नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में बंदगोभी की फसल इतनी ज़्यादा हो गई कि किसान समझ नहीं पा रहे हैं कि इसका करें तो करें क्या. भारी संख्या में बंदगोभी की पैदावार देखते हुए किसानों को नुकसान झेलना पड़ रहा है. उनका कहना है कि काफी पैसे खर्च कर फसल उगाते हैं, लेकिन सही समय पर उचित दाम नहीं मिलने से नुकसान होता है. साथ ही उनका यह भी कहना है कि ऐसे में वो अपने परिवार का गुजर-बसर कैसे करेंगे. परिस्थिति ऐसी है कि वह बंदगोभी को गायों को खिलाने पर मजबूर हो रहे हैं.


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जलपाईगुड़ी के मयनागुड़ी के खेतों में बंदगोभी का फसल गायों का चारा बन गया है. इसका प्रमुख कारण है उचित दाम नहीं मिलना. एक तरह से कहा जाए तो उचित दाम नहीं मिलने से नाराज किसानों ने भी रोष प्रकट करने के लिए इस तरीकों को अपना लिया है.


मयनागुड़ी के हसन अली ने सेल्फ हेल्प ग्रुप से उधार में पैसे लेकर बेटी की शादी करवाई थी. इसके बाद उन्होंने बीज, यूरिया और मजदूरी पर तकरीबन 15 हजार रुपए खर्च किए. डेढ़ बीघा जमीन में उन्होंने लगभग आठ हजार बंदगोभी का पौधा लगया था. उनको उम्मीद थी की बेटी की शादी में खर्च किये पैसे जो उन्होंने उधार में लिए थे उसको बंदगोभी बेचकर चुका देंगे.


उन्हें निराशा हाथ लगी. वर्तमान स्थिति में जलपाईगुड़ी के बाजार में न्यूनतम पांच से सात रुपये प्रति किलो बंदगोभी की बिक्री होने के बावजूद थोक भाव एक रुपया प्रति किलो है. किसानों का कहना है कि चार क्विंटल बंदगोभी खेत से बाज़ार तक ले जाने में 150 रुपए किराये में खर्च हो जाते हैं. इसके अलावा माल ढुलाई का भी खर्चा देना पड़ता है. बावजूद उन्हें बंदगोभी की कीमत महज एक रुपए प्रति किलो मिलती है.


हसन अली ने बताया कि बंदगोभी का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है. अलग से किराया भी उन्हें देना पड़ रहा है. परिस्थिति ऐसी है कि उन्हें जेब से पैसे देने पड़ रहे हैं. इसीलिए मजबूरन गायों को ही खिलाना पड़ रहा है. किसान अपनी हालत की व्याख्या लिखित तरीके से सरकार को भी भेजने की सोच रहे हैं. मयनागुड़ी के बीडीओ एलसी शेरपा ने बताया कि फसल का उचित दाम नहीं मिलने से किसानों की जो स्थिति हुई है वह बहुत कष्टदायी है. उन्होंने आश्वासन दिया कि वो कृषि दफ्तर में इसकी जानकारी देंगे.