Haryana Nuh DSP Murder Case: कल्पना कीजिए अगर कुछ लोग आपके घर से कुछ सामान चुरा लें तो आप क्या करेंगे? आप तुरंत इसके खिलाफ पुलिस के पास जाएंगे और पुलिस को चोरी हुए अपने सामान को ढूंढने के लिए कहेंगे? कोई भी व्यक्ति ऐसा ही करेगा. अब सोचिए अगर कुछ लोग आपके देश की खनिज संपदा को चुरा लेते हैं, तब आप क्या करेंगे? तब शायद आप इस खबर को अखबारों और न्यूज चैनलों पर देखने के बाद भूल जाएंगे. 


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हमारे देश में 140 करोड़ लोग रहते हैं यानी भारत 140 करोड़ लोगों के लिए उनके घर जैसा है. लेकिन फिर ऐसा क्यों है कि जब बात देश की होती है तो लोगों को लगता है कि इससे उनका क्या लेना देना. आज देश की राजधानी दिल्ली के पास नूंह में अवैध खनन माफिया ने एक DSP की हत्या कर दी. DSP को ये सूचना मिली थी कि इस इलाके में कुछ लोगों द्वारा अरावली की पहाड़ियों पर अवैध खनन किया जा रहा है. जिसके बाद DSP सुरेंद्र सिंह अपनी टीम के साथ वहां पहुंच गए.


खनन माफिया ने डीएसपी की रौंदकर किया मर्डर 


उन्होंने डंपर में सवार आरोपियों को रोकने के लिए अपनी गाड़ी को उनके सामने खड़ी कर दिया. लेकिन इसके बावजूद ये लोग रुके नहीं. इन लोगों ने DSP सुरेंद्र सिंह की डंपर से कुचल कर हत्या (DSP Murder Case) कर दी. भारत शायद दुनिया का इकलौता ऐसा देश होगा, जहां धड़ल्ले से अवैध खनन किया जाता है और जब इन लोगों को रोकने की कोशिश की जाती है तो ये लोग किसी की जान लेने से भी नहीं डरते. यानी चोरी और ऊपर से सीनाजोरी.



आपमें से बहुत सारे लोगों को लग रहा होगा कि ये अवैध खनन ही तो है, इससे देश को भला क्या नुकसान होता होगा. इसलिए सबसे पहले हम आपको कुछ आंकड़े बताना चाहते हैं, जो आपकी आंखें खोल देंगे. आपको पता चलेगा कि हमारे देश में हर दिन, हर घंटे और हर मिनट कैसे पहाड़ों और नदियों का सीने खोदा जा रहा है.


केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ साल 2013 से 2017 के बीच अवैध खनन की 4 लाख 16 हज़ार घटनाएं सामने आई थीं. यानी इस हिसाब से देश में हर साल अवैध खनन की एक लाख घटनाएं होती हैं. हर महीने 8 हज़ार 833, हर दिन 294 और हर घंटे 12 घटनाओं में देश की किसी ना किसी नदी और पहाड़ी का सीना अवैध तरीके से खोदा जाता है और देश की खनिज संपदा को खुलेआम लूट लिया जाता है.


अफसरों की मिलीभगत से फलफूल रहे खनन माफिया


लेकिन हैरानी की बात ये है कि अवैध खनन के ज्यादातर मामले कभी अदालत या पुलिस तक पहुंचते ही नहीं. 2016 में अवैध खनन के 1 लाख 7 हज़ार 609 मामले सामने आए थे. लेकिन इनमें से सिर्फ़ 6 हज़ार 33 मामलों में ही FIR दर्ज हुई थी. यानी खनन माफिया का मकड़जाल ऐसा है कि ये लोग रिश्वत, गुंडागर्दी, सरकारी महकमों और पुलिस में सांठगांठ करके आसानी से छूट जाते हैं.


इस देश के साथ इससे बड़ी बेईमानी कुछ नहीं हो सकती. हम ऐसा इसलिए कह रहे क्योंकि 2016 में इस खनन माफिया ने भारत में 1 हजार 326 करोड़ रुपये की खनिज संपदा की चोरी की. लेकिन देश में इस पर चर्चा तक नहीं हुई.


अगर ये चोरी आपके घर में हुई होती तो आप क्या चुप बैठते. आप बिल्कुल भी चुप नहीं बैठते. क्योंकि ये चोरी देश के संसाधनों और खनिज संपदा की हो रही है इसलिए ऐसे मामले में हर कोई यही सोचता है कि इससे उनका क्या लेना देना. आज हम आपको बताएंगे कि जब ये माफिया अवैध तरीके से आपके राज्य और शहर की नदियों और पहाड़ों को खोद कर खनिज पदार्थ और रेत की चोरी करते हैं तो कैसे इससे सबसे ज्यादा नुकसान आप ही को होता है. बड़ी बात ये है कि, हमारे देश में आतंकवादियों से लड़ने के लिए सेना है, नक्सलियों और उग्रवादियों से लड़ने के लिए पुलिस और सुरक्षाबल है. लेकिन अवैध खनन माफिया से लड़ने के लिए हमारे पास वो ताकत नहीं है, जिसकी आज सबसे ज्यादा जरूरत है.


