नई दिल्ली: अब हम इंदौर से आई उस ख़बर का विश्लेषण करेंगे. जिसमें मानवता का बड़ा संदेश छिपा है. आप अपने घर की गैर-ज़रूरी किताबों से उन बच्चों के सपनों को पूरा कर सकते हैं, जो सिर्फ़ इसलिए पूरे नहीं हो पाते हैं क्योंकि, उनके पास पढ़ने के लिए किताबें नहीं हैं.


शिक्षा की दीवार पर किताबों का दान


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मध्य प्रदेश के इंदौर में 'शिक्षा की दीवार' शुरू की गई है. ये कोई दीवार नहीं बल्कि, एक बुक स्टोर है. जहां ज़रूरतमंद बच्चों को किताबें, नोटबुक्स और स्टेशनरी मुफ्त में दी जाएंगी. जिन लोगों के पास घर में किताबें, नोटबुक रखी हुई हैं और उनके लिए इनका कोई उपयोग नहीं है. ऐसे लोग शिक्षा की दीवार पर जाकर किताबों का दान कर सकते हैं.


दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति और महान गांधीवादी नेता नेल्सन मंडेला ने कहा था- शिक्षा वो शक्तिशाली हथियार है, जिससे आप पूरी दुनिया को बदल सकते हैं.



इंदौर में शिक्षा की दीवार पर एक बॉक्स रखा गया है. जहां कोई भी बच्चा, जिसे किताब की ज़रूरत है, वो एक पर्ची पर अपना नाम-पता-कक्षा और विषय के साथ फोन नंबर लिखकर छोड़ देता है. फिर उसके पास मांगी गयी शिक्षा सामग्री पहुंचा दी जाती है.


भारत में 6 से 13 वर्ष के लगभग 60 लाख बच्चे नहीं जाते स्कूल 


​नियम ये है कि जिन विद्यार्थियों को किताबें दी जाएंगी, वो अपनी पढ़ाई पूरी होने के बाद किताबों को फिर से शिक्षा की दीवार के पास छोड़कर चले जाएं. ताकि इन किताबों को दोबारा किसी ज़रूरतमंद विद्यार्थी को दिया जा सके. 


ऐसे प्रयास क्यों अच्छे और ज़रूरी होते हैं ये समझने के लिए आपको देश में शिक्षा के कुछ आंकड़े देखने चाहिए.


भारत में 6 से 13 वर्ष के लगभग 60 लाख बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं और जो स्कूल जाने भी लगते हैं उनमें से 37 प्रतिशत बच्चे पांचवीं कक्षा से पहले ही स्कूल जाना छोड़ देते हैं.