क्लाइमेट चेंज बनी आधिकारिक बीमारी, जानिए कहा सामने आया पहला मामला
अब क्लाइमेट चेंज यानी जलवायु परिवर्तन (Climate Change) सच में एक नया रोग बन गया है. कनाडा (Canada) में पहली बार एक 70 वर्ष की महिला की शारीरिक जांच के बाद पता चला कि वो जलवायु परिवर्तन से पीड़ित है. ये दुनिया में क्लाइमेट चेंज से बीमार होने का पहला आधिकारिक मामला है.
नई दिल्ली: आपने कभी ना कभी स्कूल में अपने टीचर या ऑफिस में अपने बॉस को ये बहाना ज़रूर दिया होगा कि आज आपको सर्दी, खांसी और बुखार है और आप स्कूल या ऑफिस नहीं आ सकते लेकिन अगली बार आप एक नया बहाना इस्तेमाल कर सकते हैं और कह सकते हैं कि आप क्लाइमेट चेंज (Climate Change) से पीड़ित हैं और आपको छुट्टी चाहिए.
जलवायु परिवर्तन बना नया रोग
क्योंकि अब क्लाइमेट चेंज यानी जलवायु परिवर्तन सच में एक नया रोग बन गया है. कनाडा (Canada) में पहली बार एक 70 वर्ष की महिला की शारिरिक जांच के बाद पता चला कि वो जलवायु परिवर्तन से पीड़ित है. ये दुनिया में क्लाइमेट चेंज से बीमार होने का पहला आधिकारिक मामला है.
इस महिला की जांच कर रहे थे डॉक्टर काइल मेरिट, जो Canada के Kootenay Lake (कूटनी लेक) अस्पताल में काम करते हैं. ये महिला इस डॉक्टर के पास Dehydration की शिकायत लेकर आई थी. जब इस महिला की जांच की गई तो पता चला कि उन्हें ये समस्या इसी साल जून और जुलाई के महीने में कनाडा में चली हीट वेव (Heat Wave) के दौरान शुरू हुई थी. जिससे वो आज तक नहीं उबर पाई हैं.
कनाडा में कोहराम
इस साल जून के महीने में कनाडा में कई जगहों पर तापमान 49.6 डिग्री सेल्सियस तक चला गया था, जो आज तक के इतिहास में कनाडा (Canada) में दर्ज किया गया सबसे ज्यादा तापमान है. आम तौर पर कनाडा को एक ठंडा देश माना जाता है, जहां जबरदस्त बर्फ पड़ती है और पारा माइनस में चला जाता है. लेकिन इस साल कनाडा में जबरदस्त हीट वेव (Heat Wave) चली, जिसकी वजह से 500 लोग मारे गए.
ग्लासगो समिट
इसी महीने स्कॉटलैंड (Scottland) के ग्लासगो (Glasgow) में दुनिया के बड़े बड़े देशों के नेताओं की मुलाकात हुई थी और इस सम्मेलन में जलयावु परिवर्तन के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर पर भी चर्चा हुई थी. क्योंकि जलवायु परिवर्तन का असर सिर्फ प्रकृति पर नहीं बल्कि इंसानों के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है.
वैज्ञानिक मानते हैं कि Climate Change की वजह से लोगों को Heat Exhaustion होता है, Heat Stroke होता है, Deyhdration और Anxiety की समस्या होती है और इससे सांस की नली और फेफड़ों से जुड़े रोग भी हो सकते हैं.
प्रदूषण से हर साल एक करोड़ की मौत
आपको बताते चलें कि प्रदूषण की वजह से पूरी दुनिया में हर साल एक करोड़ लोगों की मौत हो जाती है . जबकि दो साल में पूरी दुनिया में कोविड से मरने वालों की संख्या 50 लाख है. यानी क्लाइमेट चेंज कोविड से भी बड़ा खतरा है.
आने वाले समय में क्लाइमेट चेंज ना सिर्फ औपचारिक रूप से एक नया रोग बन जाएगा बल्कि इसकी वजह से लोग पलायन को भी मजबूर होंगे. विशेषज्ञों के मुताबिक वर्ष 2050 तक दुनिया भर के 20 करोड़ लोग जलवायु परिवर्तन की वजह से अपना घर छोड़ देंगे.
पहले जब लोग बीमार होते थे तो उन्हें सलाह दी जाती थी कि कहीं घूम आओ. थोड़ा हवा पानी बदल जाएगा तो स्वास्थ्य सुधर जाएगा. पर अब भविष्य में लोग कहने लगेंगे कि हम बीमार ही इसलिए हो रहे हैं क्योंकि आस पास का हवा और पानी बदल गया है. यानी जलवायु परिवर्तन ने हमें अपना शिकार बना लिया है.
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