नई दिल्ली: क्या आपने कभी सोचा है कि अगर एक दिन के लिए भी आपको पीने का पानी न मिले तो क्या होगा. आप शायद अभी ये सोच भी न पाएं लेकिन ये आने वाले कल की सच्चाई हो सकती है. एक छोटे सी कहावत की मदद से पानी की अहमियत समझाने की चाहिए.


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कहावत है-हमारे दादाजी ने पानी को नदी में देखा, पिताजी ने कुंए में देखा, हमने पानी को नल में देखा और आजकल के बच्चे पानी को बोतल में देख रहे हैं… पर अब उनके बच्चे पानी को कहां देखेंगे? इस सवाल का जवाब शायद आपके पास भी नहीं होगा.


स्वास्थ्य को पहुंचने वाले नुकसान के बारे में सोचना भी बंद
धरती पर पानी लगातार घटता रहा है. ये सच्चाई हम सबको मालूम है. लेकिन अभी हम में से ज्यादातर लोग इसे लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं हैं और इसका नतीजा ये है कि हमने घरों में लगे RO सिस्टम से होने वाली पानी की बर्बादी और इससे स्वास्थ्य को पहुंचने वाले नुकसान के बारे में सोचना भी बंद कर दिया है.


जरूरत से ज्यादा साफ पानी आपके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है
आजकल ज्यादातर लोगों के घरों में RO सिस्टम लगे हैं. उससे फिल्टर होकर आने वाले पानी को हम शुद्ध पानी मान लेते हैं. हो सकता है कि आपके घर में भी RO या कोई और फिल्टर सिस्टम लगा हुआ होगा. लेकिन आपको ये नहीं पता होगा कि इससे पानी की कितनी बर्बादी होती है और कैसे जरूरत से ज्यादा साफ पानी आपके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है.



- Bureau of Indian Standards के मुताबिक अगर एक लीटर पानी में TDS यानी Total Dissolved Solids की मात्रा 500 मिलीग्राम से कम है तो ये पानी पीने योग्य है. लेकिन ये मात्रा 250 मिलीग्राम से कम नहीं होनी चाहिए क्योंकि, इससे पानी में मौजूद खनिज आपके शरीर में नहीं पहुंच पाते.


- विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक प्रति लीटर पानी में TDS की मात्रा 300 मिलीग्राम से कम होनी चाहिए.


अगर एक लीटर पानी में 300 मिलीग्राम से 600 मिलीग्राम तक TDS हो तो उसे पीने योग्य माना जाता है. हालांकि अगर एक लीटर पानी में TDS की मात्रा 900 मिलीग्राम से ज्यादा है तो वो पानी पीने योग्य नहीं माना जाता है.


पानी में TDS 100 मिलीग्राम से कम हो तो उसमें चीजें तेजी से घुल सकती हैं
पानी में TDS 100 मिलीग्राम से कम हो तो उसमें चीजें तेजी से घुल सकती हैं. प्लास्टिक की बोतल में बंद पानी में कम TDS हो तो उसमें प्लास्टिक के कण घुलने का खतरा भी रहता है. यानी कम TDS वाला पानी आपके स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है.


अब आप सोच रहे होंगे कि आपको कैसे पता चलेगा कि जो पानी आप पी रहे हैं वो कितना साफ और शुद्ध है? आज इस रिपोर्ट के जरिए हम आपको ये बताएंगे कि शुद्ध और साफ पानी किसे कहते हैं? हम आपको ये भी बताएंगे कि आपको हर दिन कितना पानी पीना चाहिए. 


RO से निकलने वाले पानी का टीडीएस चेक कीजिए
RO का पानी पीना फैशन बन गया है. सोच ये है कि पानी अगर मीठा है तो अच्छा है और उसे साफ करने के लिए RO तो होना ही चाहिए. लेकिन जिस RO को आप सेहतमंद मानते हैं वो कितना सेहतमंद है इसका पता नहीं है. अपने घर के RO से निकलने वाले पानी का टीडीएस चेक कीजिए. हो सकता है कि उसमें टीडीएस की मात्रा आपको हैरान कर दे. दरअसल पानी को मीठा करने के चक्कर में कई RO सिस्टम उसका टीडीएस घटा देते हैं. 65 से 95 टीडीएस होने पर पानी मीठा तो हो जाता है लेकिन उसमें से कई जरूरी मिनरल्स भी निकल चुके होते हैं. ज्यादातर लोग ऐसा ही पानी पी रहे हैं. वाटर क्वालिटी इंडियन एसोसिएशन के सदस्यों ने एनजीटी में RO का केस लड़ते हुए ये दलील दी थी कि देश के 13 राज्यों के 98 जिले ऐसे हैं जहां पानी को RO तकनीक से ही पीने योग्य बनाया जा सकता है. अब आपको बताते हैं कि RO यानी रिवर्स ऑस्मोसिस प्रक्रिया में क्या होता है.


