Maharashtra Assembly Election: लगभग 40 वर्षों से कांग्रेस में रहे दिग्गज नेता अनीस अहमद अब पार्टी से अलग हो गए हैं. उन्होंने कांग्रेस पार्टी से नाता तोड़कर वंचित बहुजन अघाड़ी से चुनाव लड़ने का इरादा किया लेकिन ये इरादा भी धरा का धरा रह गया. अनीस अहमद वीबीए के टिकट पर मंगलवार को धूम-धाम के साथ नामांकन दाखिल करने पहुंचे लेकिन बस 2 मिनट लेट हो गए और नामांकन दाखिल करने से चूक गए. अहमद ने कहा,'मेरा नामांकन रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा स्वीकार नहीं किया गया क्योंकि मैं दोपहर 3 बजे की समय सीमा से चूक गया था.'


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सुबह से उनकी गैर मौजूदगी और आखिरी समय की भागदौड़ ने राजनीतिक हलकों में उनके चुनाव लड़ने के इरादे को लेकर अटकलों को हवा दे दी. दिल्ली, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटियों के पूर्व प्रभारी सचिव अनीस अहमद सड़क बंद होने, वाहनों पर पाबंदी लगने, सुरक्षा प्रोटोकॉल और अंतिम समय में दस्तावेजीकरण जैसी बाधाओं को पार करने का दावा करने के बाद दोपहर 3 बजे की समय सीमा के कुछ क्षण बाद नागपुर सेंट्रल रिटर्निंग ऑफिसर के बूथ पर पहुंचे. दोपहर 2.30 बजे ऐलान के ज़रिए उम्मीदवारों से नामांकन दाखिल करने में तेजी लाने की अपील की थी. दोपहर 2.45 बजे एक बार फिर ऐलान किया गया और 3 बजे दरवाजे बंद कर दिए गए. 


8 बजे तक हुआ हाई वोल्टेज ड्रामा:


कहा जा रहा है कि अनीस अहमद 3 बजकर 2 मिनट पर यहां पहुंचे थे जिस वजह से उनका नामांकन स्वीकार नहीं किया गया. हालांकि अहमद रात 8 बजे तक रिटर्निंग ऑफिसर के कैंप में रहे और अपना नामांकन स्वीकार करने की गुहार लगाई. उन्होंने प्रशासन द्वारा सड़क मार्ग से प्रवेश प्रतिबंधित किए जाने के कारण घायल घुटने के साथ कलेक्टर कार्यालय तक की अपनी कठिन यात्रा का हवाला दिया. अहमद ने रविवार को कांग्रेस छोड़ने और फिर वीबीए में शामिल होने के लिए मुंबई की यात्रा जैसी व्यवस्थता का भी जिक्र किया लेकिन उनका नामांकन स्वीकार नहीं किया गया. इसके अलावा अहमद का कहना है,'एनओसी, क्लीयरेंस सर्टिफिकेट हासिल करने, राष्ट्रीयकृत बैंक खाते खोलने में मैं दोपहर 2.30 बजे तक उलझा रहा.'



'3 बजे दरवाजा पार कर लिया था'


इसके अलावा अनीस अहमद का यह भी कहना है कि वो तीन बजे से पहले दरवाजे के अंदर पहुंच गए थे. उन्होंने मुख्य दरवाजा 3 बजे से पहले पार कर लिया चाहें तो उनका समय चेक किया जा सकता है. इसके अलावा अंदर उनका प्रतिनिधि भी बैठा हुआ था, जिसके कूपन दिया गया था. अनीस अहमद ने आरोप लगाया कि पुलिस अधिकारियों ने उन्हें अंदर जाने से रोका. 


क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट्स:


इस घटनाक्रम पर कई लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और इसे चुनावी लड़ाई से बचने की चाल बताया. सूत्रों का कहना है कि अहमद पर अप्रत्यक्ष रूप से वो भाजपा की मदद करने का आरोप भी लग रहा है. इसने चुनाव लड़ने की उनकी इच्छा को खत्म कर दिया. अब वीबीए नागपुर सेंट्रल में प्रतिनिधित्व नहीं कर पाएगी क्योंकि वह वैकल्पिक उम्मीदवार को मैदान में उतारने में नाकाम रही है और इससे कांग्रेस को भी फायदा होने की उम्मीद है.