DNA with Sudhir Chaudhary: क्या `अग्निपथ स्कीम` पर फैल रही गलतफहमी की आग? सरकार से कहां हो गई चूक
DNA on Violence on Agnipath Scheme: देश की तीनों सेनाओं में भर्ती के लिए नई अग्निपथ स्कीम (Agnipath Scheme) पर पूरे देश में बवाल मचा हुआ है. क्या इसके पीछे युवाओं की गलतफहमी है या इस मामले में सरकार से चूक हो गई है.
DNA on Violence on Agnipath Scheme: देश की तीनों सेनाओं में भर्ती के लिए नई अग्निपथ स्कीम (Agnipath Scheme) पर पूरे देश में बवाल मचा हुआ है. स्कीम की खिलाफत करते सड़कों पर जाम और ट्रेनें फूकी जा रही हैं. केन्द्र सरकार की इस अग्निपथ योजना का विरोध कर रहे उन तमाम युवा प्रदर्शनकारियों और देश के लोगों को पूर्व सेना अध्यक्ष और देश के पहले CDS स्वर्गीय जनरल बिपिन रावत का वो बयान जानना चाहिए, जो उन्होंने 13 दिसम्बर 2018 को दिया था. हमारे देश के जो युवा सेना में भर्ती होना चाहते हैं, तब उन्हें जनरल बिपिन रावत ने एक जरूरी सलाह दी थी. ये सलाह क्या थी, सबसे पहले आप ये जानिए.
सेवा के लिए नहीं, पक्की नौकरी के लिए सेना पसंद
जनरल बिपिन रावत कहते थे कि सेना नौकरी देने का जरिया नहीं है. लेकिन आज आप देखेंगे तो हमारे देश के ज्यादातर युवा सेना में नौकरी के लिए ही विरोध- प्रदर्शन कर रहे हैं. वो सेना में देश की सेवा करने के लिए नहीं जाना चाहते हैं. बल्कि वो सेना में लॉन्ग लाइन करियर और रिटायरमेंट के बाद पेंशन की सुविधा पाने के लिए जाना चाहते हैं. ऐसा लगता है कि इन युवाओं ने सेना को Employment Guarantee Scheme समझ लिया है.
इस योजना पर आपके लिए तीन जरूरी Updates है. पहला, इस योजना के खिलाफ अब विरोध प्रदर्शन 18 राज्यों में फैल चुका है और यह लगातार बढ़ता जा रहा है. दूसरा, सरकार ने इसमें भर्ती के लिए आयु सीमा को बढ़ा कर 21 से 23 साल कर दिया है. हालांकि यह सिर्फ एक बार के लिए होगा, जिससे पिछले दो साल से तैयारी कर रहे युवा भी सेना में भर्ती हो सकें. तीसरी बात ये है कि वायु सेना में 24 जून से अग्निवीरों की भर्ती शुरू हो जाएगी.
तेलंगाना में रेलवे स्टेशन पर की गई तोड़फोड़
भारत सरकार देश के जिन युवाओं को अग्निपथ योजना (Agnipath Scheme) के तहत अग्निवीर बनाना चाहती है, वो युवा अब अंगारे बन कर सुधार के रास्ते में खड़े हो गए हैं. शुक्रवार को तेलंगाना में सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन पर जमकर तोड़फोड़ की. इस दौरान तीन ट्रेनों की 6 से ज्यादा बोगियों में आग लगा दी गई. हमारे देश के जो युवा भारत सरकार की इस योजना का विरोध कर रहे हैं, हम उनके खिलाफ़ नहीं हैं. हम भी इस बात को मानते हैं कि लोकतंत्र में उन्हें अपना पक्ष रखने का पूरा अधिकार है और वो सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं. लेकिन विरोध प्रदर्शन के नाम पर देश की सरकारी सम्पत्तियों को नुकसान पहुंचाना, ट्रेनों में तोड़फोड़ करना और बसों को आग लगाना किसी भी रूप में सही नहीं हो सकता. शुक्रवार को तेलंगाना के सिकंदराबाद में जो हिंसा हुई, उसमें पुलिस फायरिंग में एक लड़के की मौत हो गई. जबकि 14 लोग घायल हो गए.
अब आपको बिहार के दरभंगा की जानकारी देते हैं, जिसके बारे में जानकर आपको काफी दुख होगा. वहां पर एक स्कूल बस उस समय रास्ते में फंस गई, जब 150 से ज्यादा प्रदर्शनकारी पुलिस पर पथराव कर रहे थे. इस दौरान जो छोटे छोटे इस स्कूल बस में सवार थे, वो बुरी तरह डर गए और रोने लगे. सोचिए, क्या हमारे देश के संविधान में इस तरह के विरोध प्रदर्शन को संवैधानिक अधिकार माना गया है?
देश के 5 राज्यों में हुए हिंसक प्रदर्शन
ये भी विडम्बना है कि जो युवा आज देश की सेना में जाना चाहते हैं, आज उन्हीं युवाओं ने देश के पांच राज्यों में हिंसक विरोध प्रदर्शन किए और तेलंगाना, उत्तर प्रदेश व बिहार में 11 ट्रेनों को आग लगा दी. इस दौरान 6 से ज्यादा राज्यों के 25 रेलवे स्टेशनों पर तोड़फोड़ और आगजनी भी की गई. उत्तर प्रदेश के मथुरा में तो हालात इस कदर बिगड़ गए कि इन प्रदर्शनकारियों ने आम लोगों को भी नही बख्शा. वहां पर कई महिलाओं और बच्चों ने एक ट्रक के नीचे छिप कर अपनी जान बचाई.
