नई दिल्‍ली: कई नेता ऐसा हैं जिन्‍होंने राजनीति में आने के बारे में सोचा भी नहीं था लेकिन जब राजनीति में आए तो ऊंचा मुकाम पाया. यूपी (UP) के सबसे युवा मुख्‍यमंत्री रहे अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) भी राजनीति की अपनी पारिवारिक विरासत को दरकिनार करके लिट्टी-चोखा (Litti-Chokha) की चेन शुरू करना चाहते थे. यहां तक कि उनके पिता और यूपी के पूर्व मुख्‍यमंत्री मुलायम सिंह यादव भी नहीं चाहते थे कि उनका बड़ा बेटा राजनीति (Politics) में आए. 


नापसंद थी राजनीति 


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अखिलेश यादव को राजनीति पसंद नहीं थी इसलिए वे राजनीति के क्षेत्र में अपने परिवार के खासे रुतबे के बाद भी इससे हटकर कुछ करना चाहते थे. वे मैक्डॉनल्ड (McDonald's) की तर्ज पर पूरे देश में लिट्टी-चोखा (Litti-Chokha) की फूड चेन शुरु करना चाहते थे. सिडनी से एन्‍वायरमेंटल इंजीनियरिंग में डिग्री लेने के बाद वे लिट्टी-चोखा की चेन शुरू करना चाहते थे. अपनी पढ़ाई के दौरान हॉस्‍टल में रहते हुए वे इसे लेकर योजनाएं बनाते थे. लेकिन यूपी में हालात इस कदर बदले कि उन्‍हें न केवल राजनीति में आना पड़ा बल्कि सीएम की कुर्सी पर भी बैठना पड़ा. 


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38 की उम्र में बने थे सीएम 


2012 के विधानसभा चुनावों में कुछ ऐसी हवा चली की सपा 224 सीटों पर जीत गई. बस, इसके बाद अखिलेश यादव को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया गया. हालांकि इससे पहले वे 26 साल की उम्र में लोकसभा चुनाव जीत चुके थे. वे साल 2000 में यूपी की कन्नौज लोकसभा सीट से पहली बार चुनाव जीते थे. इसके बाद साल 2004, साल 2009 में भी लोकसभा सदस्‍य बने. अखिलेश यादव की पत्‍नी डिंपल यादव भी 2 बार की सांसद हैं.  


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इस बार भी समाजवादी पार्टी यूपी चुनाव में पूरी तैयारी से मैदान में उतरी है और सत्‍तारूढ़ पार्टी बीजेपी को कड़ी टक्‍कर दे रही है.