नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) के बढ़ते मामलों के बीच ब्‍लैक फंगस (Black Fungus) और व्‍हाइट फंगस (White Fungus)  ने लोगों में चिंता और दहशत कई गुना बढ़ा दी है. हालांकि विशेषज्ञों ने कहा है कि व्‍हाइट फंगस जैसी कोई बीमारी नहीं है. वह कुछ और नहीं बल्कि Candidiasis  ही है. 


क्‍या है कैंडिडिआसिस?


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कैंडिडिआसिस (Candidiasis) किसी भी प्रकार के कैंडिडा (एक प्रकार का यीस्‍ट) के कारण होने वाला एक फंगल संक्रमण है. जब यह केवल मुंह को प्रभावित करता है, तो कुछ देशों में उसे थ्रश कहा जाता है. इसके लक्षणों में जीभ या मुंह और गले के आसपास सफेद धब्बे आना शामिल है. इसके अलावा इसके कारण दर्द और निगलने में भी समस्या हो सकती है. 


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व्‍हाइट फंगस के मामले


व्‍हाइट फंगस (White fungus) की पहली रिपोर्ट बिहार के पटना से आई थी. हालांकि, हमारी सहयोगी वेबसाइट india.com की रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी मेडिकल कॉलेज पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (पीएमसीएच) ने इन रिपोर्टों को खारिज कर दिया. अब हाल ही में उत्तर प्रदेश में ऐसा ही एक मामला सामने आया है. वहीं संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. ईश्वर गिलाडा कहते हैं, 'व्‍हाइट फंगस केवल एक मिथक और गलत धारणा है. यह मूल रूप से कैंडिडिआसिस ही है, जो एक प्रकार का फंगल इंफेक्‍शन है जिसे कैंडिडा कहा जाता है. यह सबसे आम फंगल संक्रमण है.'


क्या व्‍हाइट फंगस ब्‍लैक फंगस से ज्यादा खतरनाक है?


रिपोर्ट के अनुसार, चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि इस रिपोर्ट का कोई आधार नहीं है व्‍हाइट फंगस ब्‍लैक फंगस से ज्‍यादा खतरनाक है. ब्लैक फंगस से ग्रसित रोगियों का इलाज कर रहे बॉम्बे हॉस्पिटल के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ.कपिल सालगिया कहते हैं कि म्यूकोर माइकोसिस (mucormycosis) ज्‍यादा आक्रामक है और इससे साइनस, आंखों, मस्तिष्क को बहुत नुकसान हो सकता है. इसके लिए बड़ी और मुश्किल सर्जरी करनी पड़ती हैं. साथ ही इसके इलाज में जरा सी देरी मरीज की जान ले लेती है. वहीं कैंडिडिआसिस का आसानी से इलाज किया जा सकता है और ज्‍यादातर मामलों में इससे मरीज की जान को खतरा नहीं होता है. हालांकि इसमें भी समय पर और सही इलाज करना बहुत जरूरी है.


इन लोगों में खतरा ज्‍यादा 


कैंडिडिआसिस ऐसे मरीजों में ज्‍यादा देखने को मिल रहा है, जिनकी इम्‍युनिटी कम है, डायबिटीज के शिकार है और वे कोविड-19 इलाज के दौरान ज्‍यादा समय तक स्टेरॉयड पर रहे. इसके लक्षण - सरदर्द, चेहरे में एक तरफ दर्द होना, सूजन, आंखों की रोशनी कम होना और मुंह में छाले होना है. इस संक्रमण का पता लगाने के लिए 10 प्रतिशत केओएच (पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड) के तहत एक साधारण माइक्रोस्‍पोपिक जांच काफी है.