DNA on Shaheen Bagh Drugs Case: शाहीन बाग का नाम सुनकर आपको CAA और NRC के खिलाफ प्रदर्शन याद आता होगा. शाहीन बाग एक तरह से CAA और NRC विरोधियों का हेडक्वार्टर था. वही शाहीन बाग एक बार फिर से चर्चा में है. शाहीन बाग में जहां CAA विरोधी प्रदर्शन चल रहा था. वहां से करीब 500 मीटर की दूरी पर ड्रग्स का बहुत बड़ा इंटरनेशनल रैकेट पकड़ा गया है. 


NCB ने बरामद किया नशीले पदार्थों का जखीरा


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शाहीन बाग में Narcotics control bureau यानी NCB ने 50 किलोग्राम हेरोइन और 47 किलो संदिग्ध नशीला पदार्थ बरामद किया है, जिसकी कीमत करीब 400 करोड़ रुपये बताई जा रही है. NCB का दावा है कि शाहीन बाग से एक इंटरनेशनल ड्रग्स सिंडिकेट Operate हो रहा था, जिसके तार पाकिस्तान से लेकर अफगानिस्तान तक फैले हैं. आपको पता ही होगा अफगानिस्तान पर अब तालिबान का राज है.


अब तक 4 की गिरफ्तारी


NCB ने खुफिया जानकारी मिलने के बाद दक्षिण दिल्ली के शाहीन बाग इलाके के एक घर में Raid की. उस घर से भारी मात्रा में ड्रग्स के साथ 30 लाख रुपये कैश और नोट गिनने की मशीन भी बरामद हुई. इससे समझा सकता है कि ड्रग्स के धंधे से इतना पैसा आ रहा था, कि उसे गिनने के लिए मशीन की जरूरत पड़ रही थी. NCB ने ड्रग्स सिंडिकेट चलाने के आरोप में 4 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें दो भारतीय और दो अफगानी नागरिक हैं. NCB का मानना है कि इस ड्रग्स रैकेट का सीधा कनेक्शन तालिबानी शासन वाले अफगानिस्तान से है. अफगानिस्तान से न सिर्फ ड्रग्स की सप्लाई होती थी, बल्कि अफगानी ड्रग्स Paddler दिल्ली में रह कर नशे का काला कारोबार चला रहा थे. चौंकाने वाली बात ये है कि ये लोग खुद MANUFACTURE कर रहे हैं.


अफगानिस्तान में बड़े पैमाने पर होती है अफीम की खेती


ड्रग्स रैकेट का प्रमुख दुबई में है और वो भारतीय है. उसके मुख्य सहयोगी अफगानिस्तान और पाकिस्तान में हैं और ड्रग्स की बिक्री भारत में हो रही है. पाकिस्तान आतंकवाद के सबसे बड़े संरक्षक देशों में एक है. वहां की फौज और सरकार आतंकवादी संगठनों को मदद देती हैं. इसके अलावा अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होने के बाद वहां भी कट्टरपंथी और आतंकवादी संगठन अपना दायरा बढा रहे हैं. अफगानिस्तान में अफीम की खेती बड़े पैमाने पर होती है और वहां से नशीले पदार्थों को दुनिया के अलग-अलग देशों में EXPORT किया जाता है. 


ड्रग्स का बड़ा बाजार बन चुका है भारत


भारत भी ड्रग्स का बहुत बड़ा बाजार बन चुका है. नशीले पदार्थों की तस्करी में कई बार आतंकवादी संगठन भी शामिल रहते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि शाहीन बाग में जो ड्रग्स रैकेट पकड़ा गया, क्या उसका संबंध आतंकवादी संगठनों से है. क्या ये NARCO TERRORISM का केस है. क्या नशे को बेच कर मिलने वाले रुपयों से आतंकवाद की जड़ें मजबूत की जा रही हैं. शाहीन बाग में जो हेरोइन और दूसरे नशीले पदार्थ बरामद किए गए हैं, वो हाल ही में अटारी बॉर्डर के पास बरामद हेरोइन से मेल खाते हैं. इससे भी ये शक गहरा होता है कि ये ड्रग्स रैकेट पाकिस्तान और अफगानिस्तान तक फैला है.


दिल्ली तक कैसे पहुंचा ड्रग्स


आइए समझते हैं कि शाहीन बाग में जो ड्रग्स मिली वो अफगानिस्तान से पाकिस्तान होते हुए दिल्ली तक कैसे पहुंची. किस तरह उसे छिपाकर शाहीन बाग लाया गया. लेकिन उससे पहले हम आपको ड्रग्स रैकेट के कैराना कनेक्शन के बारे में जानना चाहिए. शाहीन बाग की तरह कैराना भी सुर्खियों में रहा है. समाजवादी पार्टी की सरकार के समय कैराना से हिंदू परिवारों का पलायन सुर्खियां बना था. लेकिन अभी कैराना की बात ड्रग्स रैकेट के सिलसिले में हो रही है.


