DNA ANALYSIS: ढाई साल के बच्चे ने अंगदान कर बदल दिया 7 लोगों का जीवन
जिद और जल्दबाजी जीवन की गति को रोक देती है और जिद और जल्दबाज़ी वो लोग करते हैं जो जीवित हैं और इस दौरान आजादी का जमकर दोहन भी कर रहे हैं. लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि जीवन का असली अर्थ ज़िद नहीं बल्कि जज्बा है.
नई दिल्ली: जिद और जल्दबाजी जीवन की गति को रोक देती है और जिद और जल्दबाज़ी वो लोग करते हैं जो जीवित हैं और इस दौरान आजादी का जमकर दोहन भी कर रहे हैं. लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि जीवन का असली अर्थ ज़िद नहीं बल्कि जज्बा है. इसके केंद्र में ढाई साल के उस बच्चे की कहानी है, जिसने मृत्यु से पहले ही अपने शरीर के सात अंगों का दान करके अमर हो गया. इस बच्चे का नाम है जश ओझा जिसे एक दुर्घटना के बाद Brain Dead घोषित कर दिया गया था.
इस बच्चे की कहानी हमें बताती है कि अमर होने के लिए और मोक्ष पाने के लिए आपको लंबा जीवन नहीं बल्कि बड़ा जीवन जीने की जरूरत है, यानी अमर होने के लिए ना तो बड़े बड़े समाधि स्थल और स्मारक बनाने की जरूरत है और ना ही अपने नाम पर पार्क और सड़कों के नाम रखने की जरूरत है, बस जीवन में कुछ ऐसा करने की जरूरत है कि लोग आपको हमेशा याद रखें. भावुक करने वाली इस कहानी के जरिए आज आप जीते जी मृत्यु की कला को सीख जाएंगे.
इसे समझने का नक्शा एक विचार में छिपा है. इसलिए आगे बढ़ने से पहले आप इस विचार को सुनें.
मृत्यु के बाद भी आप 17 लोगों के काम आ सकते हैं
Don't Take Your Organs To Heaven, Heaven Knows We Need Them Here यानी अपने अंगों को अपने साथ स्वर्ग लेकर मत जाइए. स्वर्ग से ज्यादा उनकी जरूरत यहां है. मृत्यु के बाद आपका अंगदान 17 लोगों को नया जीवन दे सकता है यानी आप मृत्यु के बाद भी 17 लोगों के काम आ सकते हैं.
परिवार ने किया जश के अंगदान का बड़ा फैसला
गुजरात में सिर्फ ढाई वर्ष के बच्चे जश ओझा (Jash Ojha) ने ऐसा ही बड़ा काम किया है. इसी महीने नौ तरीख को वो अपने घर की दूसरी मंजिल से गिर गया. इसके बाद डाॅक्टर्स ने जश को Brain Dead घोषित कर दिया और कहा कि उसके ठीक होने की संभावना न के बराबर है. इसके बाद पूरा परिवार गहरे शोक में डूब गया, माता-पिता और छह साल की बड़ी बहन के पास अब बस जश की यादें शेष थीं. पर इस मुश्किल घड़ी में भी परिवार ने जश के अंगदान का बड़ा फैसला किया. जिसने उनके बच्चे को मृत्यु के बाद भी अमर बना दिया है.
अपने दिल के दुकड़े को अंगदान के लिए सौंप देना एक माता-पिता के जीवन का शायद सबसे कठिन फैसला होगा. जिसे जन्म दिया, पाला-पोसा, उसके शरीर से अंग निकालने की इजाजत देना. एक बड़ी मनोवैज्ञानिक पीड़ा है, लेकिन जश के परिवार ने ये फैसला लिया. जश के पिता का कहना है कि उसका जन्म बहुत मन्नतों के बाद हुआ था. लेकिन अब उन्हें अपने पुत्र की असमय मृत्यु को स्वीकार करना पड़ा है.
Russia के बच्चे को जीवन दान मिला
इस बच्चे के Heart, Lungs, Kidneys, Liver और आंखों के Cornea को उसके परिवार की सहमति से दान दे दिया गया. इस बच्चे के Heart से Russia के 4 वर्ष के बच्चे को जीवन दान मिला है, और Lungs से Ukraine के एक बच्चे को नई जिंदगी मिली है. अहमदाबाद की ही 14 और 17 वर्ष की दो लड़कियों में जश ओझा की Kidneys का Transplant किया गया है और गुजरात के ही भावनगर में 2 वर्ष के बच्चे को Liver दान किया गया है.
अभी जश ओझा की Cornea को सूरत के ही एक Eye Bank को Donate किया गया है और इससे दो लोगों की आंखों को रोशनी मिल सकती है यानी इस एक बच्चे के अंगदान से 7 लोगों की जिंदगी हमेशा के लिए बदल जाएगी और इनमें से 5 लोग ऐसे हैं जिनके जीवन में बदलाव की ये प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. जश के पिता पत्रकार हैं, जश के न रहने पर एक NGO ने इन्हें अंगदान के लिए प्रेरित किया.
