DNA Analysis: मोदी है तो मुमकिन है. पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजों ने इस बात पर एक बार फिर मुहर लगा दी है. जिससे बीजेपी की खुशी का कोई ठिकाना नहीं है. इस जीत का सेहरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सिर पर सजा है. तीन दिसंबर को बीजेपी का दिल खुश कर देने वाले नतीजे आए. और आज यानी चार दिसंबर को संसद का शीतकालीन सत्र शुरु हो गया. जहां जीत से उत्साहित NDA सांसदों का उत्साह देखने लायक था. जैसे ही प्रधानमंत्री मोदी लोकसभा में पहुंचे तो उनका जोरदार स्वागत हुआ.


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कोई नहीं है टक्कर में..


एक बार फिर साबित हो गया है कि देश की राजनीति में बीजेपी के सामने. कोई नहीं है टक्कर में. ये बातें सुनने में थोड़ी नाटकीय लगती हैं लेकिन बीजेपी ने जिस तरह का प्रदर्शन किया है, वो भी कम नाटकीय नहीं है. चाहे फिर वो मध्य प्रदेश में करीब दो दशक की सत्ता विरोधी लहर को चीरकर बहुत बड़ी जीत हासिल करना हो या राजस्थान में हर पांच साल में सत्ता बदलने का रिवाज कायम रखने में कामयाबी हासिल करना हो. तमाम अनुमानों को गलत साबित करके छत्तीसगढ़ में शानदार वापसी करने का काम सिर्फ बीजेपी ही कर सकती थी.


तेलंगाना में कांग्रेस का मुकाबला बीजेपी से नहीं था


तेलंगाना में कांग्रेस की जीत हुई है लेकिन ये याद रखना जरूरी है कि तेलंगाना में कांग्रेस का मुकाबला बीजेपी से नहीं था. और मिजोरम में भी बीजेपी ने दो सीटें जीती हैं जबकि कांग्रेस ने सिर्फ एक सीट पर जीत दर्ज की है. संसद सत्र शुरु होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस को नसीहत दी है और पूरे विपक्ष से अपील की है कि संसद से बाहर मिली हार का गुस्सा संसद में मत निकालिये. बीजेपी की इतनी बड़ी जीत इस बात की मुनादी कर रही है कि दस साल के बाद भी Brand Modi लगातार मजबूत होता जा रहा है. देश की राजनीति में अब मोदी का सिर्फ नाम ही काफी है. और अब Local में भी मोदी का नाम ही Vocal है. इसलिए बीजेपी के लिए अब कोई चुनाव Local नहीं है बल्कि हर चुनाव National है. इतनी बड़ी जीत के बाद अब 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी का जोश High है. विपक्ष का उत्साह ठंडा पड़ चुका है.


बीजेपी के लिए धुआंधार बैटिंग वाली पिच तैयार


वैसे बीजेपी का जोश हाई होना और विपक्ष का BP Low होना तो बनता है. क्योंकि तीन राज्यों में मिली इस जीत और तेलंगाना में बेहतर प्रदर्शन ने 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए धुआंधार बैटिंग वाली पिच तैयार कर दी है. क्योंकि बीजेपी ने ना सिर्फ दो नए राज्यों में सत्ता हासिल की है. बल्कि अब वो देश की 41 प्रतिशत आबादी पर अकेले राज कर रही है. अगर NDA के लिहाज से देखें तो बीजेपी अपने सहयोगियों के साथ आधी से ज्यादा आबादी पर शासन कर रही है. जबकि देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस का शासन सिर्फ साढ़े आठ प्रतिशत आबादी पर रह गया है. हालांकि गठबंधन सहयोगियों के साथ कांग्रेस करीब बीस प्रतिशत आबादी पर राज कर रही है.


12 राज्यों की सत्ता बीजेपी के हाथों में


अब देश के 12 राज्यों की सत्ता बीजेपी के हाथों में है. जिनमें साढ़े 16 प्रतिशत आबादी वाला उत्तर प्रदेश, साढ़े 6 प्रतिशत आबादी वाला मध्य प्रदेश, साढ़े 5 प्रतिशत आबादी वाला राजस्थान और 5 प्रतिशत वाला गुजरात भी शामिल है. यानी इन चार राज्य मिलाकर ही देश की 33 फीसदी से ज्यादा आबादी पर बीजेपी की सत्ता है. इसके अलावा छत्तीसगढ़.. हरियाणा.. उत्तराखंड... त्रिपुरा समेत 12 राज्यों की कुल 41.51 प्रतिशत आबादी पर बीजेपी अपने खुद के बूते पर शासन कर रही है. इन 12 राज्यों के अलावा BJP महाराष्ट्र..मेघालय..नागालैंड..और सिक्किम में भी गठबंधन के जरिये सरकार में शामिल है. इस तरह कुल मिलाकर देश की 51.25 प्रतिशत आबादी पर बीजेपी का शासन है.


