नई दिल्ली: अम्फान तूफान ने ऐसी तबाही मचाई है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी वर्क फ्रॉम होम ( Work from Home) छोड़कर फील्ड में उतरना पड़ा है. 83 दिन यानी करीब तीन महीने में पहली बार प्रधानमंत्री दिल्ली से बाहर किसी दौरे पर निकले. अम्फान तूफान से हुए नुकसान का जायजा लेने के लिए प्रधानमंत्री सबसे पहले पश्चिम बंगाल गए, लेकिन वो सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करना नहीं भूले. 


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कोलकाता एयरपोर्ट पर जब प्रधानमंत्री पहुंचे तो उन्होंने गमछे को ही फेस मास्क बनाया था. वो दूर से ही सबको नमस्कार कर रहे थे, और सबका हालचाल पूछ रहे थे, चाहे वो राज्यपाल हों, या फिर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी या फिर दूसरे मंत्री और नेता. हाथ मिलाना अब पुरानी बात हो गई है, कोरोना वायरस ने अब नेताओं के मिलने जुलने का कल्चर भी बदल दिया है. 


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक साथ प्लेन में बैठकर हवाई सर्वेक्षण किया और अम्फान तूफान से पश्चिम बंगाल में हुई तबाही को देखा. ये तो हम सब जानते हैं कि इन दोनों नेताओं और उनकी पार्टियों के बीच बहुत राजनैतिक मतभेद हैं, एक तरह से राजनैतिक दुश्मनी है, लेकिन इन दोनों नेताओं ने आपदा के वक्त राजनीति को दूर रखा और मतभेदों से सोशल डिस्टेंसिंग रखी. 


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मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल के लिए आर्थिक पैकेज की मांग की थी. प्रधानमंत्री ने तत्काल एक हजार करोड़ रुपए के पैकेज का ऐलान कर दिया. प्रधानमंत्री ने ममता बनर्जी की तारीफ भी की, क्योंकि कोरोना से लड़ाई के बीच पश्चिम बंगाल को अम्फान तूफान से हुई तबाही से भी निपटना पड़ रहा है. पश्चिम बंगाल में ऐसा तूफान पिछले 20 वर्ष में कभी नहीं देखा गया. अनुमान के मुताबिक पश्चिम बंगाल को करीब एक लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. 


पश्चिम बंगाल के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ओडीशा के दौरे पर गए, ओडीशा भी अम्फान तूफान से बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां पर भी मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के साथ मिलकर हवाई सर्वेक्षण किया. प्रधानमंत्री ने ओडीशा के लिए 500 करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया. ओडीशा में केंद्र और राज्य सरकार का मिल जुलकर काम करना ये पिछले वर्ष आए फानी तूफान में भी दिखा था. इसकी बहुत तारीफ हुई थी.