3 महीने बाद रिटायर होने वाले थे डीएसपी सुरेंद्र सिंह


इसे आप आज की इस घटना से समझ सकते हैं. आज नूंह में जिस DSP की डंपर से कुचल कर हत्या कर दी गई. उसकी गलती सिर्फ़ इतनी थी कि वो इस खनन माफिया को रोकने के लिए चट्टान की तरह खड़ा हो गया था. DSP सुरेंद्र सिंह हरियाणा के हिसार ज़िले के रहने वाले थे और वो 12 जुलाई 1994 को हरियाणा पुलिस में ASI के पद पर भर्ती हुए थे. तीन महीने बाद 31 अक्टूबर को वो रिटायर होने वाले थे. लेकिन इससे पहले ही उनकी हत्या कर दी गई. हमें लगता है कि ये पूरा मामला सरकार, राज्य की पुलिस व्यवस्था और इस देश के कानूनों को सीधी चुनौती है. अवैध खनन माफिया ने DSP सुरेंद्र सिंह की हत्या करके कहीं ना कहीं ये बताया है कि वो तो ऐसे ही देश की खनिज संपदा को लूटते रहेंगे. फिर चाहे इसके लिए उन्हें DSP सुरेंद्र सिंह जैसे पुलिसकर्मियों की भी हत्या क्यों न करनी पड़े.


दिल्ली के पास नूंह में जिस जगह ये घटना हुई, वो जगह अरावली पर्वत श्रृंखला का हिस्सा है. जिसे दुनिया की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखलाओं में गिना जाता है.अरावली की पहाड़ियां उत्तर भारत के मॉनसून को भी प्रभावित करती हैं. इन पहाड़ियों पर दुर्लभ पेड़, पशु और पक्षी भी मौजूद हैं. साल 2002 में सुप्रीम कोर्ट ने अरावली की पहाड़ियों में किसी भी तरह के खनन पर रोक लगा दी थी. लेकिन इसके बावजूद राजस्थान और हरियाणा में आज भी अरावली की पहाड़ियों को खोदा जा रहा है क्योंकि इन पहाड़ियों से संगमरमर, लाल पत्थर और रेत मिलती है.


अरावली पहाड़ियों का 25 प्रतिशत हिस्सा कर दिया खत्म


2018 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त एक कमेटी ने बताया था कि वर्ष 1968 से 2018 के बीच यानी इन 50 वर्षों में अरावली की पहाड़ियों का 25 प्रतिशत हिस्सा अवैध खनन की वजह से गायब हो चुका है. सोचिए ये माफिया 25 प्रतिशत अरावली की पहाड़ियों को बेचकर खा गया लेकिन इसके बावजूद हमारे देश में कभी ये मुद्दा नहीं बना. इससे दुर्भाग्यपूर्ण कुछ और हो ही नहीं सकता.


इसके लिए पूरा सिस्टम जिम्मेदार है. इसके लिए हरियाणा की सरकार जिम्मेदार है, इसके लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री ज़िम्मेदार हैं, इसके लिए हरियाणा की पुलिस ज़िम्मेदार है, इसके लिए वन विभाग ज़िम्मेदार है, इसके लिए दूसरे संबंधित विभाग और बड़े बड़े अधिकारी ज़िम्मेदार हैं.


हमारे देश में किसी भी तरह के सुधारों के लिए कड़े कानून तो बनाए जाते हैं लेकिन उन्हें सख्ती से कभी लागू नहीं किया जाता. उदाहरण के लिए पिछले साल 2021 में भारत सरकार ने अवैध खनन रोकने के लिए ऐसे मामलों में सज़ा दो साल से बढ़ा कर पांच साल कर दी थी. लेकिन इसके बावजूद नदियों और पहाड़ों को खोद कर खोखला करने का ये सिलसिला नहीं रुका. बड़ी बात ये है कि ये अवैध खनन संगठित तरीके से की जाती है. इसके पीछे पूरा गैंग यानी माफिया काम करता है.


अधिकतर मामलों में दर्ज नहीं होती रिपोर्ट


ये लोग अवैध खनन के लिए सरकारी अधिकारियों और विभागों में रिश्वत देते हैं. पुलिस पर भी इनसे मिलीभगत के आरोप लगते हैं. ज्यादातर मामलों में FIR भी दर्ज नहीं होती. इस तरह ये लोग इस देश से हर साल उसकी करोड़ों रुपये की खनिज संपदा लूट लेते हैं.


जैसे अमेरिका के पास हथियार हैं, चीन के पास Technology है, रशिया के पास कच्चा तेल और Natural Gas है. ठीक उसी तरह भारत के पास खनिज पदार्थों के विशाल भंडार हैं लेकिन भारत इस संपदा को कभी व्यवस्थित तरीके से सम्भाल नहीं पाया. हमारे देश में कभी कोयला घोटाला हुआ तो कभी रेत खनन के नाम पर रेत घोटाला हुआ. यानी भारत इस खनिज संपदा का फायदा नहीं उठा पाया. जबकि इस क्षेत्र में हमारे पास बहुत बड़ी शक्ति है. भारत में Mining Industry लगभग तीन लाख करोड़ रुपये की है. वर्ष 2020-21 में ये 2 लाख 94 हज़ार 644 करोड़ रुपये की थी.


भारत में अलग अलग तरह के 95 Minerals का उत्पादन होता है. इसके अलावा भारत में दुनिया के सबसे ज़्यादा कोयले के भंडार हैं. इसके अलावा लोहे के उत्पादन के मामले में भारत पूरी दुनिया में चौथे स्थान पर आता है. और देश में Bauxite, Chromite, Limestone जैसे अनेको खनिज पदार्थों के भी विशाल भंडार मौजूद हैं. इस खनिज संपदा को हमारे देश में 1957 के Mines and Minerals Act के तहत रेगुलेट किया जाता है.


अवैध खनन की वजह से बढ़ रही बाढ़ की समस्या


इसके तहत खनन के लिए केन्द्र और राज्य सरकार, पर्यावरण मंत्रालय, वन विभाग और दूसरे विभागों की अनुमति ज़रूरी होती है. और इसके बदले में सरकार को खनन के लिए निर्धारित Royalty Fee भी देनी होती है. लेकिन इसके बावजूद अलग अलग राज्यों में गैर कानूनी तरीके से रेत और दूसरे खनिज पदार्थों का खुलेआम खनन किया जाता है और इसके पीछे पूरा नेक्सस काम करता है.


ये बात जानकर आपको और भी ज्यादा हैरानी होगी कि आज अगर हमारा देश हर साल बाढ़ से संघर्ष करने के लिए मजबूर है तो उसका एक कारण अवैध खनन ही है. अवैध खनन माफिया नदियों और पहाड़ों को निशाना बनाते हैं और इस दौरान पर्यावरण की अनदेखी होती है. इससे नदियों को नुकसान पहुंचता है और बाढ़ जैसी विपदा विकराल रूप लेती जाती है. अगस्त 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर कोई भी कंपनी पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति के बिना अवैध खनन करती है तो उससे 100 प्रतिशत वसूली की जाएगी. यानी 10 करोड़ की रेत निकाली है तो उस कम्पनी को 20 करोड़ रुपये जुर्माने के रूप में भरने होंगे. यहां बात सिर्फ अवैध खनन की नहीं है बल्कि यहां बात कानून व्यवस्था की भी है


अवैध खनन माफिया इतने ताकतवर होते हैं कि ये किसी की जान लेने से भी पीछे नहीं हटते. एक रिपोर्ट के मुताबिक़ साल 2019 और 2020 में भारत में रेत और मिट्टी के अवैध खनन के दौरान कुल 193 लोगों की मौत हुई थी. इनमें से 95 लोग मिट्टी के नीचे दबकर मर गए थे. जबकि 5 पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की हत्या की गई थी. इसके अलावा 11 सरकारी अफसरों को भी इस दौरान मौत के घाट उतार दिया गया. (Source- South Asia Network on Dams Rivers & Peopels)


सरकारों को हर साल करोड़ों रुपये का नुकसान


ये समस्या कितनी गम्भीर है, इसे आप कर्नाटक के एक उदाहरण से भी समझ सकते हैं. सिर्फ़ कर्नाटक में अवैध खनन से सरकारी खजाने को 50 हज़ार करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हो चुका है. यानी चाहे मेघालय की गारो पहाड़ियों हों, दिल्ली की यमुना रिवर बेल्ट हो. हरिद्वार की गंगा नदी हो. मध्य प्रदेश की नर्मदा और चंबल नदी हो, बिहार की कोसी नदी हो, आन्ध्र प्रदेश की गोदावरी और कृष्णा नदी हो या तमिल नाडु की कावेरी नदी हो. भारत की हर नदी इस समय अवैध खनन की समस्या से जूझ रही है.


संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत को हर साल 70 करोड़ टन मिट्टी या रेत की जरूरत होती है. ये जरूरत आने वाले समय में और बढ़ेगी. लेकिन अवैध खनन माफिया भारत का सीना खोद कर उसे हर दिन लूट रहे हैं और इस लूट पर पूरा देश चुप है.


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