नई दिल्ली: कल सुबह 22 सितंबर को राज्य सभा के उप सभापति हरिवंश खुद ही विपक्ष के 8 निलंबित सांसदों के लिए चाय लेकर पहुंचे. इन 8 सांसदों को राज्य सभा के सभापति वेंकैया नायडू ने एक सप्ताह के लिए निलंबित कर दिया है. ये निलंबित सांसद 21 सितंबर से ही संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास रातभर धरने पर बैठे हुए हैं.


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उप सभापति हरिवंश भी इन सांसदों के साथ बैठे और अपने घर से लाई चाय उनको दी. हैरानी की बात है कि इन सांसदों ने राज्य सभा में हरिवंश को भी चोट पहुंचाने की कोशिश की थी. इसके बावजूद वो खुद इन सांसदों के लिए चाय लेकर पहुंच गए. उप सभापति का ये कदम भारत के लोकतांत्रिक संस्कारों को दिखाता है. हालांकि हैरानी की बात ये भी है कि विपक्षी सांसदों ने इस चाय को स्वीकार करने से मना कर दिया.


राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की एक कविता है...


क्षमा शोभती उस भुजंग को
जिसके पास गरल हो
उसको क्या जो दंतहीन
विषरहित, विनीत, सरल हो।


इसका मतलब है कि क्षमा करना उसी व्यक्ति को शोभा देता है जो सजा देने की भी ताकत रखता हो. दिनकर के अनुसार यदि कोई जहरीला सांप किसी की गलती को माफ कर दे तो उसे असली माफी मानना चाहिए. उस क्षमा का कोई मतलब नहीं है जो कोई कमजोर व्यक्ति किसी को करता है. लेकिन दिनकर की इन बातों को शायद विपक्षी दलों के नेता नहीं समझ रहे हैं. राज्य सभा में हुई हंगामे की तस्वीरें दिखाकर हमने महात्मा गांधी के आदर्शों को भूल चुके विपक्षी नेताओं के शर्मनाक व्यवहार को दिखाया था और संसद भवन परिसर से आई तस्वीर में आप असली गांधीवाद का दर्शन कर सकते हैं.



गांधी जी के आदर्शों का उदाहरण
हरिवंश ने महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास गांधी जी के आदर्शों का उदाहरण प्रस्तुत किया. वो चाहते तो इन सांसदों के पास नहीं जाते, ऐसा करना उनके लिए जरूरी नहीं था और हरिवंश ने दिखाया कि दोषी ठहराए गए सांसदों से उनकी कोई निजी दुश्मनी नहीं है. सभी धर्मों में क्षमा को श्रेष्ठ गुण बताया गया है और संसद भवन परिसर में हरिवंश ने इसी धर्म का पालन किया है.


उप सभापति हरिवंश ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को एक पत्र भी लिखा है. जिसमें उन्होंने बताया है कि राज्य सभा में जो भी हुआ उससे वो आहत हैं और एक दिन का उपवास रख रहे हैं.


कवि रामधारी सिंह दिनकर ने अपनी प्रसिद्ध कविता रश्मिरथी में एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है. उन्होंने कहा कि मनुष्य अपने कर्मों से ही अपने जीवनकाल में एक और जन्म ले लेता है. इसलिए किसी भी मनुष्य का मूल्यांकन उसके वंश से नहीं, उसके आचरण और कर्म से ही किया जाना चाहिए.


हालांकि इस गांधीवादी रवैये के बावजूद विपक्ष के रवैये में कोई सुधार होता दिखाई नहीं दे रहा है. कल कांग्रेस और बाकी विपक्षी दलों ने राज्य सभा के बहिष्कार का निर्णय किया और विपक्ष की अनुपस्थिति में कल राज्य सभा में 7 बिल पास हो चुके हैं. विपक्षी दलों के मुताबिक लोक सभा का बहिष्कार सिर्फ कल के लिए किया गया है और सरकार का जवाब मिलने के बाद वो आगे सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेने पर फैसला लेंगे.


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