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अमर होने का सबसे बढ़िया तरीका अंगदान
अमर होना इंसानों का सबसे बड़ा सपना है. ऐसा करने के लिए बड़े और शक्तिशाली लोग समाधियां बनवाते हैं, स्मारक बनवाते हैं, अपने नाम पर सड़कों और पार्क के नाम रखते हैं. जो लोग इतने ताकतवर नहीं होते, वो मंदिरों और धर्मशालाओं में मृत व्यक्ति के नाम से कमरे बनवा देते हैं. पार्क में अपने नाम की बेंच बनवा लेते हैं जबकि इससे भी गरीब व्यक्ति दूसरे लोगों को खाना खिलाकर मृत व्यक्ति के मोक्ष की कामना करता है.
कुछ लोग अपने नाम पर समाधि, सड़क, इमारतें और संस्थान बनवाते हैं. सार्वजनिक स्थानों या पार्क में अपनी प्रतिमा लगवाते हैं. पुराने जमाने में लोग अपने पूर्वजों के नाम पर धर्मशाला और मंदिर बनवाते थे.
ऐसा करने के पीछे एक ही वजह होती है, लोग चाहते हैं कि मृत्यु के बाद भी उन्हें याद रखा जाए. हालांकि अमर होने का सबसे बढ़िया तरीका अंगदान ही है. जिसमें आप दूसरों को नया जीवन देकर अमर हो सकते हैं. ढाई साल के जश की कहानी हमें ये भी बताती है कि अमर होने के लिए लंबे जीवन की नहीं बल्कि बड़े जीवन की जरूरत होती है, यानी आप उम्र के पैमाने पर जीवन को मत तोलिए, बल्कि ये देखिए आपने कितना बड़प्पन दिखाते हुए अपना जीवन जिया है, फिर भले ही आपकी उम्र कुछ भी हो.
हर जीवन एक बीज की तरह होता है. हर बीज में एक वृक्ष बनने की संभावना होती है. नियति ने जश ओझा को अंकुरित होकर वृक्ष बनने का मौका नहीं दिया. हालांकि अंगदान के बाद अब वो वृक्ष बनकर कई लोगों के जीवन में छांव बन गया है.
Organ Transplant में समय का बड़ा महत्व होता है. Donor के शरीर से निकालने के बाद ये अंग खराब होने लगते हैं और इन्हें तुरंत Operation करके नए शरीर में पहुंचाना जरूरी होता है. हमने आपको बताया है कि जश ओझा के Heart और Lungs से दो विदेशी बच्चों को नया जीवन मिला है. ये दोनों विदेशी बच्चे चेन्नई के MGM Hospital में भर्ती हैं. सूरत से चेन्नई तक Organs को पहुंचाने के लिए एक Green Corridor का निर्माण किया गया और लगभग 1615 किलोमीटर की दूरी सिर्फ 160 मिनट में तय की गई.
अंगदान से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी
कहते हैं जब कोई व्यक्ति इस दुनिया से चला जाता है तो वह लोगों की यादों में हमेशा जीवित रहता है. हालांकि Organ Donation की मदद से कोई व्यक्ति, दूसरों के शरीर में भी जीवित रह सकता है.
अब आपको अमर बनाने वाले अंगदान से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी बताते हैं.
-हमारे शरीर के जिन 17 अंगों को दान किया जा सकता हैं उनमें प्रमुख हैं, Heart, Lungs, Liver, Kidneys और Skin.
-अंगदान के मामले में हमारे देश में जागरूकता की कमी है. देश में हर वर्ष Organ Transplant के लिए 5 लाख अंगों की जरूरत होती है. लेकिन जरूरत के मुताबिक Organs नहीं मिल पाते हैं.
-हर वर्ष 2 लाख Cornea की जरूरत है लेकिन सिर्फ 50 हज़ार ही दान किए जाते हैं.
-Kidney के मामले में ये अंतर और भी ज्यादा है. हर वर्ष 2 लाख Kidneys की Demand है लेकिन मिलती हैं सिर्फ 1684.
-देश में Heart की जरूरत वाले हर 147 लोगों में सिर्फ 1 को ही ये Organ मिलता है और Liver के मामले में हर 70 में से 1 व्यक्ति की Demand ही पूरी होती है.
-यानी भारत में Organs की बहुत ज्यादा कमी है. ऐसा इसलिए है क्योंकि यहां जश ओझा के परिवार की तरह अंगदान का फैसला लेने वाले लोगों की कमी है.
-देश में हर 10 लाख लोगों में 1 व्यक्ति भी अंगदान नहीं करता है जबकि अमेरिका में हर 10 लाख लोगों में 32 और स्पेन में 46 लोग Organ Donate करते हैं.
