नई दिल्ली: चीन ने लद्दाख में पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर कब्जा करने की योजना बनाई थी. लेकिन भारत की सेना ने पहले ही चीन की सेना के खिलाफ कार्रवाई कर दी. 29 और 30 अगस्त की रात के बाद से भारत इस इलाके में चीन की सेना के मुकाबले ज्यादा ऊंचाई पर और ज्यादा मजबूत स्थिति में है. ये चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के लिए इतना बड़ा झटका है कि पिछले 24 घंटे में चीन इस मामले में 5 अलग अलग बयान दे चुका है. चीन के ज्यादातर बयानों का सार ये है कि भारत उसके इलाके में घुस आया है और भारत को अपने सैनिक वापस बुलाने चाहिए.


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भारत समेत 18 देशों के साथ सीमा विवाद
चीन की परेशानी इस बात से समझ सकते हैं कि उसने अपने सबसे ताजा बयान में कहा है कि वो कभी किसी दूसरे देश की एक इंच जमीन पर भी कब्जा नहीं करना चाहता. इस समय चीन का भारत समेत 18 देशों के साथ सीमा विवाद है. यानी भारत, चीन को इस हद तक ले आया है कि वो अब दूसरे देशों की सीमाओं का सम्मान करने की बात कह रहा है. इस बदलाव को समझने के लिए आपको चीन के इन 5 बयानों पर ध्यान देना चाहिए.


पहला बयान आज का है, जिसमें चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वो इस सीमा विवाद का शांतिपूर्ण हल चाहता है. भारत ने उसकी सीमा का उल्लंघन किया है और वो चाहता है कि भारत यहां से पीछे हट जाए.


इससे पहले आज भारत में चीन के दूतावास की तरफ से भी एक बयान आया. इसमें भी कहा गया कि भारत ने उसकी सीमा का उल्लंघन किया है.


इसके पहले चीन की सेना के Western Theater Command ने भी बयान जारी किया था. जिसमें कहा गया कि भारत की सेना ने चीन की सेना को उकसाया है और चीन इस संबंध में भारत को जवाब देने के लिए उचित कार्रवाई कर रहा है.


चौथा बयान चीन की सेना का है, जिसमें कहा गया है कि भारत को अपने सैनिक हटाने चाहिए ताकि विवाद आगे न बढ़े.


पांचवें बयान में चीन की सेना के Western Theater Command ने कहा कि भारत के जिन सैनिकों ने सीमा का उल्लंघन किया है उन्हें वापस लौटना चाहिए और जो सैनिक फ्रंट लाइन पर तैनात है. उन्हें नियंत्रण में रखना चाहिए.


चीन के पास दुनिया की सबसे बड़ी सेना
चीन के पास दुनिया की सबसे बड़ी सेना है. चीन किसी भी देश के सामने कभी शांति और विवाद सुलझाने की ऐसी अपील नहीं करता. लेकिन नए भारत के नए तेवर देखकर चीन की सेना को समझ आ गया है कि असली ताकत संख्या में नहीं बल्कि हौसलों में होती है. इसी के दम पर आज भारत के सैनिक लद्दाख के चुशूल सेक्टर में 15 हजार फीट की ऊंचाई पर बैठे हैं. जबकि चीन के सैनिक इससे नीचे हैं.


आम तौर पर जब कोई सेना ऊंचाई पर मौजूद होती है तो उसके एक सैनिक को काबू करने के लिए नीचे मौजूद सेना को 6 सैनिक मैदान में उतारने पड़ते हैं. लेकिन लद्दाख के गलवान जैसे इलाकों में ऊपर होने के बावजूद चीन को भारत के एक जवान के मुकाबले अपने 10 जवान तैनात करने पड़ते हैं. यानी आज की स्थिति में भारत का एक-एक सैनिक चीन के 10 सैनिकों पर भारी पड़ सकता है.


भारत ने आखिर ऐसा किया कैसे?
आपको ये भी समझना चाहिए कि भारत ने आखिर ऐसा किया कैसे? ये घटना पैंगोंग झील के पास की है. जिसके बाईं तरफ भारत का इलाका है और दाईं तरफ के इलाके पर चीन की सेना का कब्जा है. चीन भारत के इलाके में आकर ऊंचाई पर कब्जा करना चाहता था. और Line Of Actual Control को पश्चिम में पीछे की तरफ धकेलना चाहता था. यानी चीन का इरादा भारत के खिलाफ एक नया मोर्चा खोलने का था.


