बीच समंदर में मंत्री ने कोट-पैंट पहनकर दिया भाषण, जानें क्या है माजरा
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बीच समंदर में मंत्री ने कोट-पैंट पहनकर दिया भाषण, जानें क्या है माजरा

तुवालु के विदेश मंत्री साइमन ने समुद्र में कोट, टाई और हाफ पतलून पहनकर एक वीडियो रिकॉर्ड करके पोस्ट किया है जो कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. जानें, क्या है पूरा मामला.

समुद्र के बीच में खड़े होकर इस मंत्री ने दिया भाषण (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: तुवालु के विदेश मंत्री साइमन कोफे ने ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन कॉप26 की बैठक के लिए समुद्र के बीचो-बीच घुटनों तक पानी में खड़े होकर भाषण दिया. कोट-हाफ पतलून और टाई पहनकर इस तरह से भाषण देकर वे सबका ध्यान तुवालु के आसपास बढ़ते समुद्र के जलस्तर की तरफ आकर्षित करना चाहते थे.

  1. तुवालु प्रशांत महासागर में स्थित एक छोटा द्वीप देश है
  2. साइमन समुद्र के जलस्तर की तरफ आकर्षित करना चाहते थे
  3. कॉप26 की बैठक के लिए उठाया ये कदम

साइमन कोफे का सोशल मीडिया पर ये वीडियो और तस्वीरें खूब चर्चा में हैं. बता दें, तुवालु प्रशांत महासागर में स्थित एक छोटा द्वीप देश है, जहां जलवायु परिवर्तन का असर साफ देखा जा सकता है.

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साइमन के भाषण से ज्यादा उनका लुक काफी चर्चा में हैं, खासतौर पर कोट के नीचे पतलून, जिसमें उनके पैरों को साफ देखा जा सकता है. 

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साइमन कोफे ने रिकॉर्ड वीडियो में भाषण देते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन और समुद्र के स्तर में वृद्धि के प्रभावों के कारण तुवालु में वास्तविक जीवन कठिन परिस्थितियों का सामना कर रहा है और तुवालु में जलवायु परिवर्तन के तहत कामकाज पर जो प्रभाव पड़ा है उनसे संबंधित किए गए साहसिक कार्यों पर प्रकाश डालता है. गौरतलब है कि कोफे ने हर संभव प्रयास किए कि उनकी चिंताओं पर गौर किया जाए क्योंकि उनके देश पर जलवायु परिवर्तन का खतरा बहुत ज्यादा मंडरा रहा है.

एक सरकारी अधिकारी ने इस संबंध में कहा कि वीडियो को पब्लिक ब्रॉडकास्टर टीवीबीसी ने फोंगफले में बहुत दूर एक कोने में शूट किया गया था, फोंगफले राजधानी फुनाफुती का मुख्य द्वीप है. यह जलवायु शिखर सम्मेलन में उस वक्त दिखाया जाना था जब क्षेत्रीय नेता जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को सीमित करने के लिए आक्रामक कार्रवाई पर जोर दे रहे थे.

कई बड़े पॉल्यूटर्स ने आने वाले दशकों में अपने कार्बन कटौती को तेज करने की कसम खाई है, कुछ का लक्ष्य 2050 तक शुद्ध रूप से जीरो कार्बन उत्सर्जन है. लेकिन प्रशांत द्वीप के नेताओं ने इस संबंध में तत्काल कार्रवाई की मांग यह दिखाते हुए कि है कि उनके निचले देशों का अस्तित्व दांव पर है.

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