DNA ANALYSIS: गाजियाबाद में हुई कार्रवाई भारत की प्रशासनिक परंपराओं से अलग क्यों?
हमारे देश में अक्सर किसी दुर्घटना के बाद एक जांच समिति बना दी जाती है. इसके बाद कई महीनों और कई मामलों में वर्षों के बाद जब ये समिति अपनी रिपोर्ट देती है, तब तक समाज उस दुर्घटना को पूरी तरह से भूल जाता है.
नई दिल्ली: रविवार को जब देश छुट्टी मना रहा था, तब यूपी के गाजियाबाद में करप्शन ऑन ड्यूटी था और उसने 25 लोगों की जान ले ली. श्मशान घाट में एक महीने पहले बनी इमारत गिरी और लोग उसके नीचे दब गए. इसके बाद उत्तर प्रदेश की सरकार ने जिस रफ्तार से एक्शन लिया उससे इंसाफ भी हुआ और न्याय होते हुए भी दिखा.
NSA जैसे कड़े कानून के तहत कार्रवाई
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस दुर्घटना के लिए जिम्मेदार इंजीनियर और ठेकेदार पर NSA जैसे कड़े कानून के तहत कार्रवाई के आदेश दिए. इन्हीं दोनों से नुकसान की वसूली भी की जाएगी. ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट करने का फैसला भी किया गया है और गाज़ियाबाद के DM और कमिश्नर को नोटिस देकर, इस काम के ऑडिट में हुई भूल के लिए भी जवाब मांगा गया है.
हमारे देश में अक्सर किसी दुर्घटना के बाद एक जांच समिति बना दी जाती है. इसके बाद कई महीनों और कई मामलों में वर्षों के बाद जब ये समिति अपनी रिपोर्ट देती है, तब तक समाज उस दुर्घटना को पूरी तरह से भूल जाता है और उस दुर्घटना के पीड़ित भी न्याय मिलने की उम्मीद छोड़ देते हैं. हालांकि गाजियाबाद में हुई कार्रवाई भारत की प्रशासनिक परंपराओं से अलग है.
... तो हम देश को करप्शन से बचा सकते हैं
गाजियाबाद में दुर्घटना के आरोपी ठेकेदार को गिरफ्तार किया गया है और इसने श्मशान घाट में निर्माण के लिए कमीशन देने का दावा किया है. आसान शब्दों में कहें तो भ्रष्टाचार की वजह से गाजियाबाद में ये छत ढह गई और 25 लोग अब इस दुनिया में नहीं हैं.
एक कहावत है कि भ्रष्टाचार कैंसर की उस लाइलाज बीमारी की तरह है, जो फैलता तो धीरे-धीरे है लेकिन एक दिन ऐसा आता है जब ये मौत का रूप ले लेता है. लेकिन अगर समय रहते इसका सटीक इलाज किया जाए तो हम देश को करप्शन से बचा सकते हैं.
आप कह सकते हैं कि हमारे देश में भ्रष्टाचार का भी अपना एक सिस्टम बन चुका है. इसे आप उत्तर प्रदेश में पिछले वर्ष हुए एक सर्वे से समझ सकते हैं.
-इस सर्वे में 74 प्रतिशत लोगों ने बताया था कि वो हर वर्ष किसी न किसी काम के लिए रिश्वत देते हैं.
-23 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्हें कभी ऐसा काम कराने की ज़रूरत नहीं पड़ी और सिर्फ़ तीन प्रतिशत लोगों ने माना कि उन्हें अपना काम कराने के लिए कभी रिश्वत नहीं देनी पड़ी
-आप रिश्वतखोरी को भ्रष्टाचार की बीमारी का एक लक्षण भी कह सकते हैं. हमारे देश में पुलिस और स्थानीय प्रशासन को हर वर्ष 6 हज़ार 600 करोड़ रुपये की रिश्वत मिलती है.
भारत का एक नागरिक सालभर में औसतन एक लाख 25 हजार रुपये ही कमा पाता है और 6 हजार 600 करोड़ रुपये कमाने में हमारे देश के एक आम आदमी को 5 लाख 28 हजार साल लग जाएंगे. अब आप सोचिए कि हमारे देश में भ्रष्टाचार की क्या स्थिति है.