Maharashtra Political Crisis: शिंदे का जाना शिवसेना के लिए पड़ेगा भारी, राज ठाकरे ने भी पार्टी छोड़ते वक्त पहुंचाई थी चोट
Maharashtra Political Crisis: अघाड़ी सरकार में मंत्री और उद्धव ठाकरे के करीबी एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र की सियासत में भूचाल ला दिया है. उन्हें करीब 35 विधायकों का समर्थन मिला हुआ है, इस वजह से माना जा रहा है कि अघाड़ी सरकार अब संकट में है. अगर वो पार्टी छोड़ते हैं तो यह शिवसेना के लिए करारा झटका होगा.
Maharashtra Political Crisis: मंगलवार की सुबह महाराष्ट्र की सत्ता के लिहाज से कुछ खास अच्छी नहीं हुई. यह सियासी उथल-पुथल शुरू हुआ महाविकास अघाड़ी सरकार (Mahavikas Aghadi Sarkar) में मंत्री और उद्धव ठाकरे के करीबी एकनाथ शिंदे की वजह से. उन्होंने बागी तेवर अपना लिए हैं. कहा जा रहा है कि उन्हें करीब 35 विधायकों का समर्थन मिला हुआ है, इस वजह से माना जा रहा है कि अघाड़ी सरकार अब संकट में है.
महाराष्ट्र में सियासी संकट
आपको बता दें कि एकनाथ शिंदे अन्य 35 विधायकों के साथ गुजरात के सूरत में डेरा डाले हुए हैं. सूत्रों के मुताबिक, वह महा विकास अघाड़ी सरकार को गिराने की पूरी तैयारी में हैं. उनका कहना है कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भाजपा से हाथ मिला लें. ऐसे में राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अगर एकनाथ शिंदे इस मिशन में कामयाब हो गए तो शिवसेना के इतिहास में यह सबसे बड़ी टूट साबित होगी.
91 में भुजवल ने दिया था पार्टी को झटका
गौरतलब है कि इससे पहले साल 1991 में छगन भुजबल (Chhagan Bhujbal) 8 विधायकों के साथ पार्टी छोड़कर चले गए थे. बता दें कि भुजबल की राजनीति की शुरुआत शिवसेना से ही हुई थी. वो एक ओबीसी नेता हैं. राजनीति से पहले भुजबल भायखला मार्केट में सब्जी बेचा करते थे. उस दौर में बालासाहेब ठाकरे के नेतृत्व से प्रभावित होकर उन्होंने शिवसेना का झंडा थामा था. लेकिन साल 1991 में उन्होंने भी पार्टी छोड़ दी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) में शामिल हो गए.
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साल 2005 में नारायण राणे ने पार्टी को कहा अलविदा
भाजपा नेता नारायण राणे (Narayan Rane) ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत शिवसेना से ही की थी. जब राज्य में भाजपा-शिवसेना गठबंधन की सरकार थी, तो उन्हें राजस्व मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई. राणे के सफर की शुरुआत शिवसेना से भले ही हुई लेकिन उद्धव से उनके रिश्तों की दरार की खबरें अक्सर आती रहती थीं. वो नारायण राणे ही थे जिनके नेतृत्व में भाजपा-शिवसेना गठबंधन अक्टूबर 1999 के महाराष्ट्र चुनाव में कांग्रेस-राकांपा गठबंधन से हार गया था. इसी चुनावी अभियान ने राणे और उद्धव ठाकरे के बीच चल रही दरार को एक्सपोज किया था. इनके रिश्तों में मिठास ज्यादा दिन तक टिकी भी नहीं और साल 2005 में राणे ने 10 विधायकों के साथ शिवसेना छोड़ दी.
राज ठाकरे ने की थी बगाबत
मनसे प्रमुख राज ठाकरे (Raj Thackeray) भी एक टाइम पर शिवसेना से जुड़े हुए थे. बाल ठाकरे के समय वो पार्टी में काफी सक्रिय रहा करते थे. लेकिन बाद में उन्होंने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का गठन किया. राज ठाकरे के पार्टी छोड़ने के बाद उनके कई समर्थक मनसे में चले गए. महाराष्ट्र की सियासत में आज भी राज ठाकरे को हिंदुत्ववादी चेहरे के रूप में देखा जाता है.
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