UP: `साइकिल` पंचर कर `कमल` खिलाने में क्या रही मायावती की भूमिका?
उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में मायावती की पार्टी बसपा का लगभग सफाया हो गया है. हालांकि, माना जा रहा है कि बसपा के प्रदर्शन में आई गिरावट का फायदा सीधे तौर पर भाजपा को मिला. बसपा को वैसे भी BJP की B-टीम बताया जा रहा था.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Election 2022) में जिस पार्टी का सबसे बुरा हाल हुआ है, वो बहुजन समाज पार्टी यानी बसपा (BSP) है. मायावती (Mayawati) की बसपा महज एक सीट पर जीत हासिल कर पाई है. पार्टी अपना दल, निषाद पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल तक से पिछड़ गई है. 2017 के विधा नसभा चुनाव के मुकाबले बसपा को करीब 10 प्रतिशत वोट कम मिले हैं. पिछले रिकॉर्ड पर नजर डालें तो पार्टी को 2017 में 22 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे और उसने 19 सीटें हासिल की थीं. 2012 में उसने 80 और 2007 में 206 सीटों पर जीत दर्ज की थी.
‘हाथी’ का साथ छोड़ थामा ‘कमल’
अब सवाल ये उठता है कि मायावती को मिलने वाले वोट आखिर गए कहां? कई सियासी विश्लेषकों का मानना है कि समाजवादी पार्टी (SP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच जो अंतर रहा, उसकी एक वजह BSP से शिफ्ट हुआ वोट बना. यानी इन मतदाताओं ने ‘हाथी’ का साथ छोड़कर ‘कमल’ थाम लिया. उनके मुताबिक, सपा का वोट 8-10% बढ़ा है, लेकिन बसपा के वोट प्रतिशत में जो कमी आई है, उससे भाजपा को फायदा हुआ है.
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वोटिंग से पहले भ्रम की स्थिति
कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि वोट शिफ्ट होने का एक कारण बसपा समर्थकों और मतदाताओं के बीच बनी भ्रम की स्थिति भी है. फरवरी की शुरुआत में एक वायरल हुए वीडियो ने भी इसमें अहम भूमिका निभाई थी. इस 30 सेकेंड के वीडियो के जरिए दावा किया गया था कि मायावती ने अपने समर्थकों को संदेश दिया है कि सपा को हराने के लिए BJP के उम्मीदवारों को भी वोट दिया जा सकता है. बता दें कि उत्तर प्रदेश में पहले चरण का मतदान 10 फरवरी को था. इससे ठीक पहले ही ये क्लिप वायरल हुई थी.
मायावती ने खुद दूर नहीं किया भ्रम
पहले चरण में उन सीटों पर भी वोट डाले गए थे, जिन्हें कभी मायावती और बसपा का गढ़ माना जाता था. हालांकि, साल 2017 के विधान सभा चुनाव में यहां BJP ने 53 सीटें हासिल की थीं और मायावती को महज 2 सीटें मिली थीं. इस वीडियो को इस मीडिया संस्थानों ने फैक्ट चेक में गलत करार दिया था. उन्होंने बताया था कि ये वीडियो पुराना है. लेकिन सवाल है कि क्या ये सच्चाई वोटरों और पार्टी समर्थकों के बीच पहुंची? गौर करने वाली बात ये भी है कि मायावती ने भी इस भ्रम की स्थिति को दूर करने का प्रयास नहीं किया.
अमित शाह के बयान से बढ़ा कन्फ्यूजन
इसके बाद चुनाव प्रचार के दौरान ही BJP नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बसपा को लेकर दिए बयान से भी कन्फ्यूजन गहरा गया था. तीन चरण पूरे होने के बाद एक एक इंटरव्यू में जब अमित शाह से यूपी में बसपा की प्रासंगिकता के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, ‘बसपा ने अपनी रेलिवेंसी बनाई हुई है. मैं मानता हूं कि पार्टी को वोट आएंगे. लेकिन सीट में कितना कन्वर्ट होगा, वो मालूम नहीं, लेकिन वोट आएंगे. मुसलमान भी बड़ी संख्या में जुड़ेंगे. काफी सीटों पर जुड़ेंगे’. इस इंटरव्यू के बाद विश्लेषकों और राजनीतिक विरोधियों ने BSP को BJP की ‘B टीम’ बताना शुरू कर दिया था.
BSP का BJP की तरफ झुकाव
मायावती की पार्टी BJP और SP दोनों के साथ गठजोड़ कर चुकी है. हालांकि, बीते ढाई दशकों से बसपा का भाजपा के प्रति ज्यादा रुझान देखा गया है. मायावती तीन बार BJP के सहयोग से यूपी की मुख्यमंत्री भी बन चुकी हैं. मौजूदा विधान सभा चुनाव में मायावती ने किसी दल के साथ गठजोड़ नहीं किया था, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का दावा है कि अकेले मैदान में उतरकर भी BSP भाजपा के लिए मददगार साबित हुई. बहुजन समाज पार्टी का वोट शेयर घटने से बीजेपी को सीधा फायदा हुआ.