Vivo India: मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने चीन की Vivo India कंपनी के तीन अधिकारियों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार किए गए अधिकारियों की पहचान Vivo India के पूर्व सीईओ Hong Xuquan उर्फ Terry, चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर हरिंदर दहिया और कसंलटेंट हेमंत मुंजाल के रूप में हुई है. तीनों को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें ईडी की हिरासत में भेज दिया गया. इससे पहले बीते अक्टूबर में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था जिसमें लावा मोबाइल कंपनी के डायरेक्टर हरि ओम, CA नितिन गर्ग और चीन का नागरिक शामिल था. इन आरोपियों ने Vivo से जुड़ी कंपनियों को शुरू करने में मदद की थी और भारत से बाहर पैसे भेजने में भी शामिल थे. 


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जब्त किए थे 465 करोड़ रुपये


इस मामले में ED ने VIVO मोबाइल बनाने वाली कपंनी और उससे जुड़ी 23 कपंनियों पर छापा मार 465 करोड़ रुपये जब्त किये थे. इसके अलावा 73 लाख रुपये कैश और 2 किलो सोना भी जब्त किया गया था. ED ने ये छापेमारी 5 जुलाई को Vivo Mobiles और उससे जुड़ी कपंनियों के 48 ठिकानों पर की थी. छापेमारी के दौरान कंपनी और उसके कर्मचारियों ने जांच को रोकने की कोशिश की जिसमें चीन के नागरिक भी शामिल थे. कुछ ने तो डिजिटल डिवाइस को छिपाने की कोशिश भी की ताकी सबूत ना जुटाये जा सके और भागने की कोशिश भी की. 


दर्ज हुआ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला


एजेंसी ने फरवरी 2022 में दिल्ली पुलिस में दर्ज एक मामले के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था. दिल्ली पुलिस को MCA यानी Ministry of Corporate affairs ने एक शिकायत दी थी की M/s Grand Prospect International Communication Pvt Ltd के शेयरहोलेडर ने फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर कंपनी को फर्जी पते पर रजिस्टर्ड करवाया है. ये M/s GPICPL कंपनी 3 दिसंबर 2014 को सोलन, गांधी  नगर और जम्मू में रजिस्टर्ड हुयी थी. जांच में पाया गया कि जो पते दिये गये थे वो सरकारी इमारत और सरकारी अधिकारी के घर के पते थे. 


बड़ा फर्जीवाड़ा आया सामने


इसी के बाद ED ने अपनी जांच आगे शुरू की तो पता चला कि 1 अगस्त 2014 को जब भारत में Vivo Mobile जोकि हांगकांग की कंपनी Multy Accord Ltd की सबसिडरी है, रजिस्टर्ड हुयी थी और इसके कुछ महिनों बाद ही यानी दिसंबर 2014 में M/s GPICPL रजिस्टर्ड हुयी, जोकि फर्जी पतों पर थी. इस कंपनी को चीन के तीन नागरिक Bin Lou, Zhengshen Ou और Zhang Jie ने भारतीय CA नितिन गर्ग की मदद से बनवाया था. जांच में आगे पता चला कि मास्टरमाइंड Bin Lou पहले Vivo में भी डायरेक्टर था और उसने देश में Vivo के दाखिल होने के समय के आसपास ही 18 कंपनियां बनायी और इसके अलावा Zhixin Wei  नाम के चीनी नागरिक ने 4 कंपनियां बनायी. ये सब कंपनियां साल 2014-15 के दौरान बनायी गयी.


चीन में भेजी मोटी रकम


एजेंसी की जांच में आगे पता चला कि इन कपंनियों ने काफी पैसा Vivo India को ट्रासंफर किया और इसके अलावा भारत में मोबाइल की सेल से जो 1,25,185 करोड़ कमाये थे उसमें से भी 62,476 करोड़ रुपये देश से बाहर चीन में भेज दिये. जो रकम बाहर भेजी गयी उसे घाटा दिखाया गया ताकी टैक्स देने से बचा जा सके. ED का कहना कि इस मामले से जुडा मुख्य आरोपी Bin Lou 26 अप्रैल 2018 को ही देश से फरार हो गया था और दूसरे आरोपी Zhengshen Ou और Zhang Jie साल 2021 में मामला दर्ज होने की भनक लगते ही फरार हो गये.


चीनी दूतावास ने जताया ऐतराज


इस मामले को लेकर भारत में चीन के दूतावास ने ED की इस कारवाई पर ऐतराज जताया था. चीनी दूतावास ने कहा था कि चीनी कपंनी को विदेश में कारोबार के समय वहां के कानून को पालन करने की हमेशा हिदायत दी जाती है. लेकिन जिस तरह से एजेंसी चीनी कंपनियों पर लगातार जांच कर छापेमारी कर रही है. वो बिजनेस के लिये सही नहीं है. साथ ही भारत में व्यापार के मौकों को भी खराब करती है. लेकिन ED ने कहा कि कार्रवाई तय नियमों के हिसाब से की गयी और कानून का पूरी तरह से पालन किया गया था.