ED Action Against Vivo Company: आपने चीन की मोबाइल कंपनी VIVO का नाम तो सुना ही होगा. एक अनुमान के मुताबिक़ भारत में लगभग साढ़े सात करोड़ लोग VIVO कम्पनी का मोबाइल फोन इस्तेमाल करते हैं. ये देश की चौथी सबसे बड़ी मोबाइल फोन कम्पनी है. देश में अभी जो Smart Phones का बाज़ार है, उसमें इस कम्पनी की हिस्सेदारी 15 प्रतिशत की है.  इस कम्पनी पर मनी लॉन्ड्रिंग के गम्भीर आरोप लगे हैं. Enforcement Directorate यानी ED ने 5 जुलाई को VIVO और उससे जुड़ी 23 कम्पनियों के 48 ठिकानों पर छापेमारी की. इस कार्रवाई में ED ने 465 करोड़ रुपये ज़ब्त किए. इसके अलावा 73 लाख रुपये कैश और दो किलोग्राम सोना भी इस एजेंसी द्वारा इस कार्रवाई में जब्त किया गया. 


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मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में फंसी VIVO कंपनी


अब आप सोच रहे होंगे कि जो कम्पनी मोबाइल फोन का बिज़नेस करती है, आखिर उस पर ये कार्रवाई क्यों हुई? तो इस कार्रवाई के पीछे भी एक बिजनेस मॉडल है, जिसे हम सरल शब्दों में आपके लिए डिकोड करेंगे. ये कहानी उस शिकायत से शुरू होती है, जो दिसम्बर 2021 को Ministry of Corporate Affairs ने दिल्ली पुलिस को भेजी थी.


इस शिकायत में बताया गया था कि VIVO से जुड़ी एक कंपनी, जिसका नाम है, Grand Prospect International Communication Pvt Ltd. उसके Shareholders ने फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करके इस कम्पनी को Fake पतों पर रजिस्टर्ड कराया है. ये कम्पनी 3 दिसम्बर 2014 को हिमाचल प्रदेश के सोलन, गुजरात के गांधीनगर और जम्मू में रजिस्टर्ड हुई थी. जांच में पता चला कि इस कम्पनी को जिन पतों पर रजिस्टर्ड कराया गया, वो पते सरकारी इमारतों और सरकारी अफसरों के घरों के थे.


फर्जी पतों पर रजिस्टर्ड कराई 23 शेल कंपनियां


इस शिकायत पर पहले दिल्ली पुलिस ने केस दर्ज किया. इस केस के आधार पर बाद में फरवरी 2022 में ED ने अपनी जांच शुरू की. ED ने जब अपनी कार्रवाई को आगे बढ़ाया तो पता चला कि ये पूरा मामला मनी लॉन्ड्रिंग का है. आरोप है कि वर्ष 2014 से 2015 के बीच ऐसी कुल 23 कम्पनियां बनाई गईं, जो VIVO से जुड़ी थीं. इन कम्पनियों का इस्तेमाल टैक्स चोरी के लिए किया गया. यानी चीन की कम्पनी पर टैक्स चोरी के आरोप हैं.


आरोप है कि भारत में मोबाइल Phones की बिक्री से VIVO कम्पनी ने जो 1 लाख 25 हजार करोड़ रुपये कमाए, उनमें से 62 हज़ार 476 करोड़ रुपये चीन में भेज दिए गए. आरोप है कि टैक्स चोरी के लिए इस रकम को कम्पनी ने घाटे के रूप में दिखाया. ED का कहना है कि इस मामले से जुडा मुख्य आरोपी है Bin Lou (बिन लोऊ). ये वही व्यक्ति है, जो पहले VIVO कम्पनी में डायरेक्टर था. बाद में इसने फर्जी पतों पर एक दूसरी कम्पनी बनाई थी. Bin Lou (बिन लोऊ) पर कुल ऐसी 18 कम्पनियां बनाने का आरोप है.


केस दर्ज होते ही चीन भाग गए आरोपी डायरेक्टर


Bin Lou (बिन लोऊ) चीन का नागरिक है और वो 26 अप्रैल 2018 को ही देश से फरार हो गया था. इसके अलावा दूसरे आरोपी.. Zhengshen Ou (झेंगशेन ओऊ) और Zhang Jie (झांग जाय) वर्ष 2021 में मामला दर्ज होने की भनक लगते ही फरार हो गए थे.


हालांकि चीन इस कार्रवाई को लेकर ऐतराज जता रहा है. भारत में चीन के दूतावास ने कहा है कि जिस तरह से ED चीन की कंपनियों पर लगातार जांच कर छापेमारी कर रहा है. वो बिजनेस के लिए सही नहीं है. हालांकि ED ने कहा है कि ये कारवाई नियमों के हिसाब से की गई है और इसमें सभी कानूनों का पूरी तरह से पालन हुआ है.


इस विवाद के बीच गुरुवार को इंडोनेशिया के Bali में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री की मुलाकात हुई. इस मुलाकात में दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों और सीमा विवाद पर बातचीत हुई.


(ये ख़बर आपने पढ़ी देश की सर्वश्रेष्ठ हिंदी वेबसाइट Zeenews.com/Hindi पर)