नई दिल्‍ली : केंद्र सरकार की तरफ से रोहिंग्‍या मुसलमानों को देश की सुरक्षा के लिए खतरा बताए जाने के एक दिन बाद ही मंगलवार को खुफिया सूत्रों से नई जानकारी मिल रही है. खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आतंकी संगठन लश्‍कर-ए-तैयबा (LeT) रोहिंग्‍या कैंप से लोगों को आतंकी बनाने की साजिश रच रहा है. लश्‍कर रोहिंग्‍या कैंप से लोगों को आतंकी बनाना चाहता है. खुफिया सूत्रों के हवाले से मिल रही खबर के मुताबिक एलईटी जम्‍मू में बसे रोहिंग्‍या मुसलमानों को आतंकी गतिविधियों में इस्‍तेमाल करना चाहता है.


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सूत्रों से यह भी जानकारी मिली है कि लश्‍कर आतंकी म्‍यांमार सीमा पर लोगों को आतंकी ट्रेनिंग देने के लिए गए थे. लश्‍कर के कुछ आतंकियों ने बांग्‍लादेश का दौरा भी किया है. आतंकी संगठन लश्‍कर जम्‍मू में बसे रोहिंग्‍या मुसलमानों के इस्‍तेमाल पर जोर दे रहा है.


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आपको बता दें कि सोमवार को केंद्र सरकार ने सु्प्रीम कोर्ट से रोहिंग्या मुद्दे पर हस्तक्षेप न करने का आग्रह करते हुए कहा कि उन्हें वापस भेजने का निर्णय सरकार का नीतिगत फैसला है. केंद्र ने कहा था कि रोहिंग्या में से कुछ का संबंध पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और आतंकवादी गुटों से है.


केंद्र ने शीर्ष अदालत से कहा कि 'रोहिंग्या मुद्दा न्यायोचित (जस्टिसिएबल) नहीं है और जब इस संबंध में कानून में उनके निर्वासन के लिए सही प्रक्रिया मौजूद है तो फिर केंद्र सरकार को नीतिगत निर्णय लेकर देश हित में आवश्यक कार्यकारी फैसले लेने दिया जाना चाहिए.'


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केंद्र ने अदालत को बताया कि यह देश हित में लिया गया एक 'आवश्यक कार्यकारी' फैसला है. केंद्र ने प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ की पीठ के समक्ष कुछ रोहिंग्या शरणार्थियों के अवांछित और भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्त होने का हवाला देकर अपने हलफनामे में कहा कि ये लोग हवाला और मानव तस्करी के माध्यम से भी धनराशि जमा करने में संलिप्त हैं.


केंद्र ने कहा कि रोहिंग्या का लगातार भारत में रहना पूरी तरह से अवैध है और इससे राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है. केंद्र की तरफ से यह भी कहा गया कि 'कई रोहिंग्या (पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई, आईएस (आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट) और अन्य ऐसे उग्रवादी समूहों की संदिग्ध घातक योजनाओं में भी दिखे हैं जो भारत में संवेदनशील क्षेत्रों में सांप्रदायिक हिंसा भड़काकर अपने निहित स्वार्थो की पूर्ति करना चाहते हैं.'