कांग्रेस का राज तेजी से घटता चला जा रहा


जैसे-जैसे बीजेपी का ग्राफ बढ़ रहा है.. कांग्रेस का राज तेजी से घटता चला जा रहा है. अब सिर्फ तीन राज्यों में कांग्रेस का एकछत्र शासन चल रहा है..ये राज्य हैं - कर्नाटक...तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश. जहां देश की करीब साढ़े 8 फीसदी आबादी ही बसती है. गठबंधन सहयोगी के तौर पर भी कांग्रेस सिर्फ तीन राज्यों की सत्ता में भागीदार रह गई है. ये 3 राज्य हैं - बिहार, झारखंड और तमिलनाडु. यानी कुल मिलाकर कांग्रेस का शासन देश की करीब 26 फीसदी आबादी पर रह गया है.


2024 के चुनाव का सेमीफाइनल


इन चुनावों को 2024 के चुनाव का सेमीफाइनल इसीलिए कहा जा रहा है और नतीजों से साफ पता चल रहा है कि अगले साल भी मोदी सरकार Repeat होने के चांस कितने बढ़ चुके हैं. और कांग्रेस की हार के बाद तो अब i.n.d.i.a अलायंस में भी बेचैनी बढ़ना स्वाभाविक है. हिमाचल को छोड़कर पूरे हिंदी बेल्ट में कांग्रेस की सत्ता का सफाया हो चुका है. लेकिन ऐसा भी नहीं है कि यहां कांग्रेस का पतन हो चुका है. क्योंकि Fact ये है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान या छत्तीसगढ तीनों ही हिंदी बेल्ट के राज्यों में कांग्रेस का सत्ता से अंत भले ही हो गया हो. लेकिन इन राज्यों में कांग्रेस खत्म नहीं हुई है. इसका सबूत है विधानसभा चुनाव का वोट शेयर.


कांग्रेस के लिए अच्छा क्या रहा?


मध्य प्रदेश में 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 40.9 प्रतिशत वोट मिले थे. इस बार भी कांग्रेस को 40.5 प्रतिशत वोट हासिल हुए हैं. यानी सिर्फ 0.5 प्रतिशत वोटों की कमी आई है. राजस्थान में तो इस बार कांग्रेस का वोट शेयर बढ़ा है. 2018 में कांग्रेस का वोट शेयर 39.3 प्रतिशत था जो अबकी बार बढ़कर 39.53 प्रतिशत हो गया है. छत्तीसगढ़ की बात करें तो वर्ष 2018 में कांग्रेस को 43 प्रतिशत वोट मिले थे. और अबकी बार 42.2 प्रतिशत वोट मिले हैं. यानी छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस को सिर्फ 0.8 प्रतिशत वोटों का नुकसान हुआ है.


कांग्रेस का वोट शेयर पिछली बार जितना


कुल मिलाकर देखें तो.. तीनों ही राज्यों में कांग्रेस का वोट शेयर कमोबेश पिछली बार के बराबर ही रहा है. तीनों राज्यों में बीजेपी ने अन्य पार्टियों और निर्दलियों के वोटों में सेंध लगाई है. इसलिए वोट शेयर का ज्यादा ना घटना कांग्रेस को उत्साहित कर रहा है. भले ही वो वोटों को सीटों में ना बदल पाई हो. लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में इसी वोट शेयर के दम पर कांग्रेस बीजेपी को टक्कर देने की रणनीति बना रही होगी.


मध्यप्रदेश से कांग्रस को काफी उम्मीदें थीं


कांग्रेस को मध्यप्रदेश से काफी उम्मीदें थीं. दरअसल वो मानकर चल रही थी कि इस बार मध्यप्रदेश में कांग्रेस एक मजबूत सरकार बनाएगी, जो पूरे पांच वर्ष चलेगी. 2018 की तरह कांग्रेस को उम्मीद थी कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस सबसे बड़ी सीटों वाली पार्टी बनकर आएगी. लेकिन 18 महीने चली उस सरकार के कामकाज का असर, मध्यप्रदेश की जनता को कुछ जमा नहीं. बीजेपी ने मार्च 2020 में सत्ता में वापसी करके, 2023 की ऐसी चुनावी बिसात बिछाई कि 2023 चुनाव में कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा. कांग्रेस को 2023 के चुनाव में मात्र 66 सीटें मिलीं.