भारत पहले से ही लगातार रडार और नाइट विजन कैमरों की मदद से इस इलाके की निगरानी कर रहा था. इसी दौरान भारत की सेना ने पीएलए के सैकड़ों सैनिकों की मूवमेंट को नोट किया और इससे पहले कि चीन के ये सैनिक आगे बढ़ते भारत के सैनिकों ने 29 और 30 अगस्त की रात ऊंचाई वाले इलाकों को अपने नियंत्रण में ले लिया. अच्छी बात ये है कि इस पूरे ऑपरेशन में एक भी गोली नहीं चली, कोई हिंसा नहीं हुई और न ही कोई सैनिक घायल हुआ.


हार से निराश चीन
भारत ने ऊंचाई वाले जिस इलाके पर कब्जा किया है उसे Black Top कहा जाता है और ये रणनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण जगह है. क्योंकि यहां से भारत के चुशूल सेक्टर के आस पास के बड़े इलाके पर नजर रखी जा सकती है.


अपनी इसी हार से चीन निराश है. अब वो भारत पर सीमा का उल्लंघन करने का आरोप लगा रहा है. स्थिति ये है कि कल एक तरफ तो दोनों देशों की सेनाओं के बीच इस विवाद को सुलझाने की कोशिश हो रही थी तो दूसरी तरफ चीन के सैनिक रात के समय एक बार फिर भारत के इलाके पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन भारत की सेना ने इस कोशिश को फिर से असफल कर दिया.


लद्दाख में चूशुल के जिस इलाके में यह टकराव हुआ है, वहां आसानी से बड़ी गाड़ियां, तोप और बड़े हथियार पहुंचाए जा सकते हैं. इस इलाके में भारत और चीन की सेना के आमने सामने आ जाने का अर्थ ये है कि अब दोनों सेनाएं एक दूसरे की फायरिंग रेंज में हैं.


इसके अलावा भारत ने रेजांग ला और रेकिन ला जैसे महत्वपूर्ण मोर्चों पर भी भारी संख्या में सेना तैनात कर दी है.


बातचीत बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गई
इस सीमा विवाद को सुलझाने के लिए 1 सितंबर को भी भारत और चीन की सेना के ब्रिगेडियर स्तर के अधिकारियों के बीच 8 घंटे तक बातचीत हुई. लेकिन ये बातचीत बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गई.


1 सितंबर को चीन के साथ सीमा विवाद पर दिल्ली में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई. इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे शामिल थे.


कुल मिलाकर लद्दाख में जो स्थिति है उसे आप तीन पॉइंट्स में समझ लीजिए.


पहला पॉइंट ये है कि सीमा पर स्थिति अब बहुत तनावपूर्ण है.


दूसरा पॉइंट ये है कि अब दोनों देशों की सेनाएं आमने सामने हैं और अब दोनों देशों के सैनिक एक दूसरे की फायरिंग रेज में हैं.


तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण पॉइंट ये है कि फिलहाल स्थिति नियंत्रण में तो लग रही है. लेकिन आगे क्या होगा इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता.


चीन के पास क्या विकल्प हैं?
अब सवाल ये है कि चीन के पास क्या विकल्प हैं? दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे की आंखों में आंखे डालकर, आमने सामने खड़ी हैं और ऐसे में चीन अगला कदम क्या उठाता है. इसका इंतजार सभी को है. फिलहाल चीन के पास तीन विकल्प हैं.


पहला ये कि उसकी सेना पीछे लौट जाए.


दूसरा ये है कि चीन युद्ध के लिए तैयार रहे.


और तीसरा ये कि फिलहाल दोनों देशों की सेनाएं जहां हैं. वहीं यथास्थिति को बनाकर रखा जाए.


लेकिन अपनी इस रणनीतिक हार से विचलित हो चुका चीन इनमें से क्या विकल्प चुनेगा. ये कहना बहुत मुश्किल है. चीन के विदेश मंत्री वांग यी इस समय यूरोप की यात्रा पर हैं और इस दौरान उन्होंने कहा है कि भारत और चीन के बीच सीमा का निर्धारण नही हुआ और ऐसी समस्याएं आगे भी चलती रहेंगी.


LAC पर स्थिति तनावपूर्ण
इस बार भारत ने चीन हैरान कर दिया है लेकिन LAC पर स्थिति बहुत तनावपूर्ण है और अभी वहां कई मोर्चे खुल सकते हैं. हमारे सूत्रों के मुताबिक भारत की सेना युद्ध की पूरी तैयारी कर ली है.


और इस समय की एक बड़ी खबर ये है कि लद्दाख के पास चूमर में चीन की सेना ने एक बार फिर से घुसपैठ की कोशिश की है. इस दौरान चीन की सेना की 8 बड़ी गाड़ियां भारत की सीमा की तरफ बढ़ने लगी. जिसे भारत की सेना ने रोक दिया. यानी तीन दिन में चीन तीन बार भारत की सीमा में घुसने की कोशिश कर चुका है.


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