर 2013 में कांग्रेस नेता अजय माकन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा था कि किसानों को उचित मूल्य दिलाने और महंगाई को कम करने के लिए मंडी से जुड़े नियम खत्म होने चाहिए. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में अजय माकन के साथ राहुल गांधी भी मौजूद थे.


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