DNA on World Population Day 2022: दुनिया में सोमवार यानी 11 जुलाई को World Population Day अर्थात विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाया जाता है. है इसलिए हम जनसंख्या विस्फोट पर आपका ज्ञान  बढ़ाते हैं. दरअसल एक साल बाद भारत जनसंख्या के मामले में विश्व चैंपियन बन जाएगा. इस पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा एक नई रिपोर्ट प्रकाशित की गई है, जिसमें कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं, इसलिए आप चाहें तो ये सारा डेटा नोट भी कर सकते हैं क्योंकि ये रिपोर्ट आपके बहुत काम आने वाली है


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इसके मुताबिक नवम्बर 2022 तक दुनिया की कुल आबादी (World Population Day) 800 करोड़ पहुंच जाएगी. अनुमान है कि साल 2030 तक ये आबादी साढ़े 850 करोड़, 2050 तक 970 करोड़ और साल 2100 तक ये आबादी 1 हजार 40 करोड़ तक हो सकती है. अभी दुनिया की कुल आबादी 790 करोड़ से ज़्यादा है.


अगले साल जनसंख्या में विश्व चैंपियन बन जाएगा देश


इस रिपोर्ट में भारत को लेकर भी चिंता जताई गई है. इसमें बताया गया है कि वर्ष 2023 यानी अगले साल तक भारत दुनिया में सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश बन जाएगा. यानी इस मामले में हम चीन को भी पीछे छोड़ देंगे.



अगर बढ़ती जनसंख्या की समस्या को सिर्फ सरकारी विज्ञापनों, सेमिनार और गोष्ठियों में चर्चा करके ठीक किया जा सकता तो आज भारत में जनसंख्या विस्फोट के हालात नहीं होते. यहां हर व्यक्ति को बेहतर सुविधाएं मिलतीं. पानी, बिजली और सड़क को लेकर आपस में झगड़े नहीं होते. ट्रेन, बस, स्कूल - कॉलेज और अस्पतालों में लोगों की भीड़ नहीं होती. इंसाफ के लिए अदालतों में वर्षों तक चक्कर नहीं काटने पड़ते. यानी आप अगर ध्यान से देखेंगे तो पाएंगे कि भारत की हर समस्या के पीछे एक समस्या बढ़ती हुई आबादी भी है.


देश में गरीबी, भुखमरी, बेरोज़गारी, कमज़ोर शिक्षा व्यवस्था, कमज़ोर स्वास्थ्य सेवाएं, बढ़ते हुए अपराध, प्रदूषण, पीने के लिए साफ पानी की कमी और गंदगी. इन सारी समस्याओं के पीछे सबसे बड़ा कारण जनसंख्या विस्फोट है.


मूलभूत सुविधाओं की हो जाएगी कमी


इस समस्या की कल्पना आप ऐसे भी कर सकते हैं कि आने वाले कुछ समय में आपको, अपने शहर में गाड़ी चलाने के लिए सड़क नहीं मिलेगी. पीने के लिए साफ पानी नहीं मिलेगा. हवा इतनी प्रदूषित होगी कि आप सांस नहीं ले पाएंगे. हर दूसरे कदम पर अवैध कब्ज़े होंगे. ये सब कुछ इसलिए होगा क्योंकि हमारे देश में जनसंख्या का विस्फोट हो चुका है. यानी आबादी के RDX में आग लग चुकी है और धमाका हो रहा है.


ये स्थिति इस समय पूरी दुनिया (World Population Day) में है. 2021 में दुनिया में प्रजनन दर 2.3 है. सामान्य शब्दों में प्रजनन दर का अर्थ उन बच्चों की कुल संख्या से है. जो किसी महिला के जीवनकाल में पैदा होते है या होने की संभावना होती है.


हालांकि आपको जानकर हैरानी होगी कि साल 1950 में दुनिया में यही प्रजनन दर 5 थी. यानी तब से लेकर अब तक ये आंकड़ा आधा हो चुका है और 2050 तक ये दर 2.1 हो जाएगी. अब आपके मन में ये सवाल होगा कि जब पहले की तुलना में बच्चों के पैदा होने की दर घटी है तो फिर आबादी क्यों बढ़ रही है. तो इसका प्रमुख कारण है. अब लोग पहले से ज़्यादा जी रहे हैं.साल 2019 में दुनिया में Life Expectancy 72 साल 7 महीने थी. यानी दुनिया में औसतन एक व्यक्ति का जीवन 72 साल 7 महीने का होता था.


