नई दिल्ली: भारत में धार्मिक सौहार्द को लेकर रिसर्च सामने आई है, लेकिन इस पर कोई बात नहीं करना चाहता. अमेरिका के मशहूर थिंक टैंक Pew Research Centre ने अपनी रिपोर्ट में ये दावा किया है कि भारत में आज भी धार्मिक सौहार्द का माहौल बना हुआ है. 


धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर क्या कहा गया है?​


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सबसे पहले आपको बताते हैं कि इसमें Religious Freedom यानी धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर क्या कहा गया है? इस रिसर्च के नतीजे कहते हैं कि भारत में सभी धर्मों के ज्यादातर लोग ये मानते हैं कि यहां धार्मिक स्वतंत्रता पूरी तरह बरकरार है.


-91 प्रतिशत हिन्दू मानते हैं कि वो अपने धर्म का पालन करने के लिए खुद को स्वतंत्र महसूस करते हैं.


-85 प्रतिशत हिन्दू मानते हैं कि एक सच्चे भारतीय की पहचान है कि वो सभी धर्मों का सम्मान करें और 80 प्रतिशत हिन्दू मानते हैं कि दूसरे धर्मों का सम्मान भी बहुत जरूरी है.


-इसके अलावा 89 प्रतिशत मुस्लिम समुदाय के लोग मानते हैं कि वो अपने धर्म का पालन करने के लिए खुद को स्वतंत्र महसूस करते हैं.


-और इतने ही ईसाई मानते हैं कि वो अपने धर्म का पालन करने के लिए भारत में पूरी तरह स्वतंत्र हैं.


-इसके अलावा 82 प्रतिशत सिख, 93 प्रतिशत बौद्ध और 85 प्रतिशत जैन धर्म के लोग ये मानते हैं कि भारत में धार्मिक स्वतंत्रता है.


-इसी रिसर्च में ये बताया गया है कि भारत में सभी धर्मों के लोग मिलजुल कर अपने त्योहारों को मनाते हैं.


आंकड़ों से सामने आई ये बात


हिन्दुओं का सबसे बड़ा त्योहार दीवाली है. ये रिसर्च कहती है कि भारत में 95 प्रतिशत हिन्दुओं के अलावा 20 प्रतिशत मुस्लिम, 31 प्रतिशत ईसाई, 90 प्रतिशत सिख, 79 प्रतिशत बौद्ध और 98 प्रतिशत जैन धर्म के लोग दीवाली का त्योहार मनाते हैं और इन आंकड़ों से ही आप समझ सकते हैं कि भारत में धार्मिक सहिष्णुता के साथ सभी धर्मों के बीच भाईचारा बना हुआ है, लेकिन कुछ लोग झूठ फैला कर इसे खराब करने की कोशिश करते हैं.


-इसी रिसर्च में एक और अहम बात ये बताई गई है कि भारत में सभी धर्मों के लोग ये मानते हैं कि बड़े बुजुर्गों का सम्मान भारतीय संस्कृति की पहचान है.


-हर 100 में से 89 हिन्दू इस बात को मानते हैं


-हर 100 में से 81 मुसलमान भी इस बात को स्वीकार करते हैं.


-और हर 100 में से 82 ईसाई धर्म के लोग भी मानते हैं कि बड़े बुजुर्गों का सम्मान करना भारतीय संस्कृति की पहचान है.


-इसके अलावा हिन्दू धर्म से जुड़ी मान्यताओं पर दूसरे धर्मों के लोग भी काफी विश्वास करते हैं, जो भारत की मिली जुली संस्कृति का प्रतीक है.



उदाहरण के लिए इसमें बताया गया है कि 77 प्रतिशत मुस्लिम और 54 प्रतिशत ईसाई कर्म में यकीन रखते हैं और 27 प्रतिशत मुस्लिम और 29 प्रतिशत ईसाई पुनर्जन्म में भी विश्वास रखते हैं, जबकि इन धर्मों में इसे लेकर मान्यताएं नहीं हैं. ये मान्यताएं हिन्दू धर्म में हैं.


56 प्रतिशत मुस्लिम तीन तलाक को मानते हैं गलत 


Pew Research Centre की इस रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि भारत के 85 प्रतिशत मुस्लिम मानते हैं कि हमारे देश की संस्कृति दूसरे देशों की संस्कृति से बेहतर है, जबकि 7 प्रतिशत ऐसा नहीं मानते हैं और बाकी लोगों की इस पर कोई राय नहीं है. इसी रिसर्च में कुछ और दिलचस्प आंकड़े भी दिए गए हैं.


जैसे 56 प्रतिशत मुस्लिम ये मानते हैं कि तीन तलाक गलत है. आपको याद होगा जब 2019 में केन्द्र सरकार ने तीन तलाक को लेकर कानून बनाया था, उस समय इस तरह की तस्वीर पेश करने की कोशिश हुई कि मुस्लिम समुदाय इस कानून के खिलाफ है, जबकि ये रिसर्च कहती है कि आधे से ज्यादा मुस्लिम इसके विरोध में हैं. वो तीन तलाक नहीं चाहते.


इस रिसर्च में एक और बात ये बताई गई है कि भले भारत में अधिकतर लोग सभी धर्मों का सम्मान करते हैं लेकिन इनमें से काफी लोग अपने धर्म के लोगों के बीच ही रहना चाहते हैं.


इस रिसर्च के नतीजों में बताया गया है कि 36 प्रतिशत हिन्दू नहीं चाहते कि उनका पड़ोसी मुस्लिम समुदाय से हो और 31 प्रतिशत हिन्दू नहीं चाहते कि उनके पड़ोसी ईसाई धर्म से हों. इसी तरह 16 प्रतिशत मुसलमान नहीं चाहते कि उनके पड़ोसी हिन्दू हों और 25 प्रतिशत मुसलमान नहीं चाहते कि उनके पड़ोसी ईसाई हों.


इस रिसर्च में Interreligious Marriage यानी अंतरधार्मिक विवाह को लेकर भी भारत के लोग की राय रखी गई है. इसके मुताबिक, 66 प्रतिशत हिन्दू दूसरे धर्म में शादी करने के खिलाफ हैं. इसके अलावा 78 प्रतिशत मुस्लिम, 36 प्रतिशत ईसाई, 47.5 प्रतिशत सिख, 45 प्रतिशत बौद्ध और 62.5 प्रतिशत जैन भी दूसरे धर्म में शादी करने के खिलाफ हैं.