इस समय इस योजना का सबसे ज्यादा विरोध उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब और हरियाणा में हो रहा है. इन्हीं राज्यों से सबसे ज्यादा जवान सेना में भर्ती होते हैं. 2021 तक सेना में सबसे ज्यादा 2 लाख 18 हजार सैनिक उत्तर प्रदेश के थे. इसके बाद बिहार के 1 लाख 4 हजार, राजस्थान के एक लाख तीन हज़ार, महाराष्ट्र और पंजाब के लगभग 94-94 हजार और हरियाणा के 90 हजार सैनिक भारतीय सेना में थे. यही वजह है कि इन राज्यों में सबसे ज्यादा विरोध प्रदर्शन हो रहा है.
क्या इसी हिंसा को देशभक्ति कहते हैं?
आप शुक्रवार को हिंसा की खबरों के बारे में जानकर थक जाएंगे, लेकिन ये सिलसिला खत्म नहीं होगा. इस समय हमारे देश के ज्यादातर राज्यों में हिंसा का माहौल है. ये भारत के इतिहास में पहली बार हो रहा है, जब सेना में भर्ती होने के लिए युवा इस तरह से सड़कों पर उतर कर ट्रेनों में आग लगा रहे हैं. ये देशसेवा हो ही नहीं सकती. देशसेवा क्या होती है, वो आप बिहार के गया से एक घटना से जान सकते हैं.
शुक्रवार को गया जिले में युवा प्रदर्शनकारियों ने रेलवे ट्रैक पर खड़ी एक ट्रेन की बोगियों में आग लगा दी. ये आग दूसरी बोगियों में ना फैले, इसके लिए एक रेलकर्मी अपनी जान जोखिम में डाल कर दो बोगियों को अलग करते हुए दिखाई दिया. इस दौरान वहां मौजूद लोगों ने भी उसकी मदद की. यानी एक तरफ वो युवा हैं, जो सेना में भर्ती होना चाहते हैं और इसके लिए ट्रेनों को आग लगा रहे हैं. दूसरी तरफ वह रेलकर्मी था, जिसने ट्रेनों को आग से बचाने के लिए अपनी जान भी जोखिम में डाल दी. ऐसे में असली देशभक्त कौन हुआ.
सरकार ने किसान आंदोलन से नहीं सीखा कोई सबक?
शुक्रवार को कई राज्यों से ऐसी खबरें भी आई, जहां विरोध प्रदर्शन के दौरान सैकड़ों युवाओं पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया. हमें लगता है कि पुलिस को भी इन युवाओं पर बलपूर्वक कार्रवाई नहीं करनी चाहिए. ये युवा इसी देश के नागरिक हैं. ये अपनी सरकार से नाराज हैं और इन्हें भी अपनी बात कहने का हक है. ऐसे में न तो इन युवाओं को हिंसा करनी चाहिए और न ही पुलिस को इन पर लाठीचार्ज करना चाहिए.
जिस तरह देशभर के युवा इस योजना (Agnipath Scheme) का विरोध कर रहे हैं, उसे देख कर ऐसा लगता है कि ये विरोध प्रदर्शन भी अब किसान आन्दोलन के रास्ते पर चल पड़ा है. सरकार ने जो गलती उस दौरान की थी, वही गलती इस बार भी की है. वो ये है कि वो अपनी नई योजनाओं के फायदे ना तो तब किसानों को समझा पाई और ना ही अब युवाओं को समझा पाई है. प्रधानमंत्री मोदी ने जब कृषि कानूनों को रद्द करने का ऐलान किया था, तब उन्होंने ये बात कही थी कि सरकार की तपस्या में ही शायद कुछ कमी रह गई थी कि वो प्रदर्शन कर रहे किसानों को इन कानूनों के फायदे नहीं समझा पाई. मौजूदा विरोध प्रदर्शनों को लेकर भी सरकार इसी स्थिति में दिख रही है. यानी ऐसा लगता है कि सरकार ने कृषि आंदोलन से कोई सीख नहीं ली.
सरकार विरोधी लॉबी फिर हुई सक्रिय
हमारे देश में एक ऐसी लॉबी है, जो हर बार देश के लोगों को गुमराह करने की कोशिश करती है. आपको याद होगा, जब GST आया था तो इस लॉबी ने हमारे देश के व्यापारी वर्ग में ये गलतफहमी पैदा कर दी थी कि इससे छोटे कारोबारी बर्बाद हो जाएंगे. इसी तरह जब सरकार नागरिकता संशोधन कानून लाई तो इस लॉबी ने इसे मुस्लिम विरोधी बताते हुए ये झूठा फैलाया कि इससे देश के मुसलमानों की नागरिकता चली जाएगी, जबकि ऐसा कुछ नहीं था. इसके बाद जब कृषि कानून आया तो इन लोगों ने ये कहना शुरू कर दिया कि ये कानून उद्योपतियों के लिए हैं और इससे किसानों की जमीन ली छीन जाएंगी. जबकि ऐसा कुछ नहीं है. आज अग्निपथ स्कीम (Agnipath Scheme) के मामले भी ऐसा ही हो रहा है और देश के युवाओं को भड़काने की कोशिश की जा रही है.