दुनिया में लोगों की बढ़ गई जीवन प्रत्याशा


लेकिन वर्ष 1990 में औसतन एक व्यक्ति लगभग 64 वर्ष ही जीता था. यानी पिछले 29 वर्षों में दुनिया में हर व्यक्ति की औसतन उम्र 9 वर्ष बढ़ गई है. क्योंकि लोग पहले से ज्यादा जी रहे हैं इसलिए आबादी भी तेजी से बढ़ रही है. अनुमान है कि वर्ष 2050 तक दुनिया में हर व्यक्ति 77 साल तक जिएगा. यानी 2019 के मुकाबले लगभग जीवन साढ़े चार साल और लम्बा हो जाएगा.


हालांकि आबादी बढ़ने का मतलब ये नहीं है कि सभी देशों में ऐसा हो रहा है. कुछ देश ऐसे हैं, जहां जनसंख्या का विस्फोट (World Population Day) हो रहा है. जैसे भारत. कुछ देश ऐसे हैं, जहां आबादी बढ़ने की रफ्तार स्थिर है. कुछ देश ऐसे भी हैं, जहां आबादी घट रही है.


2050 तक अगले 28 वर्षों में दुनिया में जो आबादी बढ़ेगी, उसमें आधे से ज्यादा हिस्सेदारी सिर्फ आठ देशों की होगी. इन आठ देशों में भारत और पाकिस्तान दोनों शामिल हैं. इसके अलावा पांच देश अफ्रीका के हैं. इन देशों में बड़ी समानता ये है कि ये या तो गरीब देश हैं या मध्यम आय वाले देश हैं. यानी इन देशों के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी सीमित संसाधनों में एक बड़ी आबादी का ध्यान रखना.


61 देशो में कम हो जाएगी आबादी


हालांकि इसी समयावधि में दुनिया के 61 देशों में आबादी कम होगी. जबकि कुछ देशों में आबादी 20 प्रतिशत तक घट जाएगी. ये देश हैं, यूक्रेन, Serbia, Latvia, Bulgaria और Lithuania. यानी जब भारत और पाकिस्तान में जनसंख्या का विस्फोट हो रहा होगा, तब पूर्वी यूरोप के देशों में आबादी तेजी से कम हो रही होगी.


इसी रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि दुनिया में वृद्ध लोगों की आबादी तेज़ी से बढ़ती रहेगी. अभी दुनिया की कुल आबादी (World Population Day) में ऐसे लोगों की संख्या 10 प्रतिशत है, जिनकी उम्र 65 वर्ष से ज़्यादा है. अनुमान है कि ये आबादी आगे भी ऐसे ही बढ़ती रहेगी. 2050 तक दुनिया की कुल आबादी में 65 साल के लोगों की संख्या 10 प्रतिशत से 16 प्रतिशत हो जाएगी. यही नहीं 2050 में 65 साल से ऊपर लोगों की आबादी, पांच साल से कम बच्चों की आबादी से दोगुनी होगी. ये बहुत ही चिंताजनक आंकड़ा है.


इस रिपोर्ट में जो सबसे अहम बात बताई गई है, वो पलायन को लेकर है. इसमें बताया गया है कि दुनिया के अमीर देशों में आबादी बढ़ने का बड़ा कारण पलायन होगा. गरीब देशों के लोग पलायन करके इन देशों में जाएंगे, जिससे यहां पर भी जनसंख्या का विस्फोट होगा. इस ट्रेंड की शुरुआत भी हो चुकी है.


गरीब देशों से होगा आबादी का पलायन


साल 2010 से 2021 के बीच भारत के 35 लाख लोगों ने पलायन किया. पाकिस्तान के 1 करोड़ 65 लाख लोगों ने पलायन किया, श्रीलंका के 10 लाख लोगों ने, बांग्लादेश के 29 लाख लोगों ने और नेपाल के 16 लाखों लोगों ने पलायन किया है. बड़ी बात ये है कि साल 1950 में दुनिया की आबादी 250 करोड़ थी. जो नवम्बर 2022 में 800 करोड़ हो जाएगी. यानी पिछले 72 वर्षों में दुनिया की आबादी तीन गुना बढ़ी है.


