Election Reforms: पार्टियों के लिए अब मनमाना `चंदा` लेना होगा मुश्किल, चुनाव आयोग ने तय कर दी ये लिमिट; कानून मंत्रालय को भेजा प्रस्ताव
Election Funding: राजनीतिक दलों के लिए चंदे की आड़ में अब काले धन को ले पाना आसान नहीं रहेगा. चुनाव आयोग ने इस संबंध में चंदा लेने की लिमिट तय करते हुए सरकार को प्रस्ताव भेजा है. अगर प्रस्ताव मंजूर हो जाता है तो भारतीय राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा.
Election Commission Proposal to Law Ministry: देश की राजनीति में पसरे भ्रष्टाचार से हर कोई परिचित है. नेता चुनाव लड़ने के लिए करोड़ों रुपये इकट्ठे करते हैं. उसके बाद जीतने के लिए अगले चुनाव के लिए पैसा बटोरने में जुट जाते हैं. पैसा बटोरने के इस अभियान में अज्ञात स्रोतों से मिलने वाला 'चंदा' बड़ी भूमिका निभाता है. अब अगर चुनाव आयोग की चली तो भ्रष्टाचार के इस स्रोत पर रोक लग सकती है. दरअसल चुनाव आयोग ने कानून मंत्रालय को एक प्रस्ताव भेजा है, जिसमें मांग की गई है कि राजनीतिक दलों को मिलने वाले गुमनाम चंदे को 20,000 रुपये से घटाकर 2,000 रुपये कर दिया जाए. आयोग का कहना है कि इस प्रस्ताव के लागू होने से राजनीतिक सुधार होगा और पारदर्शिता बढ़ेगी.
2 हजार रुपये से चंदा लिया तो देना होगा जवाब
वर्तमान नियमों की बात करें तो राजनीतिक दलों को 20 हजार रुपये से अधिक के सभी चंदों का खुलासा अपनी ऑडिट रिपोर्ट में करना होता है. यह रिपोर्ट हर साल चुनाव आयोग में जमा करानी होती है. सूत्रों का कहना है कि अगर केंद्र सरकार चुनाव आयोग का प्रस्ताव स्वीकार कर लेती है तो 2 हजार रुपये से ज्यादा के सभी चंदे (Election Funding) चुनाव आयोग को जमा की जाने वाली ऑडिट रिपोर्ट का हिस्सा होंगे.
काले धन को चंदे के रूप में ले रहे राजनीतिक दल
सूत्रों का कहना है कि कुछ राजनीतिक दल ऐसे हैं जिन्होंने 20 हजार रुपये के चंदे जीरे दिखाए हैं. जबकि उनके खातों की जांच में बड़ी मात्रा में ऐसी रकम की प्राप्तियां मिली हैं. यही वजह है कि चुनाव आयोग ने काले धन को चुनावी चंदे (Election Funding) के रूप में दिए जाने के रास्ते को ब्लॉक करने के लिए नकद चंदे को 20 प्रतिशत या अधिकतम 20 करोड़ रुपये तक सीमित करने का भी प्रस्ताव भेजा है.
चुनाव आयोग ने सरकार को भेजा प्रस्ताव
जानकारों के मुताबिक चुनाव आयोग ने यह भी प्रस्ताव भेजा है कि उम्मीदवार अपने चुनाव से संबंधित रसीद और भुगतान के लिए एक अलग खाता भी बनाए. इसे पारदर्शी रूप से चुनाव खर्च के रूप में अधिकारियों को बताना होगा. इसके अलावा, आयोग यह भी चाहता है कि प्रत्येक उम्मीदवार चुनाव उद्देश्यों के लिए एक अलग बैंक खाता खोले, जिसमें चुनाव खर्च के हिस्से के रूप में सभी खर्चे और प्राप्तियों से संबंधित सभी विवरण होंगे. सूत्रों के अनुसार आयोग ने यह भी प्रस्ताव दिया है कि राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे (Election Funding) से विदेशी फंड को अलग कर दिया जाए.
पंजीकृत दलों की आड़ में चल रहा था खेल
बताते चलें कि चुनाव आयोग ने केंद्रीय कानून मंत्रालय को पत्र लिखकर जनप्रतिनिधित्व कानून में विभिन्न संशोधन किए जाने की सिफारिश की थी. हाल ही में, आयोग ने 284 गैर-अनुपालन पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (आरयूपीपी) को हटा दिया था. साथ ही उनमें से 253 से अधिक दलों को निष्क्रिय घोषित कर दिया था. इससे पहले आयकर विभाग ने कर चोरी के आरोप में देशभर में ऐसे कई पंजीकृत दलों पर छापेमारी की थी, जो रजिस्टर्ड तो थे लेकिन कभी चुनाव नहीं लड़ते थे और बड़ी मात्रा में लोगों से चंदा (Election Funding)ले रहे थे.
(एजेंसी इनपुट आईएएनएस)
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