Assembly Election Results 2023: पूर्वोत्तर के तीन राज्यों के चुनाव नतीजों से बीजेपी गदगद है. नगालैंड में वह आसानी से सरकार बना लेगी और मेघालय में वह एनपीपी से हाथ मिला सत्ता पा सकती है. वहीं त्रिपुरा में पार्टी ने शानदार जीत हासिल करते हुए सत्ता में दोबारा वापसी की है. त्रिपुरा की जीत बीजेपी के लिए इस लिहाज से भी काफी अहम है कि पार्टी को हराने के लिए कांग्रेस और लेफ्ट ने अपने तमाम मतभेद मिटाते हुए हाथ मिला लिया था. हालांकि कांग्रेस-लेफ्ट की यह एकता बीजेपी को सत्ता में आने से रोक नहीं पाई.


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पूर्वोत्तर में बीजेपी की कामयाबी किसी करिश्मे से कम नहीं है. पूर्वोत्तर कभी कांग्रेस और लेफ्ट का गढ़ हुआ करता था लेकिन वहां का राजनीतिक गणित अब पूरी तरह से बदल चुका है. 2016 से पहले बीजेपी एक भी पूर्वोत्तर राज्य में सरकार नहीं बना पाई थी. सिर्फ 2003 में अरुणाचल प्रदेश छोड़कर. तब यहां कांग्रेस के दिग्गज नेता ने भाजपा जॉइन कर ली थी और अपने साथ कई कांग्रेस के विधायकों को भी लेकर आए थे. इससे भाजपा ने पहली बार पूर्वोत्तर के किसी राज्य में सरकार बनाई थी.


लेकिन आज वह नॉर्थ ईस्ट के सातों राज्यों में सरकार बना चुकी है. आखिर कैसे बीजेपी ने पूर्वोत्तर को जीत लिया?


पूर्वोत्तर के लिए अलग रणनीति
बीजेपी ने पूर्वोत्तर में पार्टी लाइन से अलग रणनीति अपनाई. उन्होंने वहां स्थानीय मुद्दों और क्षेत्रीय नेताओं को प्राथमिकता दी. नॉर्थ-ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (NEDA) का गठन भी खास रणनीति के तहत किया गया. NEDA का मकसद पूर्वोत्‍तर को 'कांग्रेस मुक्त' करना था.


जाति, धर्म को साधा
हालांकि बीजेपी की पहचान एक 'हिंदुत्‍व' की पार्टी के तौर पर रही है लेकिन पूर्वोत्तर में बीजेपी ने बिल्कुल अलग रणनीति अपनाई. असम जहां बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी है वहां भी बीजेपी को कोई विशेष दिक्कत नहीं हुई. जबिक नगालैंड, मेघालय, मणिपुर और अरुणाचल में ईसाई बड़ी संख्‍या में हैं लेकिन बीजेपी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा.


दूसरे दलों के नेताओं को शामिल करना
पार्टी ने दूसरी पार्टी के प्रतिभाशाली नेताओं को अपने साथ मिलाया. असम के सीएम हिमंत बिस्व सरमा जो कभी कांग्रेस के पूर्वोत्तर में वरिष्‍ठ नेता हुआ करते थे आज बीजेपी के इस क्षेत्र में सबसे बड़े चेहरे बन गए हैं.  बीजेपी ने पूर्वोत्तर में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए करीब 10 राजनीतिक दलों के साथ हाथ मिलाया.


जोड़-तोड़ और दूसरे दलों को साथ लेकर पाई सत्ता
बीजेपी 2016 में अरुणाचल में सरकार बनाने में कामयाब रही. दरसअल बीजेपी ने राज्य के 43 कांग्रेसी विधायकों को तोड़ लिया गया. ये सभी पीपुल्‍स पार्टी ऑफ अरुणाचल (PPA) का हिस्‍सा बन गए. पीपीए एनडीए की सहयोगी है.


2017 में बीजेपी नेशनल पीपुल्‍स पार्टी (NPP) और नगा पीपुल्‍स फ्रंट (NPF) के साथ गठबंधन कर मणिपुर में भी सरकार बनाने में कामयाब रही.  2018 में बीजेपी को तीन राज्यों में कामयाबी मिली. पार्टी एनडीपीपी के साथ मिलकर नगालैंड में सत्‍ता में आई. डिजिनस पीपुल्‍स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (IPFT) के साथ मिलकर त्रिपुरा जीत लिया और मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) के साथ मिलकर सरकार बना ली.


बीजेपी की कामयाबी आगे भी जारी रही. 2022 में बीजेपी मणिपुर में और इसके करीब एक साल पहले असम में सत्ता में वापसी करने में सफल रही.


दूसरी तरफ जैसे-जैसे बीजेपी पूर्वोत्तर में अपने कदम मजबूती से बढ़ा रही थी. वैसे-वैसे केंद्र सरकार नॉर्थ ईस्ट में लगातार बड़ी परियोजनाओं पर काम करने लगी. 2014 के बाद से पूर्वोत्तर के विकास के लिए केंद्र की फंडिंग में लगातार बढ़ोतरी हुई है.


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