विदेशी बच्चों को ये Organs क्यों दिए गए?
आप सोच रहे होंगे कि जब देश में Organs की इतनी कमी है तो दो विदेशी बच्चों को ये Organs क्यों दिए गए. इसकी एक प्रक्रिया होती है. जिसमें Organ Donate करने वाले व्यक्ति और Organ Receive करने वाले व्यक्ति का Blood Group Match करना जरूरी है. इस समय देश में Heart Transplant के लिए किसी छोटे बच्चे का नाम Waiting List में नहीं था. इसलिए इन विदेशी बच्चों को ये Organs दिए गए हैं.
कोई भी धर्म अंगदान के खिलाफ नहीं
दुनिया में 22 प्रमुख धर्म हैं और इनमें से कोई भी धर्म अंगदान के खिलाफ नहीं है. भगवद् गीता के मुताबिक जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसकी आत्मा पुनर्जन्म लेती है और शरीर को पुराने कपड़ों की तरह त्याग दिया जाता है. लेकिन आपके शरीर के ये पुराने कपड़े यानी Organs किसी और के काम आ सकते हैं। उन्हें जीवन दे सकते हैं. अब हम आपको अंगदान करने का तरीका भी बता देते हैं.
Organs को Donate करने के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं
Organs को Donate करने के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं है. 1 दिन के बच्चे से लेकर 100 वर्ष के बुजुर्ग भी अंगदान कर सकते हैं. हालांकि 18 वर्ष से 50 वर्ष तक की उम्र में अंगदान करना सबसे बेहतर माना जाता है. अंगदान करने के लिए आप भारत सरकार के National Organ & Tissue Transplant Organization की Website पर जाकर खुद को Register करवा सकते हैं. इसकी Website का Address इस समय आपकी Screen पर है. ((https://notto.gov.in))
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक जीवन देने का काम सिर्फ भगवान ही कर सकते हैं. लेकिन अंगदान एक ऐसी ही प्रक्रिया है, जिससे दूसरों को जीवन दिया जा सकता है. यानी अंगदान करके कुछ इंसान भी भगवान जैसे बन जाते हैं. अंगदान सबसे बड़ा दान है.
दूसरों की मदद से ज्यादा अपनी Marketing
आजकल बहुत सारे लोग Pm Cares Fund में दान दे रहे हैं, बहुत सारे लोग गरीबों को खाना खिला रहे हैं और अलग-अलग तरीके से लोगों की मदद कर रहे हैं. लेकिन इनमें से कई लोग अपनी इन कोशिशों का बाकायदा Video बनाकर सोशल मीडिया पर डाल रहे हैं.
जिससे ऐसा लगता है कि ये लोग दूसरों की मदद से ज्यादा अपनी Marketing कर रहे हैं. हालांकि कुछ लोग ऐसा इसलिए करते हैं ताकि दूसरे लोग भी दान के लिए प्रोत्साहित हो. लेकिन दान और दया का भाव Social Media का मोहताज नहीं हैं.
बड़े बड़े उद्योगपति, फिल्मी सितारे, और खिलाड़ी अपनी-अपनी क्षमता के हिसाब से दान दे रहे हैं. लेकिन Social Media पर दान के संदर्भ में कही गई इनकी बातें किसी Press Release जैसी लगती हैं. हमें भी कई कंपनियां ऐसी प्रेस रिलीज़ भेज रही हैं. जिसमें उनके द्वारा किए गए दान के बारे में लिखा होता है.
दान Promotional Event नहीं
लेकिन हमारा मानना है कि दान को एक Promotional Event नहीं बनाना चाहिए. भारत में कहा जाता है कि आप एक हाथ से दान दें तो आपके दूसरे हाथ को भी इसका पता नहीं चलना चाहिए. इसके विपरित कई लोग पूरी दुनिया में अपने दान का प्रचार और प्रसार कर रहे हैं.
पहले के ज़माने में भी जब लोग दान करते थे, या मंदिर या किसी धर्मशाला में कमरा बनवा देते थे, तो भी उस पर अपना या अपने परिवार वालों का नाम लिखवा देते थे. ये भी एक प्रकार का प्रचार ही है. लेकिन तब प्रचार का ये तरीका बहुत सीमित था. लेकिन Social Media के दौर में अब बिना प्रचार के दान कोई नहीं करना चाहता.
मुश्किल की इस घड़ी में आप सबको दान के लिए आगे आना चाहिए और अपने सामर्थ्य के अनुसार दूसरों की मदद करनी चाहिए. बस इस बात का ध्यान रखें कि आपकी ये कोशिश Social Media की मोहताज न बन जाएं, क्योंकि दान Social Media Marketing नहीं, Social Service यानी समाज सेवा है.