DNA ANALYSIS: DRDO ने किया HSTDV का सफल परीक्षण, क्यों खास है ये तकनीक?
चीन के खतरे का भारत की तरफ से चौतरफा जवाब दिया जा रहा है. आज DRDO यानी Defence Research and Development Organisation ने पूरी तरह देश में बनी हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी (Hypersonic Technology) का सफल परीक्षण किया है.
नई दिल्ली: चीन के खतरे का भारत की तरफ से चौतरफा जवाब दिया जा रहा है. DRDO यानी Defence Research and Development Organisation ने पूरी तरह देश में बनी हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी (Hypersonic Technology) का सफल परीक्षण किया है. ये एक खास तरह की टेक्नोलॉजी है. जिसके इस्तेमाल से किसी मिसाइल की स्पीड आवाज से 6 गुना तेज हो जाएगी. अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत दुनिया का चौथा देश बन गया है जिसके पास ये टेक्नोलॉजी है.
ओडिशा के बालासोर में इस तकनीक का टेस्ट किया गया. इस Hypersonic Vehicle की रफ्तार 7 हजार किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक है. परीक्षण के दौरान Hypersonic Vehicle मात्र 20 सेकेंड में 30 किलोमीटर की ऊंचाई तक गया.
आवाज से लगभग छह गुनी अधिक स्पीड
- आवाज की स्पीड 343 मीटर प्रति सेकेंड होती है. यानी कोई आवाज एक सेकेंड में 343 मीटर की दूरी तय करती है.
- लेकिन हाइपरसोनिक मिसाइल एक सेकेंड में 2 किलोमीटर दूर पहुंच जाती है. यानी आवाज से लगभग छह गुनी अधिक स्पीड.
- ये बेहद जटिल टेक्नोलॉजी मानी जाती है क्योंकि ज्यादा रफ्तार के कारण इंजन के गर्म होकर जलने का खतरा होता है.
रक्षा के क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति
अब आप समझिए कि हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी से भारत को क्या फायदा होगा?
ये तकनीक रक्षा के क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति है, भविष्य में इसकी मदद से बहुत तेज रफ्तार से चलने वाली मिसाइलें बनाई जा सकेंगी. दुनिया के ज्यादातर देश अभी जिन मिसाइलों का इस्तेमाल करते हैं उन्हें ट्रैक करके रास्ते में ही नष्ट किया जा सकता है. लेकिन हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी वाली हाई स्पीड मिसाइलों को रास्ते में मार गिराना लगभग नामुमकिन होता है. इन मिसाइलों को हजारों किलोमीटर का फासला तय करने में सिर्फ कुछ मिनट लगते हैं. दुनिया के कई देश अभी हाइपरसोनिक मिसाइलों को नष्ट करने वाला एयर डिफेंस सिस्टम बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अभी तक किसी को भी इसमें कामयाबी नहीं मिली है. यानी भारत में इस तकनीक से बनी मिसाइलें आसानी से शत्रुओं को निशाना बना पाएगी. हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी में इस सफलता से भारत को और शक्तिशाली बनाने में बड़ी मदद मिलेगी.
आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने DRDO के वैज्ञानिकों को इस अभूतपूर्व सफलता पर बधाई दी है.
ऐसी तकनीक बनाने में आत्मनिर्भर होना ही एकमात्र उपाय
इससे पहले भारत और रूस ने मिलकर Supersonic Brahmos मिसाइल बनाई थी. Brahmos मिसाइल की रफ्तार लगभग 3 हजार 600 किलोमीटर प्रति घंटा है. हाइपरसोनिक मिसाइल की रफ्तार इससे भी दोगुना यानी 7 हजार किलोमीटर प्रतिघंटा होगी. अब Brahmos के Hypersonic Version पर काम किया जा रहा है और हो सकता है अगले कुछ वर्षों में हमारे वैज्ञानिक ऐसी मिसाइल तैयार भी कर लें.
ये डिफेंस के क्षेत्र में भारत की बड़ी कामयाबी है, ऐसी तकनीक बनाने में आत्मनिर्भर होना ही एकमात्र उपाय है. हाइपरसोनिक दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टेक्नोलॉजी में एक है और दुनिया का शायद ही कोई देश ऐसी तकनीक भारत के साथ शेयर करेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कामयाबी के लिए DRDO के वैज्ञानिकों को बधाई दी है.
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