DNA ANALYSIS: कोरोना में अस्पताल नहीं, Twitter पर ट्वीट से मिल रही दवाई; Delhi Police ने शुरू की जांच
कोरोना काल में कुछ लोग अपनी छवि चमकाने के लिए लोगों की मदद कर रहे हैं. ऐसे सभी लोग `नेकी कर सोशल मीडिया पर डाल` सिद्धांत पर विश्वास रखते हैं. लेकिन अब दिल्ली पुलिस ने जांच शुरू कर दी है.
नई दिल्ली: आज हम आपको कोरोना वायरस (Coronavirus) के नाम पर अपनी छवि चमकाने के लिए खुली मदद की नई-नई दुकानों के बारे में बताते हैं. एक जमाने में कहा जाता था कि नेकी कर दरिया में डाल यानी मदद करके किसी को कभी मत बताओ. लेकिन अब लोग 'नेकी कर सोशल मीडिया पर डाल' का पालन करने लगे हैं.
नेता, अभिनेता, उद्योगपति और बड़े-बड़े सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर देश में इस महामारी का फायदा उठाकर मदद के नाम पर सोशल मीडिया (Social Media) पर अपनी छवि चमका रहे हैं. आज ऐसे कई लोगों से दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने पूछताछ की है और उनसे ये पूछा है कि जब पूरी दिल्ली में ऑक्सीजन (Oxygen) की कमी थी, लोग इधर-उधर भटक रहे थे तब ऐसे में मदद करने के लिए इन लोगों के पास ऑक्सीजन कहां से आई?
वाहवाही लूटने के लिए मदद कर रहे कुछ लोग!
आप खुद एक बार सोचकर देखिए कि जब पूरी दिल्ली में आम लोगों को ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं मिल रहा था, कहीं रेमडेसिविर इन्जेक्शन उपलब्ध नहीं था, फिर इन नेताओं के पास ये सब चीजें कहां से आईं, जिनसे ये अपनी दुकानें सोशल मीडिया पर खोल पाए? हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि ये सब आवश्यक चीजें अस्पतालों के पास होनी चाहिए और अस्पतालों द्वारा ये मरीजों तक पहुंचनी चाहिए. लेकिन अभी अस्पताल नहीं बल्कि नेता, अभिनेता और उद्योगपति ऐसा कर रहे हैं. बड़ी बात ये है कि ये सभी नेता उसी को ऑक्सीजन सिलेंडर और दूसरी मदद पहुंचाते हैं, जहां मदद करने से उनका नाम होता है, वाहवाही मिलती है, ट्विटर रिट्वीट मिलते हैं. सोशल मीडिया इस समय इस वाहवाही का भूखा हुआ पड़ा है.
जब पूरे शहर में ऑक्सीजन नहीं थी तो उन्हें कहां से मिली?
मदद के नाम पर शोहरत की लूट मची है और आप कह सकते हैं कि सोशल मीडिया पर आज कल मदद का व्यापार करने वाली दुकानें खुल गई हैं. आप खुद सोचकर देखिए कि जब एक व्यक्ति अस्पताल में भर्ती होता है, वहां नर्सिंग स्टाफ उसका ध्यान रखता है, डॉक्टर उसका इलाज करते हैं, लेकिन लोग कभी उनका धन्यवाद नहीं करते. लेकिन जब यही मदद कोई नेता या फिल्म स्टार सोशल मीडिया पर किसी की करता है तो सब उसकी शान में कसीदे पढ़ने लग जाते हैं. कोई इन नेताओं से ये नहीं पूछता कि जब पूरे शहर में ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं है तो उसके पास कहां से आया?
पुलिस ने IYC के अध्यक्ष से की पूछताछ
लेकिन अदालत ने इस पर सवाल पूछ लिया है और पुलिस ने भी अपनी कार्रवाई शुरू कर दी है. दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने आज भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बी. वी. (Srinivas BV) से पूछताछ की. क्राइम ब्रांच की टीम श्रीनिवास के दफ्तर पहुंची और करीब 25 मिनट तक वहां रुकी. इस दौरान पुलिस ने ये जानने की कोशिश की कि मदद के लिए उन्होंने मेडिकल उपकरण और दवाइयां कहां से अपने पास इकट्ठा की?
गौतम गंभीर समेत इन लोगों से मांगी जानकारी
पुलिस ने दिल्ली से बीजेपी सांसद गौतम गंभीर (Gautam Gambhir), दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता हरीश खुराना (Harish Khurana) और आम आदमी पार्टी के विधायक दिलीप पांडे (Dilip Pandey) से भी इसे लेकर जानकारी मांगी. और ये सबकुछ दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) में दायर एक याचिका के बाद हुआ. इस याचिका में मेडिल माफिया और नेताओं के गठजोड़ का अंदेशा जताया गया था. याचिकाकर्ता ने कई नेताओं के सोशल मीडिया अकाउंट्स को बतौर सबूत हाई कोर्ट में रखा और आशंका जताई कि दवाओं की जमाखोरी हो रही है, इसलिए इसकी केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) से इसकी जांच होनी चाहिए.
क्या है पूरा मामला? क्यों की जा रही पूछताछ
हाई कोर्ट से मांग की गई कि जो सांसद या विधायक जमाखोरी कर रहे हैं या अवैध तरीके से कोरोना की दवाइयां बांट रहे हैं, उन पर NSA लगाया जाए और उन्हें अयोग्य घोषित किया जाए. इस याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई हुई, लेकिन अदालत ने CBI जांच से इनकार कर दिया. हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को दिल्ली पुलिस कमिश्नर से शिकायत करने के लिए कहा और दिल्ली पुलिस को इसकी जांच करने का आदेश दिया. हाई कोर्ट ने ये भी कहा कि अगर आरोप सही पाए गए तो FIR दर्ज कर कार्रवाई की जाए. दिल्ली हाई कोर्ट के इसी आदेश के बाद दिल्ली पुलिस ने आज इन नेताओं से पूछताछ की.
अस्पताल में नहीं, ट्विटर पर ट्वीट से मिलेगी दवाई
इससे पहले गुरुवार को ऐसी ही एक याचिका बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) में भी दायर की गई थी. याचिकाकर्ता ने सवाल उठाए थे कि अस्पतालों में रेमडेसिविर और दूसरी जरूरी दवाओं की कमी है. इसके बावजूद कुछ फिल्म स्टार और नेताओं के पास ये सब दवाइयां मौजूद हैं. ट्विटर पर मदद मांगने वालों को ये दवाइयां आसानी से मिल जा रही हैं. इस जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार और महाराष्ट्र सरकार से कुछ सवाल किए. हाई कोर्ट ने पूछा कि राज्यों को रेमडेसिविर का आवंटन केंद्र सरकार करती है फिर ये दवा निजी तौर पर कैसे उपलब्ध हैं? नेता और अभिनेता रेमडेसिविर कैसे बांट रहे हैं. हाई कोर्ट ने कहा कि पहली नजर में ये जरूरी दवाओं की जमाखोरी लगती है.
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