Maharashtra: महायुति में नई मुसीबत? मुख्यमंत्री तो BJP का होगा, लेकिन अब गृह मंत्रालय पर फंसा पेंच
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Maharashtra: महायुति में नई मुसीबत? मुख्यमंत्री तो BJP का होगा, लेकिन अब गृह मंत्रालय पर फंसा पेंच

Maharashtra New CM: महाराष्ट्र में महायुति में नई सरकार गठन का फॉर्मूला तय हो गया है और साथ ही साफ हो गया है कि सीएम भारतीय जनता पार्टी (BJP) का होगा, लेकिन इस बीच नई मुसीबत आ गई है और शिवसेना (शिंदे गुट) ने गृह मंत्रालय पर दावा ठोक दिया है.

Maharashtra: महायुति में नई मुसीबत? मुख्यमंत्री तो BJP का होगा, लेकिन अब गृह मंत्रालय पर फंसा पेंच

Maharashtra Govt Formation: महाराष्ट्र में महायुति में नई सरकार गठन का फॉर्मूला तय हो गया है और भारतीय जनता पार्टी (BJP) का सीएम सीएम होगा, जबकि शिवसेना (Shiv Sena)और एनसीपी (NCP) को डिप्टी सीएम पद मिलेगा. अजित पवार ने शनिवार को इसकी जानकारी दी. इसके साथ ही शपथग्रहण की तारीख भी सामने आ गई है और 5 दिसंबर को आजाद मैदान में सीएम पद का शपथग्रहण का कार्यक्रम होगा, जिसमें पीएम मोदी भी शामिल होंगे.हालांकि, इस बीच नाराजगी की बातें भी सामने आने लगी हैं और बताया जा रहा है कि इस तरह की एकतरफा घोषणा से शिवसेना की ओर से असहमति जताई गई है.

सरकार गठन में आखिर क्यों हो रही देरी?

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख अजित पवार ने कहा, 'दिल्ली में बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया कि महायुति भाजपा के मुख्यमंत्री के साथ सरकार बनाएगी और शेष दो दलों के पास उपमुख्यमंत्री होंगे.' उन्होंने कहा, 'यह पहली बार नहीं है, जब देरी हुई है. अगर आपको याद हो तो साल 1999 में सरकार गठन में एक महीने का समय लगा था.'

शिंदे गुट के अंदर बढ़ी बेचैनी

इससे कुछ घंटे पहले, महाराष्ट्र बीजेपी प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले ने बताया कि शपथग्रहण समारोह 5 दिसंबर को शाम 5 बजे दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में होगा, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उपस्थित रहेंगे. एक्स पर की गई इस घोषणा ने शिवसेना के भीतर बेचैनी पैदा कर दी. शिवसेना (शिंदे गुट) प्रवक्ता संजय शिरसाट ने कहा, 'तीनों दलों के नेताओं (एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फडणवीस और अजीत पवार) को एक साथ इसकी घोषणा करनी चाहिए थी. भाजपा ने स्थान और तिथि की घोषणा करने से पहले सीएम से सलाह ली होगी.

अब गृह मंत्रालय पर अड़ी शिवसेना

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अब शिवसेना ने गृह मंत्रालय पर दावा ठोक दिया है. शिवसेना (शिंदे गुट) प्रवक्ता संजय शिरसाट ने कहा, 'अगर मुख्यमंत्री पद भाजपा को मिलता है तो महायुति को गृह विभाग शिवसेना को देना चाहिए.' बता दें कि पिछली सरकार में गृह विभाग उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पास था, जब एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री थे. महाराष्ट्र बीजेपी प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले ने जवाब देते हुए कहा कि ऐसे मामलों पर सार्वजनिक रूप से चर्चा नहीं की जानी चाहिए, जिससे गठबंधन के भीतर बढ़ती खटास उजागर होती है.

विभागों को लेकर खींचतान ऐसे समय में हो रही है जब कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) सतारा में अपने गांव दारे में हैं, जहां शुक्रवार को वो स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए पहुंचे थे. मामले के जानकारों ने बताया कि शिंदे ने पहले घोषणा की थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का फैसला उन्हें और उनकी पार्टी को स्वीकार्य होगा, लेकिन भाजपा की ओर से उपमुख्यमंत्री पद की पेशकश का कथित तौर पर विरोध हुआ है, शिंदे के खेमे ने गृह विभाग को नियंत्रित करने पर जोर दिया है.

एकनाथ शिंदे को क्या हुआ?

एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के डॉक्टर ने शनिवार को मीडिया को बताया कि उनको बुखार, गले में संक्रमण और सर्दी है, जिसका इलाज चल रहा है. सीएम शिंदे के बेटे और कल्याण से सांसद श्रीकांत शिंदे ने कहा कि शनिवार को कोई चर्चा नहीं हुई, क्योंकि सीएम बाहर थे और रविवार को लौटेंगे. उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि एकनाथ शिंदे ने दो दिन की छुट्टी ली है, क्योंकि कार्यवाहक सरकार में ज्यादा काम नहीं था.

तो क्या कोई बड़ा फैसला लेंगे शिंदे?

इससे पहले शनिवार को राज्य भाजपा प्रमुख द्वारा शपथग्रहण समारोह की तारीख की घोषणा से पहले शिवसेना के शिरसाट ने कहा, 'मेरे अनुसार, जब भी एकनाथ शिंदे को लगता है कि उन्हें सोचने के लिए कुछ समय चाहिए तो वह अपने पैतृक गांव चले जाते हैं. कल शाम तक वह कोई बड़ा फैसला लेंगे. यह कोई भी फैसला हो सकता है, कोई राजनीतिक फैसला... सोमवार शाम तक सब कुछ साफ हो जाएगा.'

महाराष्ट्र चुनाव में महायुति की बंपर जीत

अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) ने पहले ही कहा है कि मुख्यमंत्री के रूप में फडणवीस उसे स्वीकार्य हैं. 288 सदस्यीय सदन में बहुमत का आंकड़ा 145 है, लेकिन अकेले भाजपा ने 132 सीटें हासिल की है, जबकि उसकी सहयोगी शिवसेना को 57 और एनसीपी को 41 सीटें मिली हैं. लेकिन, सरकार गठन में देरी हुई क्योंकि गठबंधन इस बात पर आम सहमति बनाने में विफल रहा कि मुख्यमंत्री कौन होगा और तीनों सहयोगियों के बीच मंत्रालयों और विभागों का बंटवारा कैसे किया जाएगा.

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