ड्रग्स का कैराना कनेक्शन


NCB ने इस मामले में आज जिस व्यक्ति को पकड़ा है, उसका नाम अहमद है. वो मुजफ्फरनगर के कैराना का रहने वाला है. NCB के मुताबिक शाहीन बाग में जो ड्रग्स पकड़ी गई, उसका कुछ हिस्सा अफगानिस्तान से आया था, जबकि कुछ भारत में ही तैयार किया गया था. भारत में इसकी Manufacturing उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में हो रही थी. NCB ने मुजफ्फरनगर में ड्रग्स बनाने के कारखाने पर छापा भी मारा. वहां भी अफगानी नागरिक ड्रग्स बनाने बनाने में शामिल थे. इसके बाद NCB को जानकारी मिली कि दिल्ली के शाहीन बाग में ड्रग्स रैकेट का बड़ा सेंटर है. इसी lead पर आगे बढ़ते हुए NCB की टीम ने शाहीन बाग में छापेमारी की.


कैसे चलता था ड्रग्स का कारोबार


NCB ने बताया कि ड्रग्स सिंडिकेट में शामिल लोग नशीले पदार्थ बनाते थे. शाहीन बाग में ड्रग्स का गोदाम था, जहां अफगानिस्तान और मुजफ्फरनगर से ड्रग्स की सप्लाई हो रही थी. अब समझिए कि देश की राजधानी में ड्रग्स का कारोबार कैसे चलता था. NCB की जांच में पता चला है कि ड्रग्स माफिया फ्रंट बिजनेस की आड़ में नशे का धंधा करता था. फ्रंट बिजनेस यानी कोई ऐसा कारोबार जो Legal हो और उसके बहाने ड्रग्स की सप्लाई की जाती थी. NCB के मुताबिक ये पूरा सिंडिकेट दुबई से ऑपरेट हो रहा था. भारत में उसका नेटवर्क तीन लेवल पर काम करता था. पहला ड्रग्स बनाना, दूसरा विदेश से आए ड्रग्स को हासिल करना और तीसरा हवाला के जरिए पैसा दुबई भेजना. हवाला के जरिए पैसों का लेन देन करने का मकसद जांच एजेंसियों के रडार से बचना था. शाहीन बाग में छापेमारी के दौरान जूट के थैलों में ड्रग्स भरे हुए मिले. वहां एक E कॉमर्स वेबसाइट के रैपर भी बरामद हुए. आशंका है कि इन रैपर्स का गलत इस्तेमाल ड्रग्स की सप्लाई में किया जा रहा था.


ऐसे लाया जाता था भारत


NCB की जांच में सामने आया है कि इस ड्रग्स रैकेट में शामिल लोग नशीले पदार्थ बनाने में माहिर थे. इससे पहले भी ये सिंडिकेट अलग-अलग सामान में ड्रग्स छिपाकर भारत ला चुका है. ड्रग्स को कभी ट्रकों के टायर में तो कभी मुलैठी की लकड़ी के टुकड़ों में भर कर स्मगल किया जाता है. जांच में पता चला है कि ये ड्रग्स सिंडेकट देश के बड़े हिस्से में फैल चुका था. शाहीन बाग में पकड़े गए रैकेट का कनेक्शन दिल्ली के अलावा पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कई शहरों से भी जुड़ा है. अब हम आपको इस ड्रग्स रैकेट का रूट मैप बताते हैं कि किस तरह अफगानिस्तान से ड्रग्स की सप्लाई शाहीन बाग तक जाती थी.


देश के लिए बड़ा खतरा?


सूत्रों के मुताबिक अफगानिस्तान से ड्रग्स को पाकिस्तान लाया जाता है. इसके बाद उसे समुद्री रास्ते से गुजरात पहुंचाया जाता है, जहां से ये दिल्ली भेजा जाता है. NCB भारत से लेकर दुबई तक सभी आरोपियों की पहचान करने में जुटी है. दुबई में मौजूद आरोपियों के प्रत्यर्पण की कोशिश भी शुरू हो गई हैं. ये मामला इसलिए भी गंभीर है क्योंकि ये NARCO TERRORISM से जुड़ा मामला हो सकता है. फिलहाल तो इस केस में आतंकवादी संगठनों के शामिल होने का सबूत नहीं मिले हैं. लेकिन ऐसे उदाहरण हैं, जिस संगठन का संबंध पाकिस्तान और अफगानिस्तान के ड्रग्स माफिया से हो, वो देश की सुरक्षा के लिए खतरा भी बन सकता है.


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