पराली जलाकर प्रदूषण क्यों फैलाएं, क्यों न इससे पैसा कमाएं; जानें क्या है केंद्र सरकार की योजना और कैसे करें आवेदन
पराली जलाने से प्रदूषण तो होता ही है और उसके बाद फिर लोगों को सांस लेने में समस्या के अलावा कई गंभीर बीमारियां हो जाती है. ऐसे में सरकार ने पराली जलाने के बजाए बेचने का विकल्प मुहैया कराया है. सरकारी वेबसाइट पर जाकर आप पराली बेच सकते हैं और पैसा कमा सकते हैं.
हर साल इस मौसम पराली जलाने का मुद्दा गर्म हो जाता है. दिल्ली समेत कई इलाकों में प्रदूषण को लेकर भी पराली जलाने को जिम्मेदार बताया जाता है. सरकार की तरफ से भी किसानों को समय-समय पर निर्देश दिए जाते रहते हैं कि वो पराली ना जलाएं. क्योंकि इससे कई नुकसान होते हैं. साथ ही सरकार किसानों को पराली ना जलाकर उसके कई अहम उपयोग के बारे में किसानों को आगाह कर रही है. साथ ही एक और ऑप्शन यह भी दे रही है कि पराली जलाने की बजाए बेचें और उससे अपनी आमदनी बढ़ाएं.
भारत सरकार द्वारा समय-समय पर किसानों को पराली ना जलाने और इससे पैसे कमाने से संबंधित विज्ञापन दिए जाते हैं. हाल ही में भारत सरकार द्वारा एक विज्ञापन में कहा गया है,'पराली जलाकर प्रदूषण क्यों फैलाएं, क्यों ना पराली से पैसा कमाएं'. सरकार का कहना है कि पराली को जलाने की बजाए बेचना शुरू करें ताकि आपको इसके बदले में कुछ रकम भी मिल सके. सरकार ने अपने प्लेटफॉर्म www.enam.gov.in/web पर जाकर पराली बेचने का विकल्प भी किसानों को दिया है. यहां जाकर आपको पहले रजिस्ट्रेशन करना होगा. इसके बाद आप पराली बेच सकेंगे.
क्या है eNAM?
eNAM यानी राष्ट्रीय कृषि बाजार है. यह अखिल भारतीय इलेक्ट्रॉनिक व्यापार पोर्टल है. इस पोर्टल के तहत किसान भारत के किसी भी कोने में बैठकर अपने फसल बेच सकता है. केंद्र सरकार द्वारा चलाया जा रहा यह पोर्टल 2016 में लॉन्च किया गया था. हालांकि eNAM के साथ अन्य सभी प्लेटफॉर्म्स को 2022 में जोड़ा गया था. इस प्लेटफॉर्म पर किसान ऑनलाइन अपनी फसल बेच सकते हैं. साथ ही उसके पास यहां पूरे भारत के खरीदारों को अपनी फसल बेचने का विकल्प होगा. इसमें लगभग 1000 के करीब मंडिया इंटीग्रेटेड हैं. इसी प्लेटफॉर्म के तहत आप अपनी पराली भी बेच सकते हैं.
पराली के बेहतरीन उपयोग:
➤ उर्वरक के रूप में: पराली को खेत में मिलाकर जैविक उर्वरक के रूप में उपयोग किया जा सकता है. इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और मिट्टी में नमी बनी रहती है.
➤ पशु चारे में: पराली को पशु चारे के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. इसे कुटाई कर पशुओं के भोजन में मिलाया जाता है, जिससे पशुओं को पौष्टिक आहार मिलता है.
➤ जैविक खाद (बायोगैस) बनाने में: पराली को बायोगैस प्लांट में डालकर बायोगैस बनाई जा सकती है, जो एक स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है. इससे गैस और जैविक खाद दोनों मिलते हैं.
➤ फाइबर और कागज निर्माण में: पराली से फाइबर, कार्डबोर्ड और कागज बनाया जा सकता है. यह एक पर्यावरण-अनुकूल विकल्प है और पेड़ों की कटाई को भी रोक सकता है.
➤ मशरूम की खेती में: पराली का उपयोग मशरूम उगाने के लिए किया जाता है. यह एक अच्छी खाद सामग्री है जो मशरूम की वृद्धि के लिए बहुत फायदेमंद होती है.
➤ इको-फ्रेंडली सामान बनाने में: पराली का इस्तेमाल ईको-फ्रेंडली ईंटों, प्लाईवुड और पैकेजिंग सामन में किया जा सकता है, जिससे प्लास्टिक पर निर्भरता कम हो जाती है.
पराली जलाने के नुकसान:
➤ वायु प्रदूषण: पराली जलाने से बड़ी मात्रा में धुआं और हानिकारक गैस जैसे कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), नाइट्रोजन ऑक्साइड्स (NOₓ) और सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) निकलती हैं. ये प्रदूषक हवा की गुणवत्ता को खराब कर देते हैं और वातावरण में स्मॉग पैदा हो जाता है.
➤ स्वास्थ्य पर गलत असर: पराली का धुआं सांस की समस्याएं जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और अन्य सांस से जुड़ी बीमारियां पैदा कर सकता है. यह बच्चों, बुजुर्गों और फेफड़ों के मरीजों के लिए बहुत खतरनाक होता है.
➤ मिट्टी की गुणवत्ता में गिरावट: पराली जलाने से मिट्टी में मौजूद आवश्यक पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, और पोटैशियम नष्ट हो जाते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता कम हो जाती है. इसके साथ ही मिट्टी का जैविक जीवन, जैसे कि सूक्ष्मजीव, भी नष्ट हो जाते हैं.
➤ वन्य जीवन पर प्रभाव: पराली जलाने से आसपास के वातावरण में तापमान बढ़ता है, जिससे वन्य जीवों का प्राकृतिक आवास नष्ट होता है. कई बार छोटे जीव-जंतु जलने से मर जाते हैं.
➤ पानी की गुणवत्ता पर प्रभाव: पराली जलने से पैदा होने वाली राख पानी के स्रोतों में मिल जाती है, जिससे पानी प्रदूषित होता है और मछलियों के साथ-साथ अन्य जलीय जीवों के लिए खतरा पैदा होता है.