पानी में मिनरल्स खत्म होने का खतरा
डिस्टीलेशन, डी-आयोनाइजेशन और मेम्ब्रेन फिल्टरेशन जैसी प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद पानी मिनरल्स से मुक्त हो जाता है. नैनो फिल्टरेशन और इलेक्ट्रोडायलिसिस जैसी अलग अलग तकनीकों से लैस RO यानी रिवर्स ऑस्मोसिस तकनीक से गुजर कर निकले पानी में मिनरल्स खत्म होने का खतरा भी रहता है. साथ ही पानी की सफाई के प्रोसेस में होने वाली बर्बादी के लिए भी ये तकनीक सवालों के घेरे में रही है. RO पानी साफ करने के चक्कर में 80 फीसदी तक पानी को बर्बाद कर देता है.


RO के टीडीएस को 350 पर सेट करें
आसान भाषा में पानी स्वादरहित, गंधरहित और रंगरहित है तो वो सही साफ और शुद्ध पानी है. लेकिन मीठा करने के चक्कर में कई RO में टीडीएस का स्तर कम सेट किया जाता है. पानी में टीडीएस का लेवल अगर 100 से कम है तो इसमें चीजें तेजी से घुल सकती हैं. अगर प्लास्टिक की बोतल में पानी पी रहे हैं तो ऐसे पानी में प्लास्टिक के कण भी घुल सकते हैं. ये कई बीमारियों की वजह बन सकता है. इसलिए आप अपने RO के टीडीएस को 350 पर सेट करें.


अगर नल का पानी साफ यानी ठीक ठाक आता है तो स्टील के बर्तन में पानी को उबालकर और उसे ठंडा करके भी पीने योग्य बना सकते हैं. आप घड़े का प्रयोग भी कर सकते हैं. घड़ा प्राकृतिक तरीके से पानी को ठंडा भी रखता है और उसे फिल्टर करने का काम भी करता है.


किसे कितना पानी पीना चाहिए?
किसे कितना पानी पीना चाहिए ये जरूरत, मौसम और आपके काम के हिसाब से तय होती है. लेकिन मोटे तौर पर दिन भर में 2 लीटर पानी पीने को पर्याप्त माना जाता है. कम पानी पीने से किडनी स्टोन्स, कब्ज़ और डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है. हालांकि ज्यादा पानी पीने से भी लोगों को कई बीमारियां हो सकती हैं. इसलिए अब डॉक्टर यही सलाह देते हैं कि अपनी प्यास के मुताबिक पानी पिएं. यही सबसे सही पैमाना है. खाने के बाद पानी न पीने का फॉर्मूला आयुर्वेद के सिद्दांतों पर आधारित है. एलौपेथी के डॉक्टर इस नियम को लेकर एकमत नहीं है. उनके मुताबिक इंसान स्वयं अपनी जरूरत पहचान कर ये नियम बना सकता है. 


RO का मतलब होता है. Reverse osmosis ये एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत फिल्टर्स की मदद से पानी को उल्टी दिशा में बहाकर साफ किया जाता है. पानी में TDS की मात्रा जांचने के लिए TDS Meter का इस्तेमाल होता है जो बाजार में आसानी से मिल जाते हैं. आजकल कई RO Systems भी आपको TDS की जानकारी देने में सक्षम होते हैं.


ऋग्वेद के हिसाब से पानी
साफ और शुद्ध पानी क्या होता है इसका जि​क्र वेदों में भी मिलता है. ऋग्वेद के हिसाब से पानी,
शीतलम यानी ठंडा
सुशीनी यानी साफ
सिवम यानी उसमें जरूरी खनिज होने चाहिए
और पानी इश्टम यानी पारदर्शी होना चाहिए.


यानी पानी को साफ होना चाहिए, ठंडा होना चाहिए, पारदर्शी होना चाहिए और खनिज युक्त होना चाहिए. अगर आपका पानी इन पैमानों पर खरा नहीं उतरता तो समझ जाइए कि आप अपने स्वास्थ्य के साथ समझौता कर रहे हैं.


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