देश में कहीं से भी डाल सकेंगे वोट, खत्म होगी घर जाने की झंझट; चुनाव आयोग ने तैयार किया प्लान
EC develops rvm a prototype of remote EVM: रिमोट वोटिंग के लिए चुनाव आयोग ने प्रोटोटाइफ रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (RVM) को तैयार किया है. यह मशीन एक पोलिंग बूथ से 72 अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों में वोटिंग करवा सकती है.
EC develops remote voting machine a prototype of remote EVM: चुनाव आयोग ने वोटिंग प्रक्रिया में बड़े स्तर के बदलाव की तैयारी कर ली है. इस तैयारी के मुताबिक अब देश में कहीं से भी अपने निर्वाचन क्षेत्र में वोट डालना संभव हो जाएगा. यानी आप कहीं भी रहें, आपको वोट डालने के लिए अपने घर जाने की जरूरत नहीं होगी, बल्कि चुनाव आयोग की नई टेक्नोलॉजी की मदद से आप कहीं से भी वोट डाल सकेंगे.
रिमोट वोटिंग के लिए चुनाव आयोग ने प्रोटोटाइफ रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (RVM) को तैयार किया है. यह मशीन एक पोलिंग बूथ से 72 अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों में वोटिंग करवा सकती है.
16 जनवरी को दलों के सामने होगी टेस्टिंग
चुनाव आयोग ने इस मशीन यानी प्रोटोटाइफ आरवीएम की टेस्टिंग के लिए सभी राजनीतिक दलों को बुलाया है. 16 जनवरी 2023 को चुनाव आयोग आरवीएम के काम करने के तरीके के बारे में 8 राष्ट्रीय पार्टियों और 57 राज्य स्तर की पार्टियों को बताएगा. इस मौके पर चुनाव आयोग की टेक्निकल टीम और एक्सपर्स्ट्स भी वहां मौजूद रहेंगे, जो इसके तकनीक के बार में बताएंगे.
चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों से 31 जनवरी तक इस वोटिंग सिस्टम को लेकर अपनी राय देने को कहा है. आयोग के मुताबिक सभी राजनीतिक दलों के फीडबैक के आधार पर आरवीएम से वोटिंग की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा.
क्या होगा फायदा?
अगर इस वोटिंग सिस्टम को हरी झंडी मिल जाती है तो प्रवासी लोगों यानी घर से दूर दूसरे शहरों में या राज्यों में रहने वाले लोगों के लिए वोट डालने की टेंशन खत्म हो जाएगी. वो अपने निवास स्थान के लिए नेताओं को चुनने में बिना वहां पहुंचे भागीदार बन सकेंगे. अकसर, लोग पढ़ाई और नौकरी के लिए दूसरे शहरों का रुख करते हैं और फिर चुनाव के दौरान उनका वहां से अपने घर पहुंच पाना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में वोटर्स की बड़ी संख्या वोटिंग के अपने अधिकार से वंचित रह जाती है.
हालांकि, चुनाव आयोग द्वारा तैयार आरवीएम मशीन से कोई भी रिमोट लोकेशन से वोट डाल सकेगा. यह मशीन एक रिमोट पोलिंग बूथ से 72 अलग-अलग बूथों पर वोटिंग करवा सकती है.
क्यों लिया गया ये फैसला?
साल 2019 के आम चुनावों में माइग्रेशन के कारण बड़ी संख्या में लोग वोट नहीं डाल सके थे. आयोग के मुताबिक 2019 में 67.4 फीसदी लोगों ने वोट डाले थे. इस दौरान 30 करोड़ से अधिक वोटर्स ने वोटिंग नहीं की थी. चुनाव आयोग ने इस समस्या को खत्म करने के लिए आरवीएम को तैयार किया है. आयोग चाहता है कि वोटर टर्नआउट में सुधार आए और चुनाव में अधिक से अधिक लोगों की भागीदारी सुनिश्चित हो सके. साथ ही दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले लोगों को बिना किसी परेशानी के वोट करने का मौका मिले.
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