हालांकि सबसे ज्यादा चिंताजनक स्थिति भारत के लिए ही है. भारत में जब जनसंख्या की बात होती है तो इसके साथ ही धार्मिक आबादी में असंतुलन का भी जिक्र आता है. कहा जाता है कि हमारे देश में एक खास धर्म की जनसंख्या तेज़ी से बढ़ रही है. जबकि बाकी धर्मों की आबादी स्थिर है या कम हो रही है. इसलिए भारत में जनसंख्या नियंत्रण को बहुत संवेदनशील मुद्दा माना जाता है. उत्तर प्रदेश के मुख्य़मंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी सोमवार को इस पर अपने विचार रखे और कहा कि अगर देश में एक धर्म विशेष की आबादी बढ़ती है तो यह समाज विशेष के लिए चिंताजनक होगा. 


भारत में मुसलमानों की तेज से बढ़ रही आबादी


अमेरिका के Think Tank.. Pew Research Center ने हाल ही में एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें साल 1951 से लेकर 2011 तक की भारत की जनगणना का अध्ययन किया था. इसमें बताया गया था कि भारत में मुसलमानों की आबादी सबसे तेज़ी से बढ़ी है.


साल 1951 से लेकर 1961 तक जहां भारत में हिन्दुओं की आबादी 20.7 प्रतिशत बढ़ी. वहीं इस वक्त में मुसलमानों की आबादी में 32.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई. ये सिलसिला आज भी जारी है. साल 2001 से 2011 के बीच पूरे भारत में हिन्दुओं की आबादी सिर्फ 16.7 प्रतिशत बढ़ी. जबकि मुसलमानों की आबादी में 24.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई. ये आंकड़े भारत की धार्मिक आबादी में असंतुलन की तरफ इशारा करते हैं, जो एक खाई पैदा कर रहे हैँ. आज आपको ये जानकर भी हैरानी होगी कि साल 2050 तक भारत में मुसलमानों की आबादी 31 करोड़ से ज्यादा हो जाएगी. अभी पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा मुसलमान इंडोनेशिया में हैं. इसके बाद पाकिस्तान में और फिर तीसरे नम्बर पर भारत आता है. 


युवा शक्ति को हथियार बना सकता है भारत


बढ़ती जनसंख्या की समस्या के नज़रिये में थोड़ा बदलाव किया जाये तो भारत विश्व गुरू बनने का सपना पूरा करता है. भारत में युवा शक्ति का एक बहुत बड़ा भंडार है. बस इस शक्ति को अच्छे संसाधन देकर दुनिया के लायक बनाना है. युवा शक्ति के ज़रिये भारत defense, मेडिकल और technology के क्षेत्र में दुनिया की ताकत बन सकता है. गूगल और माइक्रोसोफ्ट जैसी बड़ी कंपनियों में भारत के युवाओं का होना इस बात का प्रमाण है कि देश के नौजवान को अच्छी शिक्षा और बेहतर अवसर उपलब्ध कराये जायें तो पूरी दुनिया में भारत का नाम रौशन करने की काबलियत रखता है. आज दुनिया के ज़्यादातर देशों में भारत के लोग डॉक्टर, इंजीनियर और टीचर के तौर पर काम कर रहे हैं . इसके अलावा भारत में आज करोड़ों Skilled युवाओं की ज़रूरत है. अकेले Telecom Sector में साल 2025 तक देश को दो करोड़ 20 लाख skilled लोगों की ज़रूरत होगी. 


नौजवानों को स्किल ट्रेनिंग देने की जरूरत


यानी अगर सही दिशा में तैयारी की गई तो देश मे बेरोजगारी के आंकड़ो को कम किया जा सकता है. लेकिन परेशानी की बात ये भी है कि देश में अनपढ़ लोगों की संख्या 28 करोड़ 70 लाख है. यानी हमारे देश में युवाओं की भीड़ है. लेकिन काबलियत और Skill की कमी है. भारत में रोज़गार बढ़ने की रफ्तार काफी कम है. ऐसे में बेरोजगारी के आंकड़ो को देखकर दुखी होने के बजाय खुद को सक्षम और काबिल बनने की दिशा में काम किया जाये तो इससे देश बुलंदी पर पहुंच सकता है और आपदा की तरह आज भारत बढ़ती आबादी में भी एक अच्छा अवसर तलाश सकता है.


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