DNA on Jarnail Singh Bhindranwala: ऑपरेशन ब्लू स्टार (Operation Blue Star) से हमें ये सीख मिलती है कि पंजाब में जब भी खालिस्तान के मुद्दे को राजनीति के लिए इस्तेमाल किया गया है, तब-तब वहां स्थितियां बिगड़ी हैं. एक जमाने में इंदिरा गांधी भी भिंडरांवाले के समर्थन में थीं. शुरुआती दिनों में इंदिरा गांधी और पंजाब कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष ज्ञानी जेल सिंह दोनों ने भिंडरांवाले (Jarnail Singh Bhindranwala) का साथ दिया था क्योंकि इंदिरा गांधी भिंडरवाला के जरिए पंजाब में अकाली दल को कमजोर करना चाहती थीं. लेकिन इंदिरा गांधी का ये कदम उनके लिए सबसे बड़ी गलती साबित हुआ. भारतीय सेना के 12 हजार जवानों को 8 दिन तक ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाना पड़ा.


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कहते हैं कि इतिहास खुद को उन्हीं लोगों के बीच दोहराता है, जो इससे सीख नहीं लेते. इसलिए 38 साल पहले चलाए गए ऑपरेशन ब्लू स्टार (Operation Blue Star) को Rewind करके देखने का दिन है.  समझने का भी दिन है कि, क्या पंजाब में एक बार फिर से खालिस्तानी ताकतें जिन्दा हो रही हैं?



कब हुआ था ऑपरेशन ब्लू स्टार


तारीख- 5 जून 1984
जगह- स्वर्ण मंदिर, ऑपरेशन ब्लू स्टार
5 जून 1984 की शाम 7 बजे स्वर्ण मंदिर गोलियों की आवाज से गूंज उठा. स्वर्ण मंदिर के अंदर छिपे जनरैल सिंह भिंडरावाले और उसके समर्थक जवाबी हमला कर रहे थे. सेना को अंदाजा नहीं था कि भिंडरावाले (Jarnail Singh Bhindranwala) के लोग रॉकेट लॉन्चर और मशीनगन जैसे हथियारों से लैस हैं. भिंडरावाले को अपनी ताकत और बचने के रास्ते पर भरोसा था. करीब 8 किलोमीटर दूर ही भारत-पाकिस्तान सीमा है, इसलिए बाहर निकलकर पाकिस्तान चले जाने का भी प्लान तैयार था. बाहर से आ रहे हथियारों की कमी नहीं थी, इसलिए भिंडरावाले ने सोच लिया था कि अब उसे स्वर्ण मंदिर से कोई नहीं हटा सकता.


5 जनू 1984 की शाम को ही सेना को समझ में आ गया कि स्वर्ण मंदिर में छिपे आतंकवादियों से पार पाना आसान नहीं है. मेजर जनरल कुलदीप सिंह बरार ने भी ठान रखी थी कि जब तक ऑपरेशन पूरा नहीं होगा सेना नहीं हटेगी. 6 जून को ये तय किया गया कि अकाल तख्त में छिपे आतंकवादियों को बाहर निकालने के लिए
टैंक लगाएंगे जाएंगे. 6 जून को सुबह से लेकर शाम तक स्वर्ण मंदिर के अंदर गोलीबारी चलती रही, स्वर्ण मंदिर को काफी नुकसान भी हुआ, लेकिन देर रात तक भिंडरावाले का अंत हो गया,


भारी हथियार लेकर गुरुद्वारे में छिपे थे आतंकी


7 जून को ऑपरेशन ब्लू स्टार (Operation Blue Star) पूरा हो चुका था. भारतीय सेना के करीब 87 सैनिक ऑपरेशन में शहीद हुए. आतंकवादियों सहित 492 लोग इस ऑपरेशन में मारे गए थे, जिनमें कई श्रद्धालु भी थे. आतंकियों के पास भारी पैमाने पर हथियार मिले, जिनमें रॉकेट लांचर, मशीनगन और दूसरे हथियार भी थे.


जनरैल सिंह भिंडरावाले (Jarnail Singh Bhindranwala) दमदमी टकसाल का जत्थेदार था, जिसे कांग्रेस ने 1977 के चुनाव में हार के बाद अकालियों को चुनौती देने के लिए मोहरा बनाया, लेकिन किसको पता था कि पंजाब के साथ देश भी जल जाएगा. 1982 तक भिंडरावाले ने अपना कद इतना बड़ा कर लिया था कि अब अलग खालिस्तान की मांग उठने लगी थी. भिंडरावाले ने 1982 में करीब 600 हथियारबंद समर्थकों के साथ हरमिंदर साहब यानि स्वर्ण मंदिर के गुरूनानक निवास को अपना ठिकाना बना लिया था.


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सिख सुरक्षा गार्डों ने कर दी थी इंदिरा गांधी की हत्या


ऑपरेशन ब्लू स्टार (Operation Blue Star) की कीमत इंदिरा गांधी को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी. उनकी हत्या के बाद दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में सिखों के खिलाफ दंगे हुए. कुल मिलाकर 1984 के सिख दंगे और पंजाब के आतंकवाद तक देश ने बहुत बड़ी कीमत चुकाई है. देश एक बड़ी मुसीबत से बाहर निकला है. ऐसे में अब दोबारा से इन देशविरोधी ताकतों का उभरना एक बड़ी चुनौती है, जिस पर सरकार को संजीदगी से कार्रवाई करनी चाहिए.