नई दिल्‍ली: DNA में आज हम एक चुटकी नमक का विश्लेषण करेंगे. खाने में चुटकीभर भी नमक न हो तो स्वाद नहीं आता, लेकिन अगर एक चुटकी ज्यादा नमक हो तो ये स्वाद और स्वास्थ्य दोनों को नुकसान पहुंचा सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO के मुताबिक, एक व्यक्ति को दिन में 5 ग्राम से ज्यादा नमक का सेवन नहीं करना चाहिए और इससे ज्यादा नमक खाने से शरीर को नुकसान होता है.


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यूनाइटेड किंगडम की संस्था एक्‍शन ऑन सॉल्‍ट ने हेल्‍दी स्‍नैक्‍स कहे जाने वाले 119 पैकेज्‍ड फूड पर एक सर्वे किया. इस सर्वे में सामने आया कि 43 प्रतिशत प्रोडक्‍ट्स में नमक, फैट और शुगर की मात्रा जरूरत से कहीं ज्यादा है, जबकि इन चीजों के कम इस्तेमाल से भी प्रोडक्‍ट बनाया जा सकता था.


प्रोडक्‍ट्स को लेकर झूठे दावे 


बाजार में पैकेज्‍ड फूड की मार्केटिंग इस तरह से की जाती है कि उनसे ज्यादा हेल्‍दी और कुछ नहीं है. कई प्रोडक्‍ट्स पर लिखा होता है, बेक्‍ड, नॉट फ्राइड लेकिन सच्चाई ये है कि इन सभी प्रोडक्‍ट्स के बारे में जो दावे किए जाते हैं, वो ज्यादातर मामलों में गलत होते हैं. लंदन की क्‍वीन मैरी यूनिवर्सिटी की इसी रिसर्च टीम ने पाया कि ऐसे हेल्‍दी फूड जिन पर 'Less Fat', 'No Added Sugar' या 'gluten-free' जैसी लुभावनी जानकारियां लिखी होती हैं. इनमें भी नमक की मात्रा जरूरत से ज्यादा थी.


100 ग्राम चिप्स के पैकेट में इतना नमक 


यूनाइटेड किंगडम में हेल्‍दी स्‍नैक्‍स कहकर बेचे जा रहे 100 ग्राम चिप्स के पैकेट में 3.6 ग्राम नमक पाया गया जो दिन की जरूरत यानी 5 ग्राम के काफी करीब है. हेल्‍दी स्‍नैक्‍स में जितना नमक है, वो समुद्र के पानी में मौजूद सॉल्‍ट से भी ज्यादा है. समुद्र के 100 एमएल पानी में 3.5 ग्राम नमक पाया जाता है और इसे पीने लायक नहीं माना जाता है. मतलब हेल्‍दी कहे जाने वाला चिप्स समंदर के पानी से ज्यादा नमकीन है, पर वो खाए जा रहे हैं.


जंक फूड में नमक की मात्रा तय सीमा से ज्यादा


मतलब ये है कि हेल्‍दी स्‍नैक्‍स भी उतने हेल्‍दी नहीं हैं, जितना आप समझते हैं. ये सर्वे यूके में किया गया है, लेकिन भारत में बिकने वाले पैकेज्‍ड स्‍नैक्‍स का हाल भी लगभग यही है. विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण रिसर्च करने वाली संस्था Centre for Science and Environment की एक स्टडी बताती है कि भारतीय बाजारों में बिकने वाले जंक फूड में नमक की मात्रा तय सीमा से ज्यादा है.


33 सैम्‍पल्‍स की जांच की गई 


इस संस्था ने कुछ मशहूर ब्रांड्स के पिज्‍जा, बर्गर, सैंडविच, चिप्‍स और इंस्‍टैंट नूडल्‍स के सैंपल लेने के बाद अपनी रिपोर्ट तैयार की. जिसमें दावा किया कि खाने-पीने की इन चीजों में नमक जरूरत से ज्यादा या खतरनाक स्तर पर था. सर्वे में भारत में बिकने वाले मल्‍टीग्रेन चिप्‍स और बेक्‍ड स्‍नैक्‍स को भी शामिल किया गया, जिन्हें आप हेल्‍दी मानते हैं. दिल्ली के अलग-अलग मार्केट से 33 सैम्‍पल्‍स लिए गए.  इनकी लैब में जांच करवाई गई.


इनमें से 14 सैम्‍पल्‍स चिप्‍स, नमकीन और सूप के थे और  19 सैंपल बर्गर, पिज्‍जा और फ्राइज के थे. जांच के नतीजे सामने आया तो पता चला कि मल्‍टीग्रेन चिप्‍स के 30 ग्राम के पैकेट में 5.1 ग्राम नमक था.  230 ग्राम आलू भुजिया में नमक की मात्रा 7 ग्राम थी. 70 ग्राम इंस्‍टैंट नूडल्‍स में 5.8 ग्राम नमक था. वहीं इंस्‍टैंट सूप  में नमक की मात्रा 11.07 ग्राम पाई गई.


पैकेट पर वॉर्निंग लेबल क्‍योंं नहीं?   


इस रिपोर्ट में सिफारिश की गई थी कि जैसे शाकाहारी और मांसाहारी खाने के पैकेट पर हरे या लाल रंग का निशान लगाया जाता है, वैसे ही नमक की मात्रा ज्यादा होने पर भी पैकेट पर वॉर्निंग लेबल लगाया जाना चाहिए क्योंकि, इससे उपभोक्ताओं को नमक की मात्रा की सही जानकारी मिल पाएगी.



कहते हैं खाने में नमक स्वादानुसार डालिए, लेकिन डॉक्‍टरों का मानना है कि खाने में नमक स्वादानुसार नहीं स्वास्थ्य अनुसार खाना चाहिए. हमने इसी पर एक रिपोर्ट तैयार की है. अगर आपने दिन भर कुछ नहीं खाया और बस एक चिप्‍स के पैकेट से काम चला लिया, तो ये मत सोचिएगा कि आज आपकी डाइटिंग हो गई.  हो सकता है कि आप दिन भर की जरूरत का नमक एक पैकेट चिप्‍स में ही खा चुके हों. 


अगर आप घर का साधारण खाना खा रहे हैं तो नमक की मात्रा कंट्रोल करना आसान है. लेकिन अगर आपको खाने के साथ चाट मसाले वाली सलाद, चटनी, अचार और पापड़ भी चाहिए तो नमक की मात्रा बढ़ जाएगी और वो मात्रा आपको बीमार करने के लिए काफी हो सकती है. 


-भारत में हाई ब्‍लड प्रेशर के मरीज - 20 करोड़ से ज्यादा


-भारत में दिल की बीमारियों के मरीज - 4 करोड़ से ज्यादा


-भारत में किडनी के मरीजों की संख्या - 5 लाख से ज्यादा


नमक कर रहा है बीमार ?


क्या कभी आपने ये सोचा है कि इन सबके पीछे नमक भी एक कारण हो सकता है. नमक स्वादानुसार खाइए ये सलाह तो आपने कई बार सुनी होगी, लेकिन आज हम आपसे कहना चाहते हैं कि नमक स्वादानुसार नहीं, स्वास्थ्‍य के अनुसार खाइए क्योंकि, स्वाद के चक्कर में आप दिन भर में कितना नमक खा जाते हैं आपको अक्सर अंदाजा भी नहीं होता.


बीमारी और जरूरत के हिसाब से नमक की मात्रा कंट्रोल करें


काला नमक, रॉक सॉल्‍ट यानी सेंधा नमक, सी सॉल्‍ट, पिंक सॉल्ट जैसे नमक के कई प्रकार आपको बाजार में मिलेंगे. इन्हें स्वाद के हिसाब से आप अलग अलग तरीके से इस्तेमाल तो कर सकते हैं लेकिन कम मात्रा में ही.  हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि आपको नमक की मात्रा पर लगाम लगानी है. अलग-अलग नमक आजमाने की जगह आप साधारण आयोडीन वाला नमक खा सकते हैं, लेकिन अपनी बीमारी और जरूरत के हिसाब से नमक की मात्रा कंट्रोल करें. 


न्‍यूट्रिशनिस्‍ट सलाह देते हैं कि अलग-अलग नमक से शरीर में पोटैशियम की मात्रा बढ़ सकती है इसलिए आयोडीन वाला नमक खाएं. ज्यादा नमक से हाई ब्‍लड प्रेशर हो सकता है. दिल की बीमारी हो सकती है. किडनी की बीमारी हो सकती है. हड्डियां कमजोर हो सकती हैं.  वहीं अगर नमक बहुत कम लिया जाए तो ब्‍लड प्रेशर कम हो सकता है. हार्मोन का स्तर गड़बड़ हो सकता है. नमक यानी सोडियम का बहुत कम होना दिमाग को सुस्त बना देता है.


औसतन 2000 कैलोरीज की जरूरत 


एक व्यक्ति को दिन भर में औसतन 2000 कैलोरीज की जरूरत होती है. इसमें नमक की कुल मात्रा 5 ग्राम ही होनी चाहिए. 2019 में सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरमेंट एनजीओ ने एक सर्वे किया, जिसमें दिल्ली के अलग-अलग मार्केट से 33 सैंपल लिए गए थे. भारत में खाने पीने की चीजों के मानकों को तय करने वाली संस्था Food Safety Standards Authority of India के मुताबिक, पैकेटबंद खाने में नमक और फैट की मात्रा बताना जरूरी है. अक्‍टूबर से पैकेटबंद खाने में ये भी बताना होगा कि इस पैकेट में जितना नमक है वो दिन की कुल जरूरत का कितना प्रतिशत है और अगर नमक या फैट की मात्रा जरूरत से ज्यादा है,  तो पैकेट के के सामने वाले हिस्से पर Warning lable लगाना जरूरी किया जा सकता है. हालांकि FSSAI का कहना है कि वो नमक कम या ज्यादा करने को लेकर किसी कंपनी को निर्देश नहीं दे सकते हैं. 


भारत में डायबिटीज के सबसे ज्‍यादा मरीज


भारत दुनिया का दूसरा देश है जहां डायबिटीज  के सबसे ज्यादा मरीज हैं. दिसंबर 2019 तक देश में डायबिटीज के मरीजों की संख्या 7 करोड़ 70 लाख तक थी. आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया के हर 6 में से एक डायबिटीज का मरीज भारतीय है. आप सोच रहे होंगे कि चुटकीभर नमक का विश्लेषण करते करते हम डायबिटीज पर कैसे आ गए. दरअसल हम आपको ये समझाना चाहते हैं कि जिस तरह से मीठा खाना अच्छा तो लगता है लेकिन उसकी ज्‍यादा मात्रा स्वास्थ्य के लिए जहर बन जाती है, ठीक उसी तरह से खाने में नमक नियंत्रित हो तो ही अच्छा है, नहीं तो उसकी ज्‍यादा मात्रा कई गंभीर बीमारियों को जन्म देती है.


-ज्यादा नमक हाई ब्‍लड प्रेशर का कारण बनता है.  शरीर में नमक की मात्रा ज्यादा होने पर पानी जरूरत से ज्यादा जमा हो जाता है. ये स्थिति वॉटर रिटेंशन या फ्लूइड रिटेंशन कहलाती है, ऐसी स्थिति में हाथ, पैर और चेहरे में सूजन आ जाती है


-शरीर में ज्यादा नमक की मात्रा से डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है.


-नमक का ज्यादा सेवन दिल की बीमारियों के खतरे को बढ़ा देता है.


-ज्यादा नमक खाने से शरीर में कैल्शियम का स्तर बढ़ जाता है और आपको पथरी की समस्या हो सकती है.


नमक की अधिक मात्रा से किडनी और दिमाग में बीमारी को जन्म दे सकती है. ज़्यादा नमक के खतरों से निपटने का सबसे सरल तरीका है घर का ताज़ा खाना खाइए और जो भी खाएं उसमें नमक की मात्रा कम ही रखें. चीनी और नमक कम खाएंगे तो भी आपका काम चल जाएगा क्योंकि, फल सब्जियों से लेकर रोटी और चावल के जरिए हमें जरूरत के मुताबिक, सोडियम और ग्‍लूकोज स्वाभाविक रूप से मिल जाता है. खुद को सेहतमंद बनाए रखने के लिए खूब चलिए, व्यायाम कीजिए और फिट रहिए.