नई दिल्ली: आज हम आपको उत्तराखंड के ऋषिकेश से आई एक तस्वीर के बारे में बताना चाहते हैं. ये तस्वीर एक शहीद के घर से आई है और शहीदों के परिवारों का दर्द और उनका हौसला दिखाने की जिम्मेदारी मीडिया की ही होती है.


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कल BSF के शहीद सब-इंस्पेक्टर राकेश डोभाल का पार्थिव शरीर उत्तराखंड के ऋषिकेश में उनके घर पहुंचा. तब शहीद की 10 वर्ष की बेटी मौली ने जो कहा वो बातें पूरे देश को सुननी चाहिए. शहीद की इस बेटी की बातें सुनकर आप भी कहेंगे कि हमारे देश के फौजियों की तरह उनका परिवार भी बहुत बहादुर होता है.


अपने पिता के पार्थिव शरीर के साथ आए जवानों को भी गले लगाया
इतनी कम उम्र की ये बच्ची शायद जीवन और मृत्यु के बारे में भी नहीं जानती होगी. हालांकि वो ये समझ चुकी है कि अब वो अपने पिता से कभी मिल नहीं पाएगी. इसके बाद भी इस बच्ची ने जितना साहस दिखाया शायद किसी और के लिए ऐसा करना आसान नहीं होता. सिर्फ 10 वर्ष की होने के बावजूद मौली अपने पिता की शहादत पर रोई नहीं. उसने अपनी दादी को सांत्वना दी, उनका साहस बढ़ाया. उसने वहां मौजूद BSF के जवानों की तरफ इशारा करके कहा 'ये अंकल हमारी रक्षा करते हैं, दादी रोना नहीं'. मौली ने अपने पिता के पार्थिव शरीर के साथ आए जवानों को भी गले लगाया और कहा कि बड़ी होकर वो भी सेना में शामिल होगी और अपने पिता की शहादत का बदला लेगी.


दिवाली से सिर्फ एक दिन पहले जम्मू-कश्मीर के बारामूला में BSF के एक सब-इंस्पेक्टर राकेश डोभाल शहीद हो गए. पाकिस्तान की तरफ से हुए सीज़फायर उल्लंघन में उन्होंने सर्वोच्च बलिदान दिया. पूरे सैन्य सम्मान के साथ ऋषिकेश में उनका अंतिम संस्कार किया गया.


शहीदों और उनके परिवारवालों पर क्या बीतती है, उसकी तस्वीरें भी सबसे पहले मीडिया ही आपको दिखाता है. इससे पहले शहीदों के पार्थिव शरीर उनके घर पहुंचते थे. उनका अंतिम संस्कार भी हो जाता था और किसी को इसकी जानकारी भी नहीं मिलती थी. लेकिन जब से न्यूज़ चैनलों ने ये तस्वीरें दिखाना शुरू किया तब से देश के लोगों को भी शहादत का अर्थ और शहीदों के परिवारों का दर्द